समीक्षा वर्ष 2020-21 के लिए अद्यतन आयकर रिटर्न (ITR-U) जमा करने की आखिरी तारीख 31 मार्च 2023 है। वित्त अधिनियम, 2022 के तहत आईटीआर जमा करने के लिए यह नई सुविधा शुरू की गई है। इसके जरिये करदाता अद्यतन आईटीआर जमा कर सकते है। यह प्रावधान शुरू करने के लिए आयकर अधिनियम की धारा 139 के तहत एक नई उप-धारा जोड़ी गई है। अद्यतन आईटीआर जमा करने की यह सुविधा 1 अप्रैल 2022 से प्रभावी हुई है।
इस सुविधा के तहत करदाताओं को दो वर्षों के भीतर आईटीआर अद्यतन करने का मौका दिया जाता है। अगर किसी व्यक्ति से आईटीआर भरने में कोई गलती हो गई है या वह मूल आईटीआर जमा करते वक्त अतिरिक्त आय दिखा नहीं पाया है तो आटीआर-यू का विकल्प काम आ सकता है। आईटीआर भरने में देरी या संशोधित रिटर्न दाखिल कर चुके करदाता भी अद्यतन आईटीआर जमा कर सकते हैं।
आयकर विभाग की तरफ से शुरू की गई इस नई सुविधा पर सीएनके में पार्टनर पल्लव प्रद्युमन्न नारंग कहते हैं, ‘जिस वर्ष वास्तविक रिटर्न दाखिल किया गया था दो वर्ष की गणना वहां से की जाएगी। कानूनी कार्रवाई के बिना कर अनुपालन बढ़ाने के लिए आईटीआर-यू की शुरुआत की गई थी।’ कुल मिलाकर एवाई 2020-21 (वित्त वर्ष 2019-20) के लिए आईटीआर-यू दाखिल करने के लिए करदाताओं के पास 90 दिनों से कम समय रह गया है।
नारंग कहते हैं, ‘ आयकर विभाग ने एवाई 2022-23 (एफवाई 2021-22) के लिए भी आईटीआर-यू रिटर्न की सुविधा शुरू कर दी है। ‘आईटीआर-यू करदाताओं को आय संबंधी आंकड़े सुधारने या इनमें संशोधन करने और कर अधिकारियों की नजरों में चढ़ने से बचने का अवसर जरूर देता है मगर इसके कुछ फायदे-नुकसान भी हैं।
अद्यतन रिटर्न उसी स्थिति में दाखिल करना चाहिए जब आईटीआर में अतिरिक्त आय दिखाई जाती है और कर देनदारी बढ़ जाती है। विक्टोरियम लीगिलिस-एडवोकेट्स ऐंड सोलिसिटर्स में मैनेजिंग पार्टनर आदित्य चोपड़ा कहते हैं, ‘ अद्यतन आईटीआर रिटर्न जमा करने का विकल्प केवल उन करदाताओं के लिए है जिन्होंने मूल आईटीआर में अतिरिक्त आय का जिक्र नहीं किया था मगर अब इसकी जानकारी देना चाहते हैं। वे करदाता इस सुविधा का लाभ नहीं ले सकते हैं जो अपनी आय और कर देनदारी घटाने के लिए आईटीआर में संशोधन करना चाहते हैं।’
करदाता को आईटीआर-यू में घोषित अतिरिक्त आय पर कुल देय कर का 25 से 50 प्रतिशत तक अतिरिक्त कर (संबंधित एवाई की समाप्ति से 12 महीने के भीतर रिटर्न जमा करने पर 25 प्रतिशत और संबंधित एवाई की समाप्ति से 24 महीनों के भीतर रिटर्न जमा करने पर 50 प्रतिशत) का भुगतान करना होगा। चोपड़ा कहते हैं, ‘ अतिरिक्त कर कुछ ज्यादा ही लग रहा है और संभवतः उन करदाताओं की चिंताएं बढ़ा सकता है जो इस सुविधा का लाभ उठाना चाहते हैं। ऊंचे कर एवं ब्याच को देखते हुए करदाताओं के मन में भय समा सकता है।’
