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वित्त वर्ष 2022 में डॉलर के मुकाबले रुपया टूटा

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 8:17 PM IST

वित्त वर्ष 2022 में डॉलर के मुकाबले रुपया 3.5 प्रतिशत की कमजोरी के साथ बंद हुआ, जबकि पूर्ववर्ती वर्ष में इसमें 3.4 प्रतिशत की तेजी दर्ज की गई थी।
अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा दर वृद्घि और यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद कच्चे तेल की कीमतों में वृद्घि जैसी वैश्विक समस्याओं के कारण रुपये पर दबाव पड़ा।
वित्त वर्ष 2013-14 में रुपया 6.27 प्रतिशत कमजोर हुआ था, जब निवेशकों ने अमेरिकी फेड द्वारा संभावित वित्तीय सख्ती बरते जाने और बड़ी तादाद में परिसंपत्तियों की बिक्री के बाद उभरते बाजारों से बिकवाली पर जोर दिया था।
इससे पहले रुपये के लिए बेहतर प्रदर्शन का एक कारण यह था कि देश के वृहद आर्थिक कारक सुस्त अवधि के मुकाबले बेहतर हैं। मौजूदा खाता घाटा नियंत्रित है और यह 2021-22 की अक्टूबर-दिसंबर अवधि के दौरान 2.7 प्रतिशत था, और महत्वपूर्ण बात यह है कि विदेशी मुद्रा भंडार 600 अरब डॉलर से ज्यादा है, जबकि रियायत वापस लिए जाने की अवधि के दौरान यह 274 अरब डॉलर था।
फिनरेक्स ट्रेजरी एडवायजर्स में ट्रेजरी प्रमुख अनिल कुमार भंसाली ने कहा, ’31 मार्च 2021 को 73.50 पर बंद होने के बाद रुपया वित्त वर्ष में 73.42 पर खुला और दोनों तरफ उतार-चढ़ाव देखा गया, क्योंकि आरबीआई ने वर्ष की पहली छमाही में डॉलर एकत्रित करना बरकरार रखा जिससे एफएक्स भंडार 642 अरब डॉलर की सर्वाधिक ऊंचाई पर पहुंच गया। वर्ष की पहली छमाही में रुपया 72.30 से 74.91 के दायरे में बना रहा, क्योंकि आरबीआई ने एफपीआई और एफडीआई से डॉलर खरीदने की प्रक्रिया बरकरार रखी।’
ताजा आंकड़े के अनुसार, देश का विदेशी मुद्रा भंडार 619 अरब डॉलर पर था, जो पिछले चार वर्षों में करीब 200 अरब डॉलर तक बढ़ा है। मार्च 2018 में विदेशी मुद्रा भंडार 424 अरब डॉलर पर था।
व्यावसायिक दिग्गजों के साथ ताजा बातचीत में आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने जोर दिया कि देश अपने मजबूत विदेशी मुद्रा भंडार की वजह से भूराजनीतक संकट से पैदा होने वाली किसी भी तरह की चुनौतियों का सामना करने के लिए सहज स्थिति में है।
उन्होंने कहा, ‘मौजूदा संकट के संदर्भ में हमारा चालू खाता घाटा काफी कम है।  दूसरी बात यह भी है कि हमारा विदेशी मुद्रा भंडार काफी ज्यादा है। पिछले तीन साल के दौरान हमारा विदेशी मुद्रा भंडार करीब 270 अरब डॉलर तक बढ़ा है।’ विदेशी मुद्रा भंडार वास्तव में फरवरी में शुरू हुए रूस-यूक्रेन युद्घ के बाद जरूरी हो गया है। भूराजनीतिक संकट से कच्चे तेल की कीमतें वर्ष 2014 के बाद से पहली बार तेजी से चढ़कर 100 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गई हैं। इसके परिणामस्वरूप, रुपये पर दबाव पड़ा है और यह 7 मार्च को गिरकर 76.97 प्रति डॉलर के सर्वाधिक निचले स्तर पर आ गया।
केंद्रीय बैंक ने डॉलर की बिकवाली कर विदेशी मुद्रा बाजार में अपना हस्तक्षेप बढ़ाया है। इससे रुपये के सर्वाधिक निचले स्तर  से उबरने में काफी मदद मिली है।

First Published : April 1, 2022 | 11:51 PM IST