बुधवार को स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया (सेल) के शेयर की कीमत पांच महीने के सबसे कम स्तर, 167 रुपये पर बंद हुई और उस दिन में इस में चार प्रतिशत की गिरावट आई।
इसके अलावा जनवरी के शीर्ष स्तर से इसकी कीमत में लगभग 42 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है।बाजार को इस बात की चिंता है कि सरकार स्टील की कीमतें 15-20 प्रतिशत कम करने के लिए बाध्य कर सकती हैं। विश्लेषकों का मानना है कि अगर ऐसा हुआ तो सेल के लाभ में लगभग 25-30 प्रतिशत तक की कमी हो सकती है।
पिछले तीन महीने में स्टील की कीमतों में लगभग 550 डॉलर प्रति टन से लेकर कुछ उत्पादों के मामले में 900 डॉलर प्रति टन तक की बढ़ोतरी हुई है। स्टील की कीमतों में हुई यह वृध्दि 60 प्रतिशत से अधिक है यद्यपि औसत वृध्दि 30 प्रतिशत तक की हो सकती थी।
हालांकि, उत्पादकों का कहना है कि कच्चे माल जैसे इस्तेमाल किया जाने वाला कोयला और लौह अयस्क की कीमतों में वृध्दि हुई है और लौह अयस्क के मामले में तो यह लगभग 65 प्रतिशत का है।अगर सरकार उत्पाद शुल्क को 14 प्रतिशत के वर्तमान स्तर से घटा कर लगभग छह प्रतिशत कर देती है तो कंपनियों को नुकसान नहीं झेलना होगा।
हालांकि, अगर सरकार मूल्य घटाने के अपने फैसले पर अडिग रहती है तो सेल जो एक सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी है के पास इसका अनुपालन करने के अलावा कोई विकल्प नहीं रहेगा। इस स्टील निर्माता कंपनी के पास लौह अयस्क का पर्याप्त भंडार है।
सेल प्रति वर्ष लगभग 120 लाख टन स्टील का उत्पादन करती है और वित्त वर्ष 2012 तक इसकी उत्पादन क्षमता बढ़ कर 240 लाख टन हो जाएगी। कंपनी का परिचालन मार्जिन दिसंबर की तिमाही में 31.3 प्रतिशत था जो आठ तिमाहियों में सर्वाधिक था। ऐसा अनुमान है कि सेल वित्त वर्ष 2008 की समाप्ति 38,000 करोड़ रुपये की आय और 8,150 करोड़ रुपये की शुध्द आय से करेगी।
बिक्री के संदर्भ में अनुमान है कि वित्त वर्ष 2009 में यह लगभग 44,000 करोड़ रुपये का होगा जबकि उत्पादों के मिश्रण के बढ़ाए जाने से लाभ 10,000 करोड़ रुपये से अधिक होगा। 167 रुपये के वर्तमान मूल्य पर सेल के शेयर का कारोबार वित्त वर्ष 2009 की अनुमानित आय के 6.5 गुना पर किया जा रहा है और इसके मूल्य में आई गिरावट को खरीदने के अवसर के तौर पर देखा जाना चाहिए।
बजाज ऑटो: फिसलती बिक्री
बजाज ऑटो, बजाज समूह से अलग हुई इकाई जो ऑटोमोबाइल कारोबार को देखती है, के वित्त वर्ष 2008 की समाप्ति निराशाजनक रही। मोटरसाइकिल की बिक्री में 10 प्रतिशत की कमी आई और 21.2 लाख वाहन बिके।
अगर बाजार की अग्रणी कंपनी हीरो होंडा से हम तुलना करें तो हीरो होंडा ने मार्च महीने में दोपहिए वाहनों की बिक्री में 15 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की है जबकि बजाज ऑटो की बिक्री में नौ प्रतिशत की गिरावट आई और केवल 1.54 लाख वाहनों की बिक्री हुई।उद्योग पर निगाह रखने वालों का कहना है कि उत्तरी क्षेत्र के बाजार में हीरो होंडा का कारोबार अच्छा चल रहा है जबकि बजाज यहां कोई प्रभाव नहीं बना पाया है।
इसके अलावा उनका कहना है कि पुणे स्थित इस कंपनी को अपनी बिक्री और बाजार हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए संभवत: कुछ नए मॉडलों को लांच करने की आवश्यकता है। एक्जीक्यूटिव वर्ग में 125सीसी की एक्ससीडी ने अनुमान के मुताबिक प्रदर्शन नहीं किया और कंपनी को इस मॉडल पर इतना भरोसा था कि उसने 125सीसी के डिस्कवर और प्लैटिना मॉडल पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया।
साथ ही 150 सीसी का पल्सर 150 जो कि प्रीमियम उत्पाद है, निरंतर बेहतर करता आ रहा है लेकिन अब इसका परिपक्वता काल आ चुका है। वित्त वर्ष 2009 में मोटरसाइकिल बाजार के मात्र 5-7 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है जबकि वित्त वर्ष 2008 में इसमें लगभग 10 प्रतिशत की गिरावट आई थी। बैंकों के ऋण देने के रवैये में आए बदलाव से ग्राहक भी अब दूर ही नजर आ रहे हैं।
कठिन माहौल मेंकंपनी का विकास और हीरो होंडा से मिलने वाली प्रतिस्पध्र्दा का जवाब दे पाना बजाज के लिए मुश्किल होगा।690 रुपये के वर्तमान मूल्य पर हीरो होंडा का कारोबार वित्त वर्ष 2009 की अनुमानित आय के 13 गुना पर किया जा रहा है। बजाज ऑटोमोबाइल वाली कंपनी का सूचीबध्द होना अभी बाकी है।