ऊंची ब्याज दरों और सख्त मौद्रिक नीति के साथ साथ धीमी वृद्धि मंदी के बाजार के संकेत हैं। ये रिस्क-ऑफ लॉजिक के आधार पर कई निवेशक उभरते बाजार की इक्विटी से बिकवाली कर रहे हैं। शुद्ध रूप से टेक्नीकल संदर्भ में देखें तो निफ्टी का रुझान अनिश्चित लग रहा है और इस बारे में कोई सटीक अंदाजा लगा पाना मुश्किल है।
आधार के तौर पर 1 जनवरी, 2021 से निफ्टी में उतार-चढ़ाव दर्शाने वाले चार्ट को आधार के तौर पर परिवर्तित किया गया है। यह सूचकांक अक्टूबर 2021 के मध्य (18,600 के स्तर की ऊंचाई से) 30 प्रतिशत चढ़ गया था। जून 2022 तक इसमें कमजोरी का रुझान देखा गया, जब इसने 15,183 का निचला स्तर भी बनाया, जो करीब 16 प्रतिशत की गिरावट थी। इस गिरावट के बाद भी, यह जनवरी 2021 के स्तरों से 9 प्रतिशत ऊपर था।
22 जून और 14 सितंबर के बीच, बाजार में अच्छी तेजी आई। 18,090 की 11 महीने की ऊंचाई छूने के बाद सितंबर 2022 के मध्य में निफ्टी गिरावट का शिकार हुआ और शुक्रवार को 200-डीएमए पर लौटने से पहले पिछले सप्ताह यह 200-डीएमए से नीचे चला गया। यह मौजूदा समय में जनवरी 2021 के स्तरों से करीब 21-22 प्रतिशत ऊपर बना हुआ है।
200-डीएमए को सामान्य तौर पर दीर्घावधि रुझान का अच्छा संकेतक माना जाता है। बाजार के 200-डीएमए से ऊपर रहने पर इसे दीर्घावधि में तेजी का संकेत समझा जाता है और इसी तरह से 200-डीएमए से नीचे फिसलने पर बाजार में गिरावट का संकेत माना जाता है। 200-डीएमए के आसपास मंडरा रहे निफ्टी के बारे में आगामी रुझान के संदर्भ में किसी तरह का अंदाजा लगाना फिलहाल मुश्किल है।
वैश्विक बाजार सूचकांक नीचे हैं। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) का नजरिया नकारात्मक है। एफपीआई पिछले अक्टूबर (जब बाजार में तेजी का रुझान दर्ज किया गया) शुद्ध बिकवाल बन गए थे। उन्होंने पिछले 12 महीनों में 1.9 लाख करोड़ रुपये की बिकवाली की है। वे सिर्फ जुलाई-अगस्त 2022 में ही शुद्ध खरीदार रहे जिससे तेजी को धार मिली है।
घरेलू संस्थागत निवेशकों (म्युचुअल फंडों समेत) ने हालांकि 12 महीनों में बाजार में 3 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश किया है। म्युचुअल फंडों ने इक्विटी योजनाओं में लगातार शुद्ध पूंजी प्रवाह दर्ज किया है, लेकिन इस पूंजी प्रवाह की मात्रा काफी घटी है। म्युचुअल इक्विटी सेगमेंट छोटे निवेशकों, खासकर एसआईपी पर केंद्रित है। अनुमान है कि जैसे ही एसआईपी की परिपक्वता पूरी हो रही है, उनमें से कुछ योजनाओं को फिर से नए सिरे से आगे नहीं बढ़ाया जा रहा है। डायरेक्ट रिटेल इक्विटी बिक्री भी ऊंची बनी हुई है।
रुझानों पर अमल करने वाले कारोबार
विभिन्न मानक तय करते हैं। यदि लगातार ‘लोअर लो’ का पैटर्न बनता है तो मंदी का बाजार है, और यदि लगातार ऊंचे स्तर बनते हों तो तेजी का बाजार। हमने लोअर पीक्स देखा है, लोअर लो नहीं।
यदि निफ्टी जून 2022 का निचला पार करता है तो वह 15,100 से नीचे जा सकता है। वहीं 18,605 से ऊपर जाने पर यह नई ऊंचे स्तर पर पहुंचेगा। भले ही यह सूचकांक किसी भी दिशा में जाता है, हमें दीर्घावधि रुझान पर ध्यान देना होगा। किसी भी दिशा में उतार-चढ़ाव की दिशा में इसमें12-15 प्रतिशत का अंतर देखा जा सकता है। यदि ऐसा नहीं होता है तो सूचकांक 16,500-18,500 के सीमित दायरे में बना रहेगा।
कई आंकड़े और बदलाव बेहद महत्वपूर्ण हैं। एक है निवेशकों का रुख। यदि एफपीआई लगातार बिकवाली करते हैं और छोटे निवेशक लगातार निवेशक घटाते हैं तो घरेलू संस्थान बाजार को संभाले रखने में सक्षम नहीं होंगे। म्युचुअल फंड प्रवाह भी उपयोगी संकेतक है, यदि इक्विटी म्युचुअल फंड प्रवाह कमजोर पड़ता है या इसमें गिरावट आती है तो हम समझेंगे कि रिटेल निवेश में कमी आ रही है।
मूल्यांकन जरूरी
निफ्टी का पी/ई अनुपात अक्टूबर 2021 के 28-29 गुना से घटकर अब करीब 20-21 गुना पर रह गया है। यदि यह और गिरकर 15-16 पी/ई के दायरे में आता है तो वहां यह ज्यादा टिकाऊ दिखेगा। यह समय-आधारित गिरावट के साथ हो सकता है। जिस अन्य डेटा सीरीज का अनुमान लगा पाना कठिन है, वह है निफ्टी के साथ स्टैंडर्ड ऐंड पूअर्स 500 (एसऐंडपी 500) का सह-संबंध। ऐसी कुछ अवधि रही हैं जब निफ्टी ने शानदार प्रदर्शन किया है, जबकि एसऐंडपी 500 में कमजोरी आई है।