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दीर्घावधि निवेशकों के लिए बाजार में मौके बरकरार

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 11:38 PM IST

देश के प्रख्यात फंड प्रबंधकों का मानना है कि शेयरों में भारी तेजी और महंगे मूल्यांकन के बावजूद दीर्घावधि निवेश अवधि और मध्यम प्रतिफल उम्मीद के साथ बाजार में प्रवेश के लिहाज से अच्छे अवसर बरकरार रह सकते हैं।
म्युचुअल फंड उद्योग पर बिजनेस स्टैंडर्ड बीएफएसआई इनसाइट समिट में बोलते हुए एचडीएफसी एएमसी के मुख्य निवेश अधिकारी प्रशांत जैन ने कहा, ‘मैं इसे लेकर सहमत हूं कि स्थिति उत्साहजनक है, लेकिन मैं नहीं मानता कि यह सभी इक्विटी बाजारों के लिए कहा जा सकता है। अगले कुछ साल के दौरान ज्यादातर प्रतिफल आय वृद्घि से आएगा मूल्यांकन वृद्घि से नहीं।’
मिरे ऐसेट मैनेजर्स के सीआईओ नीलेश सुराणा ने कहा, ‘मैं मजबूत परिसंपत्ति आवंटन को लेकर ‘खरीदारी’ खेमे में शामिल रहूंगा। इक्विटी पर हमारा नजरिया सकारात्मक है। यह इस तथ्य की वह से भी है कि आय परिदृश्य काफी सुधरा है और पूंजी की लागत घटी है।’ सुराणा ने कहा कि निवेशकों को तीन-पांच साल की निवेश अवधि और 10-12 प्रतिशत प्रतिफल की उम्मीद के साथ आगे आना चाहिए।
आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एएमसी के कार्यकारी निदेशक एस नरेन ने कहा, ‘मेरा मानना है कि पूरा जोर वैश्विक केंद्रीय बैंकों के साथ है, क्योंकि उन्होंने बाजार में 25 लाख करोड़ डॉलर लगाए हैं। इसलिए मैं मानता हूं कि स्थिति काफी हद तक इस पर निर्भर करेगी कि ये बैंक क्या करना चाहते हैं।’
कोटक महिंद्रा ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी में सीआईओ (फिक्स्ड इनकम) एवं प्रमुख (प्रोडक्ट्स) लक्ष्मी अय्यर ने कहा, ‘वास्तविकता यह है कि केंद्रीय बैंकों ने महसूस किया है कि अतिरिक्त तरलता को सामान्य बनाया जाना चाहिए। आसान पूंजी और कम दरें लंबे समय तक साथ नहीं रह सकतीं, इसलिए धीरे धीरे इसमें बदलाव आने वाला है।’
निप्पॉन इंडिया म्युचुअल फंड में इक्विटी इन्वेस्टमेंट्स के सीआईओ मनीष गुनवानी का कहा है, ‘इक्विटी में बड़ी गिरावट का जोखिम जिंस चक्र पर मांग संबंधित दबाव नहीं है, जैसा कि चीन की वृद्घि की वजह से वर्ष 2000 में देखा गया था, बल्कि परिसंपत्ति मुद्रास्फीति है।’ सेकंडरी बाजार में तेजी की वजह से इस साल आईपीओ के जरिये रिकॉर्ड कोष उगाही को बढ़ावा मिला है और कई स्टार्टअप सूचीबद्घता के लिए तैयार हैं।
फंड प्रबंधकों का मानना है कि इस क्षेत्र में कुछ खास कंपनियों का मूल्यांकन काफी ज्यादा है और आपको उनसे बचना चाहिए।
पीपीएफएएस म्युचुअल फंड के सीआईओ राजीव ठक्कर ने कहा, ‘इक्विटी में, कई ऐसे क्षेत्र हैं जिनमें बड़ी राशि का नुकसान हो रहा है और खासकर यह बुलबुले जैसे मूल्यांकन के कारण है, जो कंपनियों में आईपीओ उत्साह की वजह से देखा जा रहा है।’

First Published : November 10, 2021 | 10:14 PM IST