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मोटापा घटाने वाली दवा से Pharma Stocks को लगे पंख! ब्रोकरेज ने इन 2 स्टॉक्स पर दिया ‘BUY’ सिग्नल

GLP-1 दवाएं न केवल वजन घटाने में मददगार हैं, बल्कि डायबिटीज और दूसरी बीमारियों के इलाज में भी इनकी क्षमता को परखा जा रहा है।

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बीएस वेब टीम   
Last Updated- April 03, 2025 | 4:02 PM IST

वजन घटाने की दवाएं (GLP-1s) अब ग्लोबल फार्मास्युटिकल बाजार में बड़ा बदलाव ला रही हैं। इनकी मांग इतनी तेज़ी से बढ़ी है कि अब तक इन दवाओं की बिक्री 50 अरब डॉलर से ज्यादा हो चुकी है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि अगले 10 सालों में यह बाजार 150-175 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। इसके पीछे मोटापे की बढ़ती समस्या एक बड़ा कारण है, जिससे लोग अब ज्यादा प्रभावी इलाज की ओर रुख कर रहे हैं।

GLP-1 दवाएं न केवल वजन घटाने में मददगार हैं, बल्कि डायबिटीज और दूसरी बीमारियों के इलाज में भी इनकी क्षमता को परखा जा रहा है। फिलहाल, इस बाजार में Novo Nordisk और Eli Lilly का दबदबा है, लेकिन Eli Lilly की नई दवाएं बेहतर परिणाम दिखा रही हैं, जिससे कंपनी बाजार में सबसे आगे निकल सकती है।

Eli Lilly बन सकती है मार्केट लीडर, नई दवाओं का असर ज्यादा

Eli Lilly की नई दवाएं बाजार में तेजी से अपनी जगह बना रही हैं। रिसर्च डेटा के मुताबिक, इसकी नई दवाएं Tirzepatide और Retatrutide वजन घटाने में ज्यादा प्रभावी साबित हो रही हैं। तुलना की जाए तो Semaglutide के इस्तेमाल से औसतन 21% वजन कम हुआ, जबकि Tirzepatide और Retatrutide ने 22-24% तक वजन कम करने के नतीजे दिए हैं। यह अंतर भले ही छोटा लगे, लेकिन जब मोटापे से जूझ रहे करोड़ों लोगों पर इसे लागू किया जाएगा, तो Eli Lilly की दवाएं ज्यादा लोकप्रिय हो सकती हैं और कंपनी को बाजार में बढ़त मिल सकती है।

अमेरिका में दवाओं की कीमतों में कटौती, लेकिन आम लोगों की पहुंच से दूर

GLP-1 दवाओं की मांग इतनी अधिक है कि कंपनियां उत्पादन बढ़ाने के लिए भारी निवेश कर रही हैं। ब्रोकरेज नुवामा की रिपोर्ट के मुताबिक, अब तक 40 अरब डॉलर से ज्यादा का निवेश किया जा चुका है, जिसमें दवा निर्माण, पैकेजिंग और वितरण व्यवस्था शामिल हैं। इन प्रयासों के तहत Eli Lilly और Novo Nordisk ने अमेरिका में अपनी GLP-1 दवाओं की कीमतें घटाने का फैसला लिया है। हालांकि, इस कटौती का मुख्य उद्देश्य मरीजों को राहत देना नहीं, बल्कि उन फार्मेसियों से मुकाबला करना है, जो GLP-1 यौगिकों को खुद से तैयार कर रही थीं।

हालांकि, दवाओं की कीमतें घटाने के बावजूद, ये दवाएं अब भी लाखों अमेरिकी मरीजों की पहुंच से बाहर हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर अमेरिका में बीमा कंपनियां मोटापे के इलाज के लिए इन दवाओं को कवर करने लगें, तो बाजार और तेजी से बढ़ेगा। बीमा कवरेज बढ़ने से ज्यादा लोग इस इलाज का खर्च उठा पाएंगे और इससे कंपनियों की बिक्री में बड़ा उछाल आ सकता है।

ओरल और जेनेरिक GLP-1 से बाजार में नया बदलाव संभव

फिलहाल, GLP-1 दवाएं इंजेक्शन के रूप में दी जाती हैं, जिससे हर कोई इन्हें आसानी से इस्तेमाल नहीं कर पाता। इसके अलावा, दवाओं की सीमित सप्लाई भी एक बड़ी समस्या बनी हुई है। इसे देखते हुए, विशेषज्ञ मान रहे हैं कि ओरल (खाने वाली) और जेनेरिक (सस्ती) GLP-1 दवाएं बाजार में बड़ा बदलाव ला सकती हैं।

