Categories: खेल

चिप की कमी से वाहन कंपनियां चिंतित

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 6:42 AM IST

साल भर पहले तक लोग पसंदीदा कार बुक कराते थे और चंद दिनों के भीतर ही कार उनके घर के आगे खड़ी हो जाती थी। लेकिन अब वक्त बदल गया है। कम से कम इस पूरे साल तो लोग चुटकी बजाकर गाड़ी अपने घर शायद ही ला पाएंगे। मिसाल के तौर पर महिंद्रा ऐंड महिंद्रा के कुछ मॉडलों के लिए आपको 2022 यानी अगले साल तक इंतजार करना पड़ सकता है।
इसकी वजह है सेमीकंडक्टर (माइक्रो प्रोसेसिंग चिप) की कमी, जिससे पूरी दुनिया जूझ रही है। पिछले साल अक्टूबर तक कुछेक वाहन निर्माता ही इसके शिकार हुए थे मगर अब मारुति से लेकर महिंद्रा और किया मोटर्स से लेकर निसान मोटर्स सभी इसकी चपेट में आ गई हैं। एकदम आधुनिक और उन्नत तकनीक वाली कार हों या सड़कों पर बड़ी तादाद में दिखने वाली आम कारें, सेमीकंडक्टर की कमी ने सभी की चाल सुस्त कर दी है।
किल्लत का सीधा असर कारों और एसयूवी के उत्पादन पर हो रहा है और ग्राहकों को उनके लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। बाजार में नए मॉडलों की आमद, अर्थव्यवस्था में सुधार और निजी वाहन रखने की बढ़ती ललक के कारण कोविड-19 संकट के बीच ही वाहनों की बिक्री दौडऩे लगी थी। लेकिन दुनिया के पांचवें सबसे बड़े वाहन बाजार यानी भारत में अब कंपनियां इसका पूरा फायदा नहीं उठा पा रही हैं।
महिंद्रा को ही ले लीजिए। कंपनी के मुख्य कार्याधिकारी (ऑटोमोटिव डिविजन)विजय नाकरा का कहना है कि बोलेरो, स्कॉर्पियो, एक्सयूवी300 और थार मॉडलों को लोग खूब पसंद कर रहे हैं। इनकी मांग भी अच्छी है और बड़ी संख्या में लोगों ने इनकी बुकिंग करा रखी है। लेकिन नाकरा कहते हैं, ‘मजबूत मांग के बावजूद कंपनी आपूर्ति से जुड़ी चुनौतियों के कारण इस मौके का फायदा नहीं उठा पा रही है।’ उन्होंने बताया कि इस समय कंपनी के विभिन्न मॉडलों के लिए लोगों को 30 से 45 दिनों तक इंतजार करना पड़ रहा है। थार के लिए तो 8 से 10 महीने तक इंतजार करना पड़ रहा है।
नाकरा ने कहा कि महिंद्रा पर इसलिए भी खासा असर हुआ है कि क्योंकि उसे माल्टा में अपनी एक आपूर्तिकर्ता से चिप मंगाने पड़ते हैं। उन्होंने कहा कि इससे विभिन्न मॉडलों के उत्पादन पर असर हो रहा है और दो-चार महीने तक ऐसी ही हालत रह सकती है। उसके बाद धीरे-धीरे सुधार होगा।
कार डीलरों की कमाई पर भी चोट पड़ी है।
वाहन डीलरों के संगठन फाडा के अनुसार डीलरों की मासिक बिक्री में 20 प्रतिशत तक की कमी आई है। टाटा मोटर्स के साथ भी कमोबेश ऐसे ही हालात हैं। पिछले कुछ समय से कंपनी के मॉडलों की जमकर बुकिंग हो रही है। कंपनी में यात्री कार कारोबार के अध्यक्ष शैलेश चंद्रा ने कहा कि आपूर्ति के मुकाबले मांग अधिक हो गई है।
उन्होंने कहा कि पिछले दस महीनों के दौरान कंपनी ने अपने सभी संयंत्रों की क्षमता बढ़ाकर लगभग दोगुनी कर दी है, लेकिन इससे खास मदद नहीं मिल पाई है। चंद्रा ने कहा, ‘बेहतर योजना और आपूर्तिकर्ताओं के साथ समन्वय कर हम आपूर्ति व्यवस्था मजबूत बनाने में लगे हैं। इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की आपूर्ति का प्रबंधन काफी सोच-समझकर और सावधानी से किया जा रहा है।’ उन्होंने कहा कि वर्जन, रंग, ईंधन प्रकार आदि के हिसाब से टाटा के विभिन्न मॉडलों के लिए ग्राहकों को 4 से 15 हफ्तों तक इंतजार करना पड़ रहा है।
हुंडई मोटर इंडिया में बिक्री एवं विपणन निदेशक तरुण गर्ग ने भी कहा कि कंपनी को मांग पूरी करने में काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। विश्लेषकों के अनुसार मांग और आपूर्ति में असंतुलन पूरे वर्ष बना रह सकता है।
आईएचएस मार्किट के निदेशक पुनीत गुप्ता कहते हैं, ‘मांग में उम्मीद से पहले ही जबरदस्त तेजी आना और कारों में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का अधिक इस्तेमाल होना भी एक कारण हो सकता है।’

First Published : March 23, 2021 | 10:55 PM IST