गूगल की उपाध्यक्ष पेरिसा तबरीज ने गुरुवार को कहा कि पासवर्ड की जगह ‘पासकी’ ले लेगी। यह सुरक्षित है और धोखाधड़ी से बचाने के खिलाफ बेहतर सुरक्षा भी प्रदान करती है।
प्रौद्योगिकी क्षेत्र की दिग्गज कंपनी गूगल ने हाल ही में ऑपरेटिंग सिस्टम ऐंड्रॉयड और वेब ब्राउजर गूगल क्रोम के लिए ‘पासकी’ पेश की है। कंपनी ने 12 अक्टूबर को कहा था कि यह नया फीचर गूगल प्ले सर्विस बीटा और क्रोम कैनरी के मेंबर के लिए लॉन्च किया गया था, लेकिन अब यह इस साल के अंत तक सामान्य उपयोगकर्ताओं के लिए भी उपलब्ध होगा।
‘पासकी’ एक डिजिटल क्रेडेंशियल है, जो उपयोगकर्ता के अकाउंट और एक वेबसाइट या ऐप्लिकेशन से जुड़ी होती है। यह उपयोगकर्ताओं को उपयोगकर्ता ‘यूजरनेम’ या पासवर्ड दर्ज किए बिना या कोई अतिरिक्त प्रमाण दर्ज किए बिना ही प्रामाणिक करने की अनुमति देता है। इसका उद्देश्य कई वर्षों से चली आ रही प्रमाणीकरण व्यवस्था जैसे ‘पासवर्ड’ का विकल्प मुहैया करवाना है।
उपयोगकर्ता ऐंड्रॉयड डिवाइस पर ‘पासकी’ बना सकते हैं और उनका उपयोग कर सकते हैं। यह गूगल पासवर्ड मैनेजर के माध्यम से सुरक्षित रूप से समन्वय स्थापित करती है। डेवलपर अपनी साइट्स पर ‘पासकी’ बना सकते हैं। इसके तहत एंड यूजर क्रोम पर वेब ऑथन एपीआई – वर्ल्ड वाइड वेब कंसोर्टियम के स्टैंडर्ड वेब – एंड्रायड और अन्य मददगार मंचों पर ‘पासकी’ बना सकते हैं। ‘पासकी’ विंडोज, मैकओएस और आईओएस और क्रोमओएस सहित विभिन्न प्लेटफॉर्मों और ब्राउजर पर एक समान काम करती है।
गूगल क्रोम में इंजीनियरिंग, उत्पाद और डिजाइन की प्रमुख तबरीज ने कहा कि पासवर्ड का सुरक्षित विकल्प ‘पासकी’ मानी जा सकती है। इसका कारण यह है कि इसका दोबारा उपयोग नहीं किया जा सकता है। ‘पासकी’ सर्वर उल्लंघनों में लीक नहीं होती है और उपयोगकर्ताओं को धोखाधड़ी से बचाती है।
उन्होंने कहा कि लगभग आधे कर्मचारी अपने दिन का अधिकांश समय ब्राउजर-आधारित सॉफ्टवेयर के उपयोग में व्यतीत करते हैं, इसलिए ब्राउजर की सुरक्षा करना महत्वपूर्ण हो जाता है। उन्होंने कहा, ‘दुनिया भर में गूगल सेफ ब्राउजिंग 5 अरब से अधिक डिवाइस को ऑटोमेटिक रूप से सुरक्षित करती है। हम अन्य ब्राउजरों को उनके उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा करने में मदद करने के लिए एपीआई भी प्रदान करते हैं।’
उद्योग मानकों के अनुरूप ‘पासकी’ बनाई गई हैं। यह विभिन्न ऑपरेटिंग सिस्टम और ब्राउजर पर काम करती है। यह वेबसाइटों और ऐप दोनों के लिए उपयोग की जा सकती हैं। तबरीज ने कहा कि लॉग-इन की पुष्टि करने के लिए फिंगरप्रिंट जैसे मौजूदा डिवाइस स्क्रीन लॉक के साथ ऑटो-फिल धोखाधड़ी की घटनाओं की संख्या में काफी कमी ला सकती है।
तबरीज ने कहा, ‘हम क्रोम में पासवर्ड की जगह ऑटो-फिल व्यवस्था विकसित कर रहे हैं। हमारे पास अभी और भी तरीके हैं, लेकिन कंपनी ने ऑटोफिल की सुविधाओं में सुधार किया है। गूगल ने हाल ही में वर्चुअल क्रेडिट नंबर भी लॉन्च किए हैं, जो ऑनलाइन भुगतान की सुरक्षा के लिए फिजिकल कार्ड नंबर को एक यूनिक वर्चुअल कार्ड नंबर से बदल देता है।’
रूस-यूक्रेन संघर्ष की शुरुआत के बाद से धोखाधड़ी सहित साइबर सुरक्षा के खतरे बढ़ रहे थे।
