बाजार नियामक सेबी म्युचुअल फंडों के कर्मियों के लिए पिछले महीने जारी वेतन-भत्ते के नए नियम में बदलाव पर विचार कर रहा है। 32 लाख करोड़ रुपये वाले म्युचुअल फंड उद्योग के इन कर्मियों का बाजार में खासा दखल होता है। सूत्रों ने कहा कि इसके क्रियान्वयन को लेकर उद्योग ने जिस तरह की चुनौतियां बताई है उसके बाद नियामक इस परिपत्र में बदलाव ला सकता है।
28 अप्रैल को सेबी ने म्युचुअल फंड उद्योग को निर्देश दिया था कि प्रमुख कर्मचारियों को उन योजनाओं के यूनिट के तौर पर वेतन का 20 फीसदी दिया जाए, जिसकी वे देखरेख करते हैं। यह कदम परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियों के प्रमुख कर्मियों के हितों को उस योजना के यूनिटधारकों के हितों के साथ जोडऩे के लिए उठाया गया था। जिन बदलावों पर विचार हो रहा है उनमें इसकी सीमा 20 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी करने और पात्र कर्मियों की सूची को छोटा करना शामिल है। नियामक से साथ चर्चा में शामिल उद्योग के प्रतिभागियों ने यह जानकारी दी।
इस बारे मेंं जानकारी के लिए सेबी को भेजे गए ईमेल का जवाब नहीं मिला।
मध्यम आकार के एक फंड हाउस के सीईओ ने कहा, इस परिपत्र के क्रियान्वयन को लेकर छोटे फंड हाउस की तरफ से कुछ आपत्तियां थीं। सेबी ने वेतन का 20 फीसदी म्युचुअल फंड की यूनिट के तौर पर देने का निर्देश दिया था, हमें लगता है कि इसे घटाकर 10 फीसदी कर दिया जाएगा।
सेबी ने परिपत्र मेंं कहा था, एएमसी के प्रमुख कर्मियों के वेतन/अनुलाभ/बोनस/गैर-नकदी कम्पनसेशन (कंपनी पर सालाना सकल सीटीसी) आदि का न्यूनतम 20 फीसदी उन्हें म्युचुअल फंड योजनाओंं की यूनिट के तौर पर देना होगा, जिसकी वे देखरेख करते हैं।
एएमसी के प्रमुख कर्मचारियों में मुख्य कार्याधिकारी, मुख्य निवेश अधिकारी, प्रमुख जोखिम अधिकारी, फंड मैनेजर, फंड मैनेजमेंट व शोध टीम, अनुपालन अधिकारी, बिक्री प्रमुख, सीईओ को सीधे रिपोर्ट करने वाले (निजी सहायक को छोड़कर) आदि शामिल हैं।
एक अग्रणी फंड हाउस के प्रबंध निदेशक ने कहा, हमें इस पर ऐतराज नहींं होगा अगर यह फंड मैनेजरों, शोध टीम या सीईओ पर लागू हो। लेकिन मौजूदा परिभाषा काफी विस्तृत है और करीब-करीब एएमसी के सभी कर्मियोंं को यह अपने दायरे में लाता है। संभावना है कि नियामक प्रमुख कर्मियों की सूची छोटी कर दे। उद्योग के संगठन एम्फी के बोर्ड सदस्य ने कहा, सकल सालाना सीटीसी का 20 फीसदी निवेश करना फंड हाउस के कुछ कर्मियों के लिए काफी अनुचित होगा।