कमिंस इंडिया शीघ्र ही भारत में फ्यूल-एगनास्टिक इंजन सिस्टम बनाना शुरू करेगी। यह महाराष्ट्र स्थित सतारा जिले के फलटन स्थित टाटा-कमिंस संयंत्र में बनाया जाएगा। कमिंस इंडिया के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस इंजन का साल 2023 के अंत तक सीमित उत्पादन किया जाएगा और साल 2024 तक व्यापक स्तर पर उत्पादन शुरू होगा।
फ्यूल एगनास्टिक इंजन में हाइड्रोजन, बायो डीजल, एथनॉल, सीएनजी, एलएनजी आदि पर आधारित इंजन हैं। कमिंस इंडिया के महाप्रबंधक अश्वत्थ राम के मुताबिक डीजल ट्रक के डीजल इंजन को हटाकर फ्यूल एगनास्टिक इंजन लगाया जा सकता है। उन्होंने कहा,’साइट पर ज्यादातर निवेश किया जा चुका है। यह निवेश पीएलआई योजना के तहत आने की पात्रता को पूरा कर चुका है।’
कमिंस वाणिज्यिक वाहनों में फ्यूल-एगनास्टिक इंजन सिस्टम मुहैया करवाने के लिए टाटा मोटर्स से गठजोड़ कर चुका है। राम ने कहा, ‘ये इंजन प्रोटोटाइप वाहन में लगाए जा चुके हैं। वाहन फील्ड पर परीक्षण, माइलेज परीक्षण आदि के लिए तैयार है। इसके बाद वाणिज्यिक उत्पादन किया जा सकता है।’
टाटा मोटर्स के अलावा अशोक लीलेंड और डेमलर ट्रक हाइड्रोजन चालित ट्रक पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। उद्योग के अनुमान के अनुसार हाइड्रोजन चालित ट्रक और बसें आत्मनिर्भर ग्रीन सॉल्युशंस रूप में विकसित होंगे। ये आने वाले पांच सालों में वाणिज्यिक रूप से व्यावहारिक होंगे। कमिंस देश में अन्य सीवी ओईएम से भी बातचीत कर रही है।
कमिंस इंडिया के सीओओ अंजिल पांडेय ने बताया कि शुरुआत में कमिंस एलएनजी-हाइड्रोजन प्लेटफार्म से शुरुआत करेगी। फिर सीएनजी-हाइड्रोजन प्लेटफार्म बनाएगी। देश में हाइड्रोजन ईंधन का आधारभूत ढांचा परिपक्व होने के बाद हाइड्रोजन अवतार बनाने शुरू करेगी।
उन्होंने कहा कि कमिंस का वैश्विक स्तर पर उत्पादन का केंद्र भारत होगा। भारत में विशेष तौर पर बी6.7 इंजन प्लेटफार्म बनाया जाएगा। उन्होंने कहा,’अन्य देशों की तुलना में अमेरिका और ईयू शून्य जीरो उत्सर्जन का स्तर पाने के लिए अधिक प्रयास कर रहे हैं। हमें उम्मीद है कि ये संभावित बाजार होंगे।’ कमिंस के भारत, अमेरिका और चीन में उत्पादन केंद्र हैं।
उन्होंने कहा, ‘हम उच्च क्षमता वाले हाइड्रोजन चालित इंजन से करीब 5 -10 साल दूर हैं। भारत ने 2070 तक शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य निर्धारित किया है।’ राम के मुताबिक डीजल इंजन के मुकाबले हाइड्रोजन इंजन सिस्टम की लागत 1.5 गुना अधिक होगी जबकि डीजल इंजन सिस्टम की तुलना में फ्यूल सेल इलेक्ट्रिक इलेक्ट्रिक व्हीक्ल सिस्टम की लागत पांच गुना अधिक हो सकती है।