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RIL, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स, Exide, सोना BLW और यूनो मिंडा पर नोमुरा दांव क्यों लगा रहा?

चीन अब पहले जैसा सामान बनाने वाला नहीं रहा, वो अब पैसा लगाने वाला बन गया है। ज्यादातर वो अपना पैसा दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों (आसियान) में लगा रहा है।

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पुनीत वाधवा   
Last Updated- May 28, 2024 | 9:35 PM IST

विश्लेषकों के अनुसार, भारत और वियतनाम चीन + 1 रणनीति के सबसे बड़े एशियाई लाभार्थी हो सकते हैं। नोमुरा के विश्लेषकों का कहना है कि भारत का निर्यात 2023 के 431 अरब डॉलर से बढ़कर 2030 तक 835 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा, जो 10 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) है। नोमुरा का कहना है कि चीन से सप्लाई चेन में बदलाव ने अर्थशास्त्री कनामे अकामात्सु द्वारा बताए गए ‘wild-geese-flying pattern’ को गति दी है, जिसके तहत प्रोडक्शन विकसित देशों से विकासशील देशों में ट्रांसफर हो जाता है।

भारत में अमेरिका और विकसित एशियाई देश कर रहे निवेश

चीन अब पहले जैसा सामान बनाने वाला नहीं रहा, वो अब पैसा लगाने वाला बन गया है। ज्यादातर वो अपना पैसा दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों (आसियान) में लगा रहा है, जबकि भारत में ज्यादातर अमेरिका और विकसित एशियाई देश पैसा लगा रहे हैं।

नोमुरा का मानना है कि इस बदलाव से भारत में कई प्रोडक्ट बनाने वाली कंपनियों को फायदा हो सकता है। जैसे – मोबाइल और सौर ऊर्जा का सामान बनाने वाली कंपनियां, कुछ खास गाड़ियां और गाड़ियों के पार्ट्स बनाने वाली कंपनियां, इलेक्ट्रिक गाड़ियों से जुड़ी कंपनियां, दवा और नई दवाइयां बनाने वाली कुछ कंपनियां और आखिर में सेना का सामान बनाने वाली कंपनियां।

इन भारतीयों कंपनियों को सकता है सबसे ज्यादा फायदा

नोमुरा की रिपोर्ट लिखने वाले सायन मुखर्जी का कहना है कि इन सब में रिलायंस, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स, एक्साइड, सोना BLW और यूनो मिंडा जैसी कंपनियों को ज्यादा फायदा हो सकता है।

कंपनियां अब ज्यादा पैसा सामान बनाने पर लगाएंगी जिससे भारत की कंपनियों का मुनाफा 12 से 17 प्रतिशत तक बढ़ने की उम्मीद है। साधारण शब्दों में, जितना ज्यादा सामान भारत में बनेगा, उतना ही ज्यादा मुनाफा कंपनियों को होगा। इससे भारत का व्यापार घाटा भी कम होगा और विदेशी मुद्रा की कमी भी दूर होगी।

दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों में सबसे आगे वियतनाम है, जहां चीन की कंपनियां सबसे ज्यादा पैसा लगा रही हैं। वहां ज्यादातर निवेश गाड़ियों (खासकर इलेक्ट्रिक गाड़ियों), इलेक्ट्रॉनिक सामान (कंप्यूटर), सौर ऊर्जा पैनल और जहाज के कंटेनर और रसायन बनाने जैसे क्षेत्रों में हो रहा है। नोमुरा का कहना है कि इससे वियतनाम का निर्यात 2023 के 353 अरब डॉलर से बढ़कर 2030 तक 750 अरब डॉलर हो जाएगा, जो सालाना 11.4 प्रतिशत की वृद्धि है।

ज्यादा प्रोडक्ट बनाने वाली कंपनियां कमाएंगी ज्यादा मुनाफा

मुखर्जी ने आगे कहा, “भारत में कंपनियां जितना ज्यादा सामान बनाएंगी, उतना ही ज्यादा मुनाफा कमाएंगी। इस मुनाफे का कुछ हिस्सा कंपनियां शेयरधारकों को बांटेंगी (dividend) जिससे लोगों के पास ज्यादा पैसा होगा और वो ज्यादा खर्च कर पाएंगे। इससे फिर से कंपनियों की बिक्री और मुनाफा बढ़ेगा।”

नोमुरा का कहना है कि जब कंपनियां ज्यादा मुनाफा कमाएंगी और भारतीय लोग शेयर बाजार में पैसा लगाएंगे तो शेयरों की कीमतें ऊंची रहेंगी। खासकर उन कंपनियों के शेयर जिनका भारत में सामान बनाने और बेचने से जुड़ा कारोबार है।

भले ही ये सब सुनने में अच्छा लगता है, असल में फायदा होने में थोड़ा वक्त लगेगा। निवेशकों को जल्दी पैसा कमाने की सोच छोड़नी होगी और थोड़ा सब्र रखना होगा। भारत में जितना ज्यादा सामान बनना शुरू होगा, कंपनियां और बाजार उतना ही मजबूत होंगे, तब जाकर निवेशकों को अच्छा मुनाफा मिलेगा। नोमुरा का कहना है कि एशिया की अर्थव्यवस्था में बड़ा बदलाव हो रहा है, जिसका फायदा उठाने के लिए निवेशकों को धैर्य रखना होगा। जल्दी फायदे की उम्मीद ना करें।

First Published : May 28, 2024 | 4:02 PM IST