कोविड-19  वैश्विक महामारी ने ग्राहकों की जोखिम धारणा को काफी बढ़ा दिया है जिससे  बीमा की मांग बढ़ गई है। ऐसे में बीमा कंपनियों के ऊपर यह निर्भर करता है  कि मौजूद अवसरों को किस प्रकार भुनाती है और ग्राहकों की उभरती जरूरतों को  पूरा करने के लिए अपने कारोबार में किस प्रकार का बदलाव करती है। ये बातें  जीवन बीमा पर बिजनेस स्टैंडर्ड बीएफएसआई समिट के पैनलिस्टों ने कही।
एचडीएफसी  लाइफ इंश्योरेंस के एमडी एवं सीईओ विभा पडाल्कर ने कहा, ‘यह हमारे ऊपर  निर्भर करता है कि हम इस मोड़ पर क्या करते हैं। हमें इस वैश्विक महामारी  के दौरान समय को बर्बाद नहीं करना चाहिए बल्कि नवाचार ही कुंजी है। यदि हम  केवल यह कहते हुए अपनी शेखी बघारेंगे कि एक उद्योग के तौर पर हम बिना किसी  नुकसान के उबर चुके हैं तो मैं समझता हूं कि हम इस अवसर को खो देंगे।’
टाटा  एआईए लाइफ इंश्योरेंस के एमडी एवं सीईओ नवीन ताहिल्यानी ने भी इसी तरह की  राय जाहिर करते हुए कहा, ‘वहां काफी संभावनाएं हैं, ग्राहक तैयार हैं लेकिन  सवाल यह है कि हम इस अवसर को भुनाने के लिए क्या करने जा रहे हैं। हम अपने  कारोबारी मॉडल को बदल सकते हैं, अपनी योजनाओं को सरल बनाते हुए उसे कहीं  अधिक सुरक्षा पर केंद्रित कर सकते हैं, ग्राहकों को बेहतर अनुभव प्रदान  करने के लिए तकनीक का इस्तेमाल कर सकते हैं और गुणवत्ता पर अधिक ध्यान दे  सकते हैं।’
बीमा कंपनियों ने इस बात से सहमति  जताई कि वैश्विक महामारी के बाद बीमा को लेकर जागरूकता काफी बढ़ी है।  परिणामस्वरूप न केवल बचत योजनाओं बल्कि शुद्ध रूप से जोखिम को कवर करने  वाली योजनाओं की मांग में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। लेकिन उद्योग में  आपूर्ति पक्ष के व्यवधान दिख रहे हैं। इसके अलावा विपरीत मृत्यु दर के  जोखिम के कारण बीमा कंपनियों द्वारा प्रीमियम बढ़ाए जाने पर जोर दिए जाने  से अधिक मदद नहीं मिली है।
बजाज आलियांज लाइफ  इंश्योरेंस के एमडी एवं सीईओ तरुण चुघ ने कहा, ‘ग्राहकों के बीच अब जोखिम  कवरेज की धारणा काफी बढ़ गई है। पिछले 20 वर्षों में ऐसा पहली बार हो रहा  है कि बीमा योजनाओं को बेचने में अधिक परेशानी नहीं हो रही है बल्कि  ग्राहकों को थोड़ा आकर्षित करने की जरूरत है।’
वैश्विक  महामारी की शुरुआती अवधि में जीवन बीमा उद्योग में काफी उथल-पुथल दिखा था।  बाद में जीवन बीमा योजनाओं की मांग में कई गुना वृद्धि दर्ज की गई लेकिन  आपूर्ति पक्ष की बाधाओं के कारण मांग को पूरी तरह भुनाया नहीं जा सका। इसके  बावजूद उद्योग वित्त वर्ष 2021 में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज करने में सफल  रहा। आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल लाइफ इंश्योरेंस के एमडी एवं सीईओ एनएस कन्नन  ने कहा, ‘कोविड-19 की शुरुआती अवधि और दूसरी लहर के दौरान वृद्धि की रफ्तार  सुस्त पड़ गई थी क्योंकि हमारे पास कई चुनौतियां थीं। लेकिन यदि आप समग्र  तस्वीर पर गौर करेंगे तो पाएंगे  कि यह एक ऐसा उद्योग है जिसने लचीलापन  दिखाया। पिछले साल लॉकडाउन के कारण पैदा हुए व्यवधान के बावजूद हमने 12  फीसदी की वृद्धि दर्ज की। इस साल अब तक हमने करीब 6 फीसदी की वृद्धि दर्ज  की है। इसलिए मैं समझता हूं कि वैश्विक महामारी के बावजूद इस प्रकार की  वृद्धि दर अच्छी है। कुल मिलाकर उद्योग ने खुद को काफी बेहतर तरीके से  संभाला।’
भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के  एमडी राज कुमार ने कहा कि वैश्विक महामारी के दौरान मुख्य तौर पर तीन  मोर्चों- नए ग्राहक हासिल करना, सेवाएं एवं दावों के निपटान- पर चुनौतियों  से जूझना पड़ा। उन्होंने कहा कि उद्योग ने इन चुनौतियों से निपटने के लिए  अवसरों का फायदा उठाया और नए प्रणालियां स्थापित की।
बीमा  कंपनियों के प्रमुखों ने कहा कि स्वास्थ्य बीमा और जीवन बीमा दोनों  श्रेणियों की मांग में तेजी दर्ज की गई। उन्होंने कहा कि इसे लेकर कोई शंका  नहीं है। पॉलिसीबाजार डॉट कॉम की मूल कंपनी पीबी फिनटेक के चेयरमैन एवं  सीईओ याशिष दहिया ने कहा, हमें कोविड-19 से पहले के मुकाबले मांग में  दोगुना वृद्धि दिख रही है। हालांकि उद्योग ने हर संभव कोशिश की है लेकिन यह  एक कठिन प्रक्रिया रही है।