पिछले  साल दीवाली पर कोरोनावायरस की मार झेल चुके और डेढ़ साल से लॉकडाउन की चोट  सह रहे राष्ट्रीय राजधानी के कारोबारियों को इस दीवाली पर कारोबार पटरी पर  आने की उम्मीद थी। उत्साह से लबरेज ग्राहक बाजारों में आए भी मगर महंगाई  ने त्योहार कुछ फीका कर दिया। बहरहाल कई कारेाबारी क्षेत्रों में अच्छी  रफ्तार देखी गर्ई और कारोबारियों को बहुत राहत मिली। अगर महंगाई की मार  नहीं पड़ती तो कारोबार और भी निखर सकता था।
दीवाली  पर कपड़ों, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों, सोने-चांदी, तोहफों, बर्तन, मेवों,  रोशनी और सजावट के सामान, मूर्ति, दीये आदि की बिक्री आम तौर पर बहुत अधिक  होती है। इस बार कपड़े, सोना-चांदी, रोशनी, मिठाई और रियल एस्टेट की बिक्री  में इजाफा देखा गया मगर बाकी कारोबार पिछली दीवाली से भी सुस्त रहे।  हालांकि कच्चे माल के दाम बढऩे से उछली लागत का पूरा बोझ ग्राहकों पर नहीं  डाला गया। कारेाबारियों ने मार्जिन पर कुछ चोट ली और पिछली बार के बचे  स्टॉक के सहारे दाम बहुत अधिक नहीं बढऩे दिए मगर चौतरफा महंगाई से परेशान  ग्राहक आसानी से जेब ढीली करने को तैयार नहीं दिखे।
दिल्ली  में पिछली बार सबसे ज्यादा मार झेलने वाला पटाखा कारोबार इस बार भी ठप ही  रहा। सदर बाजार पटाखा कारोबारी संघ के अध्यक्ष नरेंद्र गुप्ता कहते हैं कि  पिछले साल दिल्ली सरकार ने लाइसेंस देने के बाद पटाखों पर रोक लगाई थी और  इस बार लाइसेंस देने से पहले ही रोक लगा दी गई। इसलिए दीवाली पर पटाखा  कारोबार शुरू ही नहीं हो सका। कारोबारी अनुमान के मुताबिक कोरोना महामारी  से पहले दिल्ली में पटाखों का सालाना 400 से 500 करोड़ रुपये का कारोबार  था, जो अब चौथाई भी नहीं बचा।
दीवाली  से पहले धनतेरस पर बर्तनों की खूब मांग रहती है। कंपनियां भी तोहफे के तौर  पर बर्तनों के ऑर्डर देती हैं। मगर इस बार कच्चा माल महंगा होने से  बर्तनों के दाम काफी बढ़ गए। दिल्ली में डिप्टीगंज बर्तन कारेाबार का बड़ा  ठिकाना है। डिप्टीगंज स्टेनलेस यूटेंसिल्स ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष  सुधीर जैन कहते हैं, ‘लागत बढऩे से बर्तन के दाम 40 से 50 फीसदी बढ़ चुके  हैं। इसलिए कंपनियों ने गिफ्ट देने के लिए और खुदरा कारोबारियों ने धनतेरस  को बेचने के लिए पिछली दीवाली के मुकाबले आधे ही बर्तन खरीदे। हलके वजन और  कम नग वाले बर्तनों के सेट ही बिके। ज्यादा बर्तनों वाले डिनर सेट कम ही  बिके।
इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों  की बिक्री भी इस साल सुस्त रही। राजधानी में साईं एंटरप्राइजेज के मालिक  राजकुमार कहते हैं कि दीवाली से पहले वाले महीने में आम तौर पर 400 से 500  यूनिट टीवी, फ्रिज, वाशिंग मशीन आदि की बिक्री होती थी मगर इस बार 200  यूनिट भी नहीं बिकीं। लोगों की जेब तंग थी और कंपनियों ने भी खास छूट और  प्रमोशनल ऑफर नहीं दिए। दूसरी ओर ऑनलाइन प्लेटफॉर्मों पर ग्राहकों को अच्छी  छूट मिल रही थी। इसलिए खरीदने वालों ने ऑनलाइन खरीदारी की। इलेक्ट्रॉनिक  सामान विक्रेता फर्म मनीष सेल्स के निदेशक प्रवीण माहेश्वरी ने भी बताया कि  पिछली दीवाली के मुकाबले बिक्री 50 फीसदी घट गई।
गिफ्ट  आइटम के बाजार में चहलपहल तो थी मगर बिक्री बहुत अधिक नहीं हुई। सदर बाजार  के गिफ्ट कारोबारी ताराचंद गुप्ता ने बताया कि पिछले साल की तरह इस साल भी  मूर्तियों और क्रॉकरी की खरीद सुस्त रही। कंपनियों ने भी गिफ्ट के लिए कम  कीमत के सामान पर जोर दिया और 150 से 300 रुपये के आइटम ज्यादा बिके।
