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…मगर ये महाभारत तो बहुत महंगी पड़ी

Last Updated- December 07, 2022 | 5:00 AM IST

अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की मांग को लेकर पिछले 19 दिनों से चल रहे गुर्जर आंदोलन ने राजस्थान समेत आस-पास के राज्यों की अर्थव्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित किया है।


यही नहीं, आंदोलन के हिंसात्मक रूप धारण करने की वजह से एक पुलिसकर्मी समेत 39 लोगों को जान से भी हाथ धोना पड़ा। आंदोलन की वजह से राज्य में व्यापार को करीब 8,000 से 10,000 करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान है।

कच्चे माल की आपूर्ति बाधित होने से कई कंपनियां क्षमता से आधी उत्पादन कर पा रही हैं, वहीं तैयार माल को भेजने में भी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। फेडरेशन ऑफ राजस्थान ट्रेड एंड इंडस्ट्री (एफओआरटीआई) के महासचिव प्रेम बियाणी का मानना है कि राज्य के उद्योगों को 19 दिनों में तकरीबन 5000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।

सबसे ज्यादा नुकसान परिवहन, पर्यटन और कमोडिटी कारोबारियों को उठाना पड़ा है। स्थानीय ट्रांसपोर्टर गुरनाम सिंह ने बताया कि ट्रांसपोर्टरों को तकरीबन 100 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। कमोडिटी व्यापारी अनिल जैन ने बताया कि ट्रकों के नहीं चलने से कई वस्तुएं समय से गंतव्य तक नहीं पहुंचने से कमोडिटी कारोबारियों को करीब 50 करोड़ रुपये की चपत लगी है।

यही नहीं, गेहूं और सरसों की आपूर्ति बाधित होने की वजह से राज्य के कई इलाकों में इनके दामों में 4 से 5 फीसदी का उछाल आया है। पर्यटन व्यवसाय पर भी गुर्जर आंदोलन का असर पड़ा और मई-जून के दौरान बहुत कम संख्या में विदेशी पर्यटक राज्य में आए। हालांकि इस दौरान घरेलू पर्यटकों की संख्या में ज्यादा कमी नहीं आई। राज्य के होटल कारोबारियों और टूरिस्ट टैक्सी चालकों का कारोबार भी प्रभावित हुआ।

टैक्सी ओनर रामनारायण ने बताया कि सामान्य दिनों में हमारी 800 से 12,00 रुपये रोजाना कमाई हो जाती थी, लेकिन पिछले दस दिनों से एक भी पर्यटक नहीं मिला है। ट्रैवल एजेंट करण सिंह ने बताया कि स्थिति सामान्य होने लगी है, तब पर्यटकों ने भी संपर्क करना शुरू कर दिया है। होटल कारोबारी प्रताप सिंह ने बताया कि आंदोलन की वजह से जयपुर के बजट होटलों के कारोबार पर व्यापक असर पड़ा है और व्यवसाय में 10 से 15 फीसदी की गिरावट आई है।

जयपुर मुख्य पर्यटन स्थल है और 2002 में यहां करीब 428,000 विदेशी पर्यटक आए थे, जबकि 2006 में यह आंकड़ा बढ़कर 12 लाख पहुंच गया। घरेलू पर्यटकों की संख्या में भी काफी इजाफा हुआ है, लेकिन आंदोलन की वजह से पर्यटक यहां आने कतराने लगे हैं। इसकी वजह से पर्यटन उद्योग को 70 से 100 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।

10 दिनों तक चले गुर्जर आंदोलन से करीब 8000 से 10,000 करोड़ रुपये के नुकसान की आशंका
पर्यटन, उद्योग, कमोडिटी और परिवहन व्यवसाय पर सबसे ज्यादा चोट

First Published - June 11, 2008 | 12:25 AM IST

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