मंगलवार को भारतीय रुपये और बॉन्ड में कमजोरी आई क्योंकि सत्तारूढ़ भाजपा आम चुनाव में अपने बूते बहुमत हासिल करने में कामयाब नहीं हो पाई। पार्टी को एक्जिट पोल के अनुमानों के अनुरूप सीटें नहीं मिली हैं। हालांकि भाजपा-नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन बहुमत का आंकड़ा पार करने में सफल रहा है।
डॉलर के मुकाबले रुपया 83.53 पर बंद हुआ। सोमवार को यह भाव 83.14 था। स्थानीय मुद्रा ने 6 फरवरी 2023 के बाद सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने डॉलर बिक्री के जरिये विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप किया।
कारोबारियों का कहना है कि इससे रुपये को डॉलर की तुलना में 83.57 रुपये के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंचने से रोकने में मदद मिली। बेंचमार्क 10-वर्षीय सरकारी बॉन्ड पर यील्ड सोमवार को 7.94 प्रतिशत के मुकाबले 7.04 प्रतिशत पर आ गया, जो 6 अक्टूबर 2023 के बाद से बेंचमार्क यील्ड में एक दिन की सबसे तेज वृद्धि है। 7.18 प्रतिशत वाले 2033 श्रेणी के बॉन्डों में ज्यादा कारोबार हुआ और वे 7.11 प्रतिशत पर बंद हुआ जबकि इनका पिछला बंद भाव 7 प्रतिशत था।
कारोबारियों का मानना है कि रुपये में उतार-चढ़ाव जुलाई में आम बजट आने तक बना रहेगा। करूर वैश्य बैंक में ट्रेजरी प्रमुख वी आर सी रेड्डी ने कहा, ‘बाजार में गिरावट का कारण यह था कि राजग को कम बहुमत मिला जिसकी उम्मीद बाजार को नहीं थी। बाजार मान रहा था कि राजग को शानदार बहुमत मिलेगा।’
उन्होंने कहा, ‘बाजार में उतार-चढ़ाव जुलाई तक चलेगा। आरबीआई विदेशी मुद्रा बाजार में दखल देने को तैयार रहेगा क्योंकि अस्थिर सरकार के कारण आगे भी गिरावट की आशंका है और केंद्रीय बैंक किसी भी तेज गिरावट को होने नहीं देगा।’बॉन्ड बाजार के कारोबारियों का मानना है कि बॉन्ड पर अल्पावधि में यील्ड बढ़ेगा।
पीएनबी गिल्ट्स के वरिष्ठ कार्यकारी उपाध्यक्ष विजय शर्मा ने कहा, ‘बॉन्ड यील्ड 7 प्रतिशत से नीचे बना रहेगा। मेरा मानना है कि अल्पावधि में दबाव बना रहेगा, लेकिन कुल मिलाकर ब्याज दरें नीचे आ रही हैं, हालांकि अल्पावधि में यील्ड 10-12 आधार अंक और बढ़ सकता है।’
उधारी के आंकड़ों में गिरावट की उम्मीद से महीने के दौरान कारोबारियों में सकारात्मक धारणा को बढ़ावा मिल सकता है। इसके अलावा, जेपी मॉर्गन बॉन्ड सूचकांक में शामिल किए जाने से विदेशी मुद्रा की आवक बढ़ने से यील्ड पर दबाव पड़ सकता है। सितंबर 2023 में जेपी मॉर्गन ने घोषणा की थी कि वह फुली एक्सेसिबल रूट (FAR) के तहत आरबीआई की ओर से जारी सरकारी प्रतिभूतियों को अपने जीबीआई-ईएम में शामिल करेगा। शामिल करने की प्रक्रिया 28 जून से शुरू होगी और 10 महीने तक चलेगी।