कृषि की दशा सुधारने में लगी है सिपानी

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 9:41 AM IST

मध्य प्रदेश के एक छोटे से कस्बे में स्थित एक फर्म कृषि सुधार की बयार बहाने में लगी हुई है। राज्य के मंदसौर में स्थित फर्म ‘सिपानी एग्री रिसर्च फार्म’ ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) से करार किया है।

प्रदेश में अनाज और दलहनों के लिए विभिन्न बीज शोधों और फसल सुधार योजनाओं पर 26 करोड़ रुपये के निवेश की योजना बना चुकी यह कंपनी अब आईसीएआर के साथ मिल कर विभिन्न बीज शोधों और अन्य विकास गतिविधियों पर काम करेगी।

कंपनी के प्रमुख एन एस सिपानी और प्रमुख वैज्ञानिक एस एस सिंह ने इसके लिए पिछले महीने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। कंपनी अनाज और दलहनों के लिए प्लांट ब्रीडिंग और फसल सुधार कार्यक्रमों में पहले से ही लगी हुई है।

कंपनी सोयाबीन, मक्का, गेहूं, तूर दाल, कपास और सब्जियों की पैदावार बढ़ाने के लिए पिछले 15 वर्षों से कार्यरत है। कंपनी ने गेहूं, सोयाबीन और तूर दाल (पिजन पी) की कुछ ऐसी प्रजातियां विकसित करने में सफलता हासिल की है जो अच्छी पैदावार दे सकती हैं।

सिपानी ‘मोहन वंडर’ नामक गेहूं प्रजाति को विकसित करने और इसकी बिक्री करने में सफल रही है।  यह प्रजाति बढ़िया गेहूं की गुणवत्ता और उच्च पैदावार का संयुक्त मिश्रण है।

कंपनी के प्रमुख एनएस सिपानी ने बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत में कहा, ‘आईसीएआर के साथ नया समझौता अधिक पैदावार और कम सिंचाई वाली प्रजातियां विकसित करने के लिए एक अहम कदम है।

हम इसी तरह के समझौते राज्य सरकार के साथ कर सकते हैं, लेकिन हमें राज्य सरकार की ओर से इस संबंध में कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है।’

सिपानी ने कहा, ‘हमने 110-130 दिनों की अवधि वाली और 2 टन प्रति हेक्टेयर क्षमता वाली तीन और तूर दाल किस्में विकसित की हैं।’

First Published : July 6, 2008 | 11:03 PM IST