ऑनलाइन  बाजार गरम रहने की वजह से खुदरा कारोबारियों पर चोट हुई। दिल्ली व्यापार  महासंघ के अध्यक्ष देवराज बावेजा ने बताया कि आम तौर पर दीवाली पर खुदरा  दुकानदार आगे माल बिकने की चिंता किए बगैर थोक कारोबारियों से माल खरीद  लेते हैं और उधारी भी चलती है। मगर इस दीवाली पर खुदरा कारोबारियों ने उतना  ही माल खरीदा, जितना बिक सकता था। दो बार लॉकडाउन झेल चुके और पुराना  बकाया फंसा देख चुके थोक काराबारियों ने उधार पर भी ज्यादा कारोबार नहीं  किया।
मगर ऐसा भी नहीं कि  सबकी दीवाली फीकी गई। कपड़ों, मिठाई, लाइटिंग कारोबारियों की दीवाली गुलजार  गई। इस दीवाली कपड़ा कारोबार पटरी पर दिखा। दिल्ली के रेडीमेड कपड़ा  निर्माता और कारोबारी केके बल्ली ने बताया कि तीसरी लहर के डर से त्योहारी  सीजन के लिए कम माल बनवाया गया था मगर तीसरी लहर की आशंका लगभग खत्म होने  और ठंड के जोर पकडऩे के साथ कपड़ों की मांग भी बढ़ रही है। दीवाली के लिए  तो कपड़े खरीदे ही गए, शादियों के लिए भी खरीदारी जोरों पर है। मगर इस बार  लागत बढऩे के कारण कपड़े महंगे हो गए हैं। इससे निपटने के लिए कारोबारी  पिछले सीजन के बचे स्टॉक का इस्तेमाल कर रहे हैं। कोविड के कारण बचे रह गए  स्टॉक से लागत की एक तरह भरपाई हो रही है।
पिछली  दीवाली की तुलना में इस बार कपड़ों की बिक्री 10-15 फीसदी बढऩे का अनुमान  है। चीन के कपड़े अक्सर स्थानीय निर्माताओं को परेशान करते हैं क्योंकि  वहां से बच्चों के सर्दी के कपड़े 250 से 400 रुपये के बीच आ जाते हैं। मगर  इस बार आयात कम रहने से घरेलू कारोबारियों को फायदा हो रहा है। चांदनी चौक  के कपड़ा कारोबारी विनोद शर्मा बताते हैं कि दीवाली के लिए महिलाओं के  कपड़ों की मांग अच्छी है। मगर दो बार लॉकडाउन की मार झेल चुके कारोबारियों  की असली लॉटरी शादी के सीजन में खुल सकती है, जब उन्हें कपड़ों की बिक्री  20 फीसदी तक बढऩे की उम्मीद है।
दीवाली  के सामान में लाइटिंग सामग्री और मिठाई खूब बिकीं। लाइटिंग कारोबारी और  आयातक अशोक मल्होत्रा ने बताया कि इस दीवाली लाइटिंग का माल खूब मांगा गया  मगर कंटेनरों की कमी के कारण चीन से आपूर्ति में बाधा आई। दिल्ली  इलेक्ट्रिकल ट्रेडर्स एसोसएिशन के अध्यक्ष और भगीरथ पैलेस के कारोबारी भरत  आहूजा ने बताया कि पिछली बार के मुकाबले इस बार लाइटिंग का उपकरण 30 से 40  फीसदी बढ़ा। अगर पिछले साल सुस्त बिक्री के कारण स्टॉक बचा नहीं होता तो इस  बार माल की कमी भी पड़ सकती थी। इस बार 1,500 से 1,800 करोड़ रुपये का  कारोबार हुआ और कमोबेश सभी कारोबारियों का पिछले साल का लाइटिंग स्टॉक खत्म  हो गया।
मिठाइयों में  जाने-माने नाम बंगाली स्वीट्स के साझेदार श्रीत अग्रवाल ने बताया कि पिछले  साल आधी से भी कम क्षमता से काम हो रहा था मगर इस बार दोगुने ऑर्डर मिले।  उद्यमियों और कंपनियों ने बजट कम करने के लिए डिब्बों में मिठाइयों की  मात्रा बेशक कम रखी मगर माल अच्छा खरीदा। बड़ी तादाद में ऐसे ऑर्डर आए,  जिनमें 1 किलोग्राम के पैकेट में 850 या 900 ग्राम मिठाई ही रखवाई गई। इसी  तरह चार खाने के पैकेट में किनारे का बॉर्डर खाली छोडऩे के लिए कह दिया  गया। मगर कोरोना के पहले की दीवाली के मुकाबले 70 फीसदी बिक्री इस बार हो  ही गई।
हालांकि कन्फेडरेशन ऑफ  ऑल इंडिया ट्रेडर्स के महासचिव प्रवीन खंडेलवाल ने बताया कि बाजारों में  भीड़ के हिसाब से खरीदारी नहीं रही। पिछली दीवाली कारोबार बहुत सुस्त था,  जिसके मुकाबले इस बार 20 फीसदी अधिक बिक्री रही। पिछली दीवाली देश भर में  70-75 हजार करोड़ रुपये का कारोबार हुआ था। इस दीवाली 85 से 90 हजार करोड़  रुपये के कारोबार का अनुमान है। खंडेलवाल ने चीनी सामान के बहिष्कार के बीच  चीनी माल के कारेाबार को 50,000 करोड़ रुपये की चपत लगने का दावा भी किया।  इस बार चीनी माल कम आया, जिसका फायदा घरेलू कारोबारियों को मिला होगा।