2026 में Semaglutide का जेनेरिक वर्जन बाजार में आने की उम्मीद है, जिससे इस दवा को और अधिक मरीजों तक पहुंचाया जा सकेगा। इस बीच, कई भारतीय दवा कंपनियां इस क्षेत्र में निवेश कर रही हैं और कुछ जल्द ही अपने GLP-1 प्रोडक्ट लॉन्च करने की तैयारी में हैं।

भारतीय कंपनियों की बड़ी तैयारी, निवेशकों के लिए सुनहरा मौका

भारतीय कंपनियों के लिए GLP-1 बाजार एक बड़ा अवसर बन सकता है। नुवामा (Nuvama) की रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ भारतीय कंपनियां इस क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन कर सकती हैं और निवेशकों के लिए फायदेमंद साबित हो सकती हैं।

डॉ. रेड्डीज (DRRD) कनाडा और ब्राजील के बाजार में अपनी GLP-1 दवाएं लॉन्च करने की योजना बना रही है। टोरेंट फार्मा (TRP) और बायोकॉन (BIOS) भी ब्राजील में अपनी GLP-1 दवाएं लाने की तैयारी में हैं। सन फार्मा (SUNP) अपनी खुद की GLP-1 दवा विकसित कर रही है, लेकिन इसे बाजार में आने में अभी कुछ साल लग सकते हैं।

नुवामा ने अपनी रिपोर्ट में DRRD और TRP को ‘BUY’ रेटिंग दी गई है, जिसका मतलब है कि इन कंपनियों के शेयरों में निवेश से अच्छा मुनाफा हो सकता है। BIOS को ‘HOLD’ रेटिंग मिली है, यानी निवेशकों को इसमें अभी स्थिर रहना चाहिए और आगे के अपडेट का इंतजार करना चाहिए।

GLP-1 निर्माण में भारतीय कंपनियों को बड़ा अवसर

GLP-1 दवाओं का निर्माण एक जटिल प्रक्रिया है और इसके लिए एक मजबूत सप्लाई चेन की जरूरत होती है। लेकिन यही वजह है कि भारतीय फार्मा कंपनियों के लिए यह क्षेत्र बड़े मुनाफे का अवसर बन सकता है। नुवामा की रिपोर्ट के अनुसार, GLP-1 दवाओं के निर्माण में भारतीय कंपनियां 5-10 अरब डॉलर तक की हिस्सेदारी हासिल कर सकती हैं। डिविज़ लैब्स (DIVI’S LAB) GLP-1 के निर्माण के लिए जरूरी FMOC और BOC कंपोनेंट्स पर काम कर रही है और 2026 तक बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू करने की योजना बना रही है। इसके अलावा, ONESOURC और SHEP भी इस क्षेत्र में अपनी उपस्थिति बढ़ाने की कोशिश कर रही हैं।

भारत में मोटापा बढ़ा, लेकिन GLP-1 बाजार अभी शुरुआती दौर में

भारत में मोटापा तेजी से बढ़ रहा है। 2025 तक, देश में 18 करोड़ लोग मोटापे से ग्रस्त हो सकते हैं, और 2050 तक यह संख्या 45 करोड़ तक पहुंच सकती है। 1990 में भारत में महिलाओं में मोटापा 1.2% था, जो 2022 में बढ़कर 9.8% हो गया। पुरुषों में यह आंकड़ा 0.5% से बढ़कर 5.4% हो गया है। इन आंकड़ों से साफ है कि भारत में वजन घटाने से जुड़ी दवाओं की मांग भविष्य में तेजी से बढ़ सकती है।

हालांकि, भारत में GLP-1 बाजार अभी शुरुआती दौर में है। भारतीय वजन मैनेजमेंट उद्योग फिलहाल 25 अरब डॉलर का है और 2033 तक यह 56 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। लेकिन इस बाजार की असली ग्रोथ 2026 के बाद देखने को मिलेगी, जब सस्ती जेनेरिक GLP-1 दवाएं बाजार में आएंगी और ज्यादा लोगों की पहुंच में होंगी।

First Published : April 3, 2025 | 3:56 PM IST