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SEBI की नई एसेट कैटेगरी बेहतर, कम होगा म्युचुअल फंड और पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सेवाओं के बीच अंतर

इसमें निवेशक कम से कम 10 लाख रुपये तक का निवेश कर सकता है, जो इसे पीएमएस के मुकाबले निवेशकों की एक वृहद श्रेणी के लिए सुलभ बनाता है।

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सुनयना चड्ढा   
Last Updated- October 14, 2024 | 10:20 PM IST

बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने एक नई परिसंपत्ति श्रेणी (एसेट कैटेगरी) बनाने के लिए मंजूरी दे दी है जो म्युचुअल फंड (एमएफ) और पोर्टफोलियो प्रबंधन सेवाओं (पीएमएस) के बीच के अंतर को पाटेगा। इस नए उत्पाद का मकसद निवेशकों को निवेश के कई तरह के विकल्प प्रदान करना और उनकी अलग-अलग जरूरतों को पूरा करना है।

नई परिसंपत्ति श्रेणी की मुख्य विशेषताएं

लचीलापनः नई परिसंपत्ति श्रेणी में निवेशकों को अपना पोर्टफोलियो बनाने में पारंपरिक म्युचुअल फंडों के मुकाबले अधिक लचीलापन मिलेगा।

न्यूनतम निवेशः इसमें निवेशक कम से कम 10 लाख रुपये तक का निवेश कर सकता है, जो इसे पीएमएस के मुकाबले निवेशकों की एक वृहद श्रेणी के लिए सुलभ बनाता है। पीएमएस में काफी ज्यादा निवेश की जरूरत होती है।

संरचित दृष्टिकोणः लचीलेपन की पेशकश के साथ नई परिसंपत्ति श्रेणी में एक संरचित (स्ट्रक्चर्ड)दृष्टिकोण मिलेगा, जिसमें निवेशकों को कुछ फायदे म्युचुअल फंड जैसे ही मिलेंगे।

नियामक रखेगा नजर: सेबी निवेशकों की सुरक्षा और पारदर्शिता सुनिश्चित करते हुए इस नई परिसंपत्ति श्रेणी को विनियमित करेगा।

स्पष्ट अंतरः इस नई परिसंपत्ति श्रेणी को पारंपरिक म्युचुअल फंड योजनाओं से अलग करने के लिए ‘इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटेजीज'(निवेश रणनीतियां ) शब्द का उपयोग किया जाएगा।

निवेश में अंतर को पाटेगा यह विकल्प

फिलहाल निवेश में मुख्य तौर पर तीन विकल्प मिलते हैंः

  1. म्युचुअल फंडः इसमें कम से कम 500 रुपये का निवेश करना होता है
  2. पोर्टफोलियो प्रबंधन सेवाएं (पीएमएस): इसमें कम से कम 50 लाख रुपये निवेश करना होता है
  3. आल्टर्नेटिव इन्वेस्टमेंटः इसमें कम से कम 1 करोड़ रुपये का निवेश करना होता है।

नई परिसंपत्ति श्रेणी म्युचुअल फंड और पीएमएस के बीच मौजूद अंतर को पाट देगा जिससे निवेशकों को 10 लाख रुपये से 50 लाख रुपये के बीच निवेश करने का एक विकल्प मिलेगा।

नुवामा वेल्थ के प्रेसिडेंट एवं हेड राहुल जैन ने कहा, ‘सेबी द्वारा नई परिसंपत्ति श्रेणी (एनएसी) की पेशकश सराहनीय कदम है। यह अत्यधिक जोखिम ले सकने वाले अमीर निवेशकों को जबरदस्त अवसर उपलब्ध कराएगा कि वे लॉन्ग-शार्ट या इनवर्स एक्सचेंज ट्रेडेड फंड जैसी रणनीतियों का फायदा उठाएं। इससे निश्चित तौर पर उनका पोर्टफोलियो बेहतर होगा।’

फिलहाल, पारंपरिक म्युचुअल फंड के जरिये ऐसी रणनीतियों का फायदा नहीं उठाया जा सकता। खास बात है कि इन योजनाओं का प्रबंधन नियामक द्वारा निर्धारित नियमों के मुताबिक पेशेवर करेंगे। जैन ने कहा, ‘एनएसी इन रणनीतियों तक पहुंच के लिए अविनियमित और अनधिकृत उत्पादों का उपयोग करने की जरूरतें खत्म कर निवेशकों को फायदा पहुंचाएगा।’

क्या इसमें जोखिम होगा?

कैपिटल माइंड के संस्थापक और मुख्य कार्य अधिकारी दीपक शेनॉय ने कहा, ‘उत्पाद जोखिम भरे लगते हैं मगर केवल मामूली तौर पर और यह प्रबंधकों के लिए लाभ हिस्सेदारी की पेशकश नहीं करते हैं। साथ ही उन्हें पेश करने से पहले विनियामक इसके बारे में विस्तार से जानकारी दे सकता है।’

सेबी ने कहा कि नई परिसंपत्ति श्रेणी में कम से कम 10 लाख रुपये का निवेश करना होगा। शेनॉय ने कहा, ‘यह परामर्श पत्र में था, लेकिन यह ऐसी सभी नई परिसंपत्ति श्रेणी योजनाओं में कुल निवेश के तौर पर लागू होता है। इसलिए प्रति योजना के आधार पर राशि कम हो सकती है।’

सुरक्षा के उपाय

लीवरेज नहींः जोखिम को कम करने के लिए नई परिसंपत्ति श्रेणी में लीवरेज की इजाजत नहीं।

प्रतिबंधित निवेशः असूचीबद्ध और बगैर रेटिंग वाले साधनों में निवेश पर प्रतिबंध उसी तरह से लागू रहेगा जैसा कि म्युचुअल फंडों पर लागू होता है।

डेरिवेटिव में निवेशः गैर हेजिंग और पुनर्संतुलन उद्देश्यों के लिए डेरिवेटिव निवेश को प्रबंधनाधीन परिसंपत्ति के 25 फीसदी तक सीमित किया जाएगा।

First Published : October 14, 2024 | 10:20 PM IST