रुपये व सरकारी बॉन्ड में गुरुवार को मजबूती दर्ज हुई क्योंकि अमेरिका में कमजोर आर्थिक आंकड़ों ने इस कयास को बल दिया कि फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में बढ़ोतरी की रफ्तार धीमी कर सकता है। डीलरों ने यह जानकारी दी।
देसी मुद्रा अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 82.50 पर टिकी, जो मंगलवार को 82.73 पर रही थी। 10 वर्षीय बेंचमार्क सरकारी बॉन्ड का प्रतिफल 3 आधार अंक घटकर 7.41 फीसदी पर बंद हुआ। बॉन्ड की कीमतें व प्रतिफल एक दूसरे के विपरीत दिशा में चलते हैं। बॉन्ड व मुद्रा बाजार बुधवार को बंद रहे।
मंगलवार को अमेरिका में जारी आंकड़ों से पता चला कि हाउसिंग की कीमतें अगस्त में उम्मीद से ज्यादा घटीं, वहीं एक अन्य रिपोर्ट बताती है कि दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में उपभोक्ताओं का भरोसा कम हो रहा है।
ऐसे आंकड़ों के बाद उम्मीद की जा रही है कि फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में बढ़ोतरी की रफ्तार थोड़ा धीमा कर देगा क्योंकि साल 2022 में अब तक काफी मौद्रिक सख्ती देखने को मिली है। ऐसे में अमेरिकी बॉन्ड का प्रतिफल घटा, वहीं डॉलर इंडेक्स में भी काफी कमजोरी आई। गुरुवार को 3.30 बजे अमेरिकी डॉलर इंडेक्स 110.09 पर रहा, जो मंगलवार को 112.02 पर रहा था।
साल 2022 में अब तक फेड महंगाई घटाने के लिए ब्याज दरों में 300 आधार अंकों का इजाफा कर चुका है क्योंकि कई माह से महंगाई वहां 40 साल के उच्चस्तर पर टिकी हुई है। अमेरिका में ब्याज बढ़ोतरी से डॉलर की ताकत बढञी, अमेरिकी बॉन्ड के प्रतिफल में इजाफा हुआ और इसके परिणामस्वरूप भारत समेत अन्य उभरते बाजारों की परिसंपत्तियों को लेकर अपील कम हो गई।
नवंबर में होने वाली बैठक में फेड ब्याज दरों में 75 आधार अंकों का इजाफा कर सकता है, लेकिन फेड फंड फ्यूचर्स के ट्रेडरों को अब उम्मीद है कि दिसंबर में इतनी की बढ़ोतरी की संभावना काफी कम होगी।
साल 2022 में अब तक अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 10 फीसदी कमजोर हुआ है। इस बीच, आरबीआई का विदेशी मुद्रा भंडार फरवरी में यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से 100 अरतब डॉलर से ज्यादा घटा है।
फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स के ट्रेजरी प्रमुख अनिल कुमार भंसाली ने कहा, फेडरल रिजर्व की तरफ से रुख में बदलाव के संकेत मिलने तक डॉलर-रुपया में गिरावट पर बोली लगने की संभावना है। शुक्रवार को रुपया 82 से 82.60 के दायरे में रह सकता है क्योंकि निर्यातकों व आयातकों को अपनी प्राप्तियों व भुगतान को लेकर हेजिंग का मौका मिलेगा।
गुरुवार के कारोबार में डॉलर के मुकाबले रुपया 82.12 की ऊंचाई तक मजबूत हुआ था, लेकिन बाद में कुछ बढ़त गंवा दी, जिसकी वजह माह के आखिर में आयातकों खास तौर से तेल कंपनियों की डॉलर मांग रही।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के शोध विश्लेषक दिलीप परमार ने कहा, डॉलर की बिकवाली से रुपये में बुधवार के अवकाश के बाद खासी तेजी आई। हालांकि मजबूत शुरुआत के बाद माह के आखिर के लिए डॉलर की मांग व कमजोर देसी इक्विटी का स्थानीय मुद्रा पर असर पड़ा।
उन्होंने कहा, अल्पावधि में हाजिर डॉलर-रुपये को 82 फीसदी पर मजबूत समर्थन है और इसका प्रतिरोध स्तर 82.70 है। यह सीमित दायरे में कारोबार करेगा। 81.90 के नीचे जाने पर ही इस रुख में बदलाव की पुष्टि होगी।
अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल में तेज गिरावट के अलावा देसी सरकारी बॉन्ड को इस हफ्ते केंद्र सरकार की तरफ से ताजा आपूर्ति के अभाव का फायदा मिला। डीलरों ने ये बातें कही।