कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज की ताजा रिपोर्ट में तर्क दिया गया है कि वित्त वर्ष 2025-26 में रेलवे से जुड़े शेयरों में अब तक जो बड़ी तेजी आई है, वह मिडकैप और स्मॉलकैप में आई चौतरफा तेजी की वजह से है। उसने इन शेयरों के बुनियादी तत्वों और कीमतों के बीच ‘बड़ा अंतर’ होने को लेकर भी आगाह किया है।
केआईई के प्रबंध निदेशक और सह-प्रमुख संजीव प्रसाद ने अनिंद्य भौमिक और सुनीता बलदवा के साथ तैयार एक रिपोर्ट में कहा है, ‘हमें रेलवे कंपनियों के बुनियादी आधार और उनके शेयर भावों के बीच बड़ा अंतर दिख रहा है। पीएसयू रेलवे शेयर बुक वैल्यू (नेटवर्थ) के कई गुना और बहुत अधिक पीई मल्टीपल पर कारोबार कर रहे हैं। कंपनियों की वित्त और वृद्धि की संभावनाओं के साथ इन कीमतों को सही ठहराना बहुत मुश्किल है।’
दलाल पथ पर रेलटेल कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया का शेयर वित्त वर्ष 2026 में करीब 47 फीसदी चढ़ा है। एसीई इक्विटी के आंकड़ों से पता चलता है कि इरकॉन इंटरनैशनल, राइट्स, टैक्समैको रेल, रेल विकास निगम , टीटागढ़ रेल सिस्टम्स और इंडियन रेलवे फाइनैंस कॉरपोरेशन में 17 से 40 फीसदी तक की तेजी आई है।
इसकी तुलना में निफ्टी-50 सूचकांक में 6.3 फीसदी की तेजी आई है जबकि निफ्टी सीपीएसई सूचकांक इस दौरान 6.7 फीसदी तक चढ़ा है। जियोजित
फाइनैंशियल सर्विसेज में वरिष्ठ उपाध्यक्ष गौरांग शाह का भी मानना है कि रेल शेयरों में तेजी काफी अधिक है और तेजी से भी आई है। अल्पावधि में उन्होंने इस क्षेत्र में निवेशकों को मुनाफावसूली का सुझाव दिया है।
शाह ने कहा, ‘यह क्षेत्र दीर्घावधि के लिहाज से आकर्षक दिख रहा है। परिदृश्य को इस लिहाज से भी देखना चाहिए कि भारत के रक्षा क्षेत्र में क्या हो रहा है। सरकार के अनुसार आखिरी छोर तक संपर्क एक मसला है। इस कारण ज्यादातर ढुलाई सड़क के जरिये होती है। इस दिशा में कोई समाधान रेल क्षेत्र में बदलाव ला सकता है। इसके बावजूद रक्षा और रेल शेयर अल्पावधि से मध्यावधि में महंगे दिख रहे हैं। जिन निवेशकों को पैसे की जरूरत है, वे पैसा निकाल सकते हैं।’
केआईई की रिपोर्ट में कहा गया है कि रेल शेयरों में तेजी का एक और कारण सभी क्षेत्रों में स्मॉल और मिडकैप (एसएमआईडी) शेयरों के लिए बढ़ता उत्साह है। केआईई के अनुसार सात रेल शेयरों – आईआरएफसी, रेलटेल, इरकॉन, राइट, जुपिटर वैगंस, टीटागढ़ वैगंस और आरवीएनएल का बाजार पूंजीकरण 5 जून तक 3.6 लाख करोड़ रुपये था जबकि बुक वैल्यू 78,400 करोड़ रुपये और शुद्ध लाभ 9,900 करोड़ रुपये (वित्त वर्ष 2025 में) था।
केआईई को रेलवे के पूंजीगत खर्च में ‘कोई खास तेजी’ नहीं दिख रही है जिससे संबंधित कंपनियों की आय बढ़ सके और स्टॉक एक्सचेंज में उनका ऊंचा प्रीमियम सही साबित हो सके। प्रसाद का मानना है कि भारतीय रेलवे ने पिछले 10 वर्षों में रोलिंग स्टॉक और ट्रैक में बड़े निवेश के साथ अपने नेटवर्क की क्षमता को अच्छा-खासा बढ़ा लिया है। लेकिन हाई-स्पीड रेलवे नेटवर्क जैसी नई परियोजनाओं पर स्थिति पूरी तरह स्पष्ट नहीं है। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘रेलवे क्षेत्र का ज्यादातर पूंजीगत खर्च केंद्रीय सरकार के बजट से जुड़ा हुआ है।’