रिफंड बढ़ने की गुंजाइश होने पर अद्यतन रिटर्न दाखिल नहीं किया जा सकता है। वेद जैन ऐंड एसोसिएट्स में पार्टनर अंकित जैन कहते हैं, ‘ कोई करदाता रिफंड के लिए दो दावे नहीं कर सकता है। अद्यतन रिटर्न में भी कर में अतिरिक्त रियायत का दावा नहीं किया जा सकता है।’आई पी पसरीचा ऐंड कंपनी में पार्टनर मनीत पाल सिंह कहते हैं, ‘ रिटर्न ऑफ लॉस या ऐसे मामलों में अद्यतन आईटीआर जमा नहीं किए जा सकते जिनमें कर देनदारी घटने या बढ़ने की गुंजाइश होती है। ‘
अगर किसी करदाता के खिलाफ कर जांच, खोजबीन या पूछताछ चल रही है तो वह अद्यतन आईटीआर नहीं भर सकता। रिटर्न अद्यतन करने का मौका केवल एक बार मिलता है। जैन कहते हैं, ‘ करदाताओं को इस बात का पूरा ख्याल रखना चाहिए कि अद्यतन आईटीआर जमा करने के बाद दिखाने के लिए कुछ रह नहीं जाए। सभी आय वैध दिखाने के लिए करदाता सालाना सूचना लेखा-जोखा (एआईएस) और करदाता सूचना रारांश (टीआईएस) का इस्तेमाल कर सकते हैं।’
आयकर विभाग की इस पहल का लाभ आपको तब मिलेगा जब आप अद्यतन आईटीआर जमा करते हैं। लूथरा ऐंड लूथरा लॉ ऑफिसेस इंडिया में पार्टनर सुमित मंगल कहते हैं, ‘ जब एक अद्यतन रिटर्न फाइल किया जाता है तो विस्तृत जांच में अधिक समय लगता है।’
अगर कोई करदाता मूल आईटीआर में किसी कारणवश अतिरिक्त कर योग्य आय नहीं दिखा पाया है तो उसे अद्यतन आईटीआर जमा करने का अवसर नहीं गंवाना चाहिए। जैन कहते हैं, ‘ हालांकि ऐसा करने ने अधिक कर का भुगतान करना पड़ सकता है मगर बाद में कर अधिकारियों की जांच के बाद 300 प्रतिशत जुर्माना देने का जोखिम नहीं रह जाता है।’ कर अधिकारियों के पास इन दिनों तमाम सूचनाएं होती हैं इसलिए करदाताओं को घबराना नहीं चाहिए।
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अद्यतन रिटर्न पर भुगतान किया हुआ कर जुर्माने की तुलना में काफी कम होता है। नारंग के अनुसार एक फायदा यह भी होता है कि अगर किसा करदाता ने मूल आईटीआर नहीं भरा है तो भी वह अद्यतन रिटर्न भर सकता है। मगर आपके आईटीआर भरने के बाद आयकर विभाग भी अपनी तरफ से आवश्यक प्रक्रिया (आईटीआर प्रोसेसिंग) पूरी कर चुका है तो यहां थोड़ा ध्यान देने का जरूरत है।
नारंग कहते हैं, ‘अगर विभाग के सेंट्रलाइज्ड प्रोसेसिंग सेंटर (सीपीसी) ने रिटर्न प्रोसेस कर दिया है तो इसमें किसी तरह के संशोधन के लिए आयकर रिटर्न की धारा 154 के तहत एक त्रुटि निवारण अनुरोध करना उचित होगा। इससे 25 या 50 प्रतिशत अतिरिक्त कर नहीं भरना होगा।’