इक्विटी बाजारों की चाल जनवरी में घटनाक्रम पर आधारित रही। जहां कमजोर नतीजों वाले शेयरों पर दबाव पड़ा, वहीं मजबूत वित्तीय परिणाम दर्ज करने या बजट से लाभ मिलने की उम्मीद वाले शेयरों को निवेशकों ने ज्यादा पसंद किया। कुल मिलाकर, पिछले दो महीनों के दौरान मजबूत तेजी के बाद सेंसेक्स और निफ्टी सूचकांकों में ठहराव आया है।
हालांकि महंगे मूल्यांकन से जुड़ी चिंताओं के बावजूद प्रमुख सूचकांकों में ज्यादा गिरावट का संकेत नहीं दिखा है। निफ्टी मीडिया और प्राइवेट बैंक सूचकांकों ने ज्यादा गिरावट दर्ज की, खासकर जी एंटरटेनमेंट और एचडीएफसी बैंक में आई बड़ी कमजोरी की वजह से इन पर दबाव पड़ा।
स्मॉलकैप और मिडकैप में तेजी की वजह से, भारत का बाजार पूंजीकरण 15.5 लाख करोड़ रुपये तक बढ़कर 380 लाख करोड़ रुपये हो गया और वैश्विक तौर पर यह हांगकांग को पीछे छोड़ते हुए चौथा सबसे बड़ा बाजार बन गया। वैश्विक फंडों ने 27,000 करोड़ रुपये से अधिक की निकासी की, जबकि म्युचुअल फंडों ने 20,000 करोड़ रुपये की खरीदारी की।