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पानी से रोशन होगा बिहार

Last Updated- December 07, 2022 | 6:40 AM IST

चीन और जापान ने बिहार में जल विद्युत परियोजनाओं में निवेश की मंशा जाहिर की है। इस सिलसिले में चीन की टीम बिहार पहुंच रही है।


वह जल विद्युत परियोजनाओं को हाइटेक जेनेरेशन उपकरणों की आपूर्ति के लिए बाजार की खोज भी करेगी। वैसे भी बिहार हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कॉरपोरेशन (बीएचपीसी) ने डेहरी-ऑन-सोन के पहरवा में चीन की तकनीक का पहले से ही इस्तेमाल किया है। इसके अलावा जापान भी पनबिजली के लिए सहायता राशि देने को तैयार है।

बिहार के ऊर्जा मंत्री रामाश्रय प्रसाद सिंह ने बताया कि राज्य में जल विद्युत की काफी संभावना है। अगर इसे सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए तो विद्युत संकट से निजात पाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि जल विद्युत पर्यावरण के दृष्टिकोण से भी काफी उपयुक्त है। जापान की इलेक्ट्रिक पावर डेवलपमेंट कंपनी कैमूर जिले में 345 मेगावाट क्षमता की सिनाफदर और 1600 मेगावाट क्षमता की हाथीदह-दुर्गावती पंप स्टोरेज के कार्यान्वयन के लिए भी तैयार है।

जापान पावर के निदेशक एस कोणडो ने पहले ही इन दोनों परियोजना स्थलों का दौरा कर लिया है। वह इस दौरे के बाद काफी उत्साहित हैं। उन्होंने कहा कि बारिश की वजह से पहले से ही जलाशय भर चुके हैं। इसलिए इस परियोजना की सफलता में कोई संदेह नहीं है। उन्होंने बीएचपीसी से कहा कि इस परियोजना के लिए जरुरी फंड के लिए जापान बैंक ऑफ इंटरनेशनल कोऑपरेशन ने सहमति प्रदान कर दी है।

इस पूरी परियोजना को पूरा करने के लिए सरकार और बीएचपीसी पर किसी तरह की वित्त व्यवस्था करने का भार नहीं होगा। जापान की पांच सदस्यीय टीम इस संबंध में बीएचपीसी के अधिकारियों से मिल चुकी है और परियोजना स्थल के भ्रमण की योजना भी बना रही है। भ्रमणकारी टीम तीन दिन तक प्रस्तावित परियोजना स्थल का गहन अध्ययन करेगी। इस टीम में भूगर्भशास्त्री और सिविल इंजीनियर भी शामिल होंगे।

आजादी के इतने साल बीत जाने के बाद भी बिहार में बिजली के विकास की दर काफी धीमी है। राज्य की बिजली उत्पादन क्षमता लगभग 1700 मेगावाट की है। इस तरह से बिहार में बिजली उत्पादन की वार्षिक वृद्धि दर 5.4 प्रतिशत है जो राष्ट्रीय दर 9.5 प्रतिशत की तुलना में काफी कम है। इसी तरह बिहार में प्रति व्यक्ति बिजली की खपत भी अन्य राज्यों की तुलना में काफी कम है।

राज्य की प्रति व्यक्ति बिजली की खपत 104 किलोवाट प्रति घंटे है, जबकि इसकी राष्ट्रीय खपत 220 किलोवाट प्रति घंटे है। उत्तरी क्षेत्र में तो बिजली की उपलब्धता काफी दयनीय है। उत्तर बिहार की बिजली खपत तो महज 18 किलोवाट प्रति घंटे है। बिजली की कमी की वजह से राज्य में औद्योगिक विकास की दर काफी धीमी है।

First Published - June 19, 2008 | 9:43 PM IST

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