लोकसभा चुनाव की आहट होते ही उत्तर प्रदेश की सरकार ने लोक लुभावन घोषणाओं की बरसात कर दी है।
माया सरकार ने पहले तो राज्य कर्मचारियों को केंद्र की तर्ज पर छठे वेतन आयोग की सौगात दी और अब सामान्य वर्ग के लोगों की सरकारी नौकरी में भर्ती की घोषणा की है। राज्य में बीते आठ सालों से सामान्य कोटे की सरकारी नौकरी में भर्ती पर रोक को मायावती ने खत्म कर दिया है।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में वर्ष 2000 से ही सामान्य कोटे की सरकारी भर्ती पर रोक लगी थी जिसे मायावती ने एक आदेश के जरिए खत्म कर दिया है। इस आदेश के बाद राज्य में सामान्य कोटे की खाली पड़ी 80000 सीटों पर भर्ती शुरु की जा सकेगी।
राज्य कैबिनेट ने जारी आदेश में साफ किया है कि तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के पदों को अलग से भर्ती प्रक्रिया शुरू कर भरा जाएगा, जिसकी शुरुआत अगले ही महीने से कर दी जाएगी। भर्ती पर रोक लगी होने से कर्मचारी संगठन इसकी शुरुआत करने का दबाव बना रहे थे।
संगठनों का कहना था कि इधर के सालों मे लगातार कर्मचारी रिटायर हो रहे थे जबकि भर्ती शून्य रही। राज्य इस समय एक लाख कर्मचारियों का टोटा है जबकि भर्ती के नाम पर आरक्षित पदों को ही भरा गया है। सूबे में बड़े पैमाने पर आखिरी बार तृतीय श्रेणी के पद वर्ष 2000 में भरे गए थे।
इसके अलावा विधान सभा के 2002 में हुए चुनाव के ठीक पहले रिटायरमेंट की आयु 58 से बढ़ाकर 60 साल कर दी गई थी।गौरतलब है राज्य सरकार ने हाल ही में अपने कर्मचारियों को 3500 रुपये के बोनस देने का भी ऐलान किया है। दीवाली के मद्देनजर बोनस की रकम कर्मचारियों को पहले ही दे दी जाएगी।
साथ ही इस बार राज्य कर्मचारियों को वेतन का भुगतान भी दिवाली से पहले करने की व्यवस्था की गयी है। एक अन्य महत्वपूर्ण फैसले में राज्य सरकार ने विकलांग विश्वविद्यालय के लिए 71 करोड़ रुपये जारी कर इसके निर्माण कार्य को तेजी से पूरा करने की शुरुआत की है।