शेयर बाजार

जीएसटी कटौती और फेड के आशावाद के बावजूद FPI की निकासी

नैशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार सितंबर में अब तक एफपीआई ने 10,782 करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं।

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सुन्दर सेतुरामन   
Last Updated- September 14, 2025 | 9:49 PM IST

अमेरिकी फेडरल रिजर्व के ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद और इस महीने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को युक्तिसंगत बनाने से उपजे आशावाद के बावजूद विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की भारतीय शेयर बाजारों से बिकवाली जारी है।

नैशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार सितंबर में अब तक एफपीआई ने 10,782 करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं। सितंबर 2024 के अंत में नैशनल स्टॉक एक्सचेंज निफ्टी और बीएसई सेंसेक्स के रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचने के बाद यह बिकवाली तेज हुई। अक्टूबर 2024 से मार्च 2025 के बीच एफपीआई ने भारतीय बाजारों से 2.2 लाख करोड़ रुपये की निकासी की।

जुलाई-सितंबर और अक्टूबर-दिसंबर तिमाहियों में कंपनियों के कमजोर परिणामों ने मूल्यांकन को कमजोर कर दिया जो महामारी के बाद की तेजी के दौरान बहुत बढ़ गए थे।

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में डॉनल्ड ट्रंप की जीत और अमेरिकी व्यापार नीति को लेकर अनिश्चितता ने विदेशी पूंजी निवेश पर और दबाव डाला। हालांकि अप्रैल में राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा घोषित 90 दिवसीय टैरिफ विराम ने विदेशी निवेशकों के लिए भारत को लेकर उम्मीदें जगाईं।

अप्रैल से जून 2025 तक एफपीआई शुद्ध खरीदार रहे। लेकिन नए व्यापारिक टकराव (जिसकी परिणति भारत पर 50 फीसदी टैरिफ के रूप में हुई) ने विदेशी निवेशकों को एक बार फिर झकझोर दिया। भविष्य में एफपीआई निवेश इस बात पर निर्भर करेगा कि जीएसटी कटौती से 2025-26 की दूसरी छमाही में कंपनियों के मुनाफे में सुधार होगा या नहीं और अमेरिका के साथ व्यापार समझौते की दिशा पर भी यह निर्भर करेगा।

First Published : September 14, 2025 | 9:49 PM IST