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Ultrashort Passive Debt Fund: कम समय में अच्छी कमाई! इस स्कीम में किसे करना चाहिए निवेश, क्या हैं जो​खिम

ये स्कीमें क्रिसिल-आईबीएक्स फाइनेंशियल सर्विसेज 3–6 मंथ डेट इंडेक्स (CRISIL-IBX Financial Services 3–6 Months Debt Index) को ट्रैक करती हैं।

Last Updated- March 28, 2025 | 9:26 AM IST
Debt Funds

Ultrashort Passive Debt Fund: आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एसेट मैनेजमेंट कंपनी, आदित्य बिड़ला सन लाइफ एएमसी, कोटक महिंद्रा एएमसी और बंधन एएमसी सहित कई फंड हाउस ने हाल ही में अल्ट्रा शॉर्ट-टर्म डेट इंडेक्स फंड लॉन्च किए हैं। ये स्कीमें क्रिसिल-आईबीएक्स फाइनेंशियल सर्विसेज 3–6 मंथ डेट इंडेक्स (CRISIL-IBX Financial Services 3–6 Months Debt Index) को ट्रैक करती हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, बुधवार को हुई नीलामी में 90 दिनों की ट्रेजरी बिल (T-bill) पर कट-ऑफ यील्ड 6.52% रही, जबकि 364 दिनों की ट्रेजरी बिल के लिए यह दर 6.47% थी।

बंधन एएमसी में हेड–प्रोडक्ट्स सर्शेंदु बसु कहते हैं, “फिलहाल निवेशक स्थिरता, नकदी और उचित रिटर्न की तलाश में हैं क्योंकि ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव, महंगाई का दबाव और वैश्विक अनिश्चितताएं बनी हुई हैं। ऐसे में शॉर्ट ड्यूरेशन डेट इंस्ट्रूमेंट्स, खासकर तीन से छह महीने की अवधि वाले विकल्प आकर्षक बनते जा रहे हैं क्योंकि ये अपेक्षाकृत ज्यादा यील्ड देते हैं और साथ ही ब्याज दरों से जुड़े जोखिम को भी कम करते हैं।”

आदित्य बिड़ला सन लाइफ एएमसी में को-हेड–फिक्स्ड इनकम कौस्तुभ गुप्ता कहते हैं, “कैश का लगातार फ्लो, आगे और रेट कट की उम्मीदें और मौद्रिक नीति के रुख में संभावित बदलाव जैसे कारक मौजूदा समय में यील्ड कर्व के शॉर्ट एंड को आकर्षक बना रहे हैं। ये शॉर्ट एंड इंडेक्स फंड्स रोल-डाउन स्ट्रैटेजी और फाइनेंशियल सर्विसेज थीम में एक्सपोजर का अनोखा संयोजन पेश करते हैं, जिससे निवेशकों को ज्यादा यील्ड और कभी भी लिक्विडिटी मिल सकती है।”

अल्ट्राशॉर्ट पैसिव डेट फंड क्या ऑफर करते हैं?

ये पैसिव डेट फंड CRISIL के उस इंडेक्स को रिप्लिकेट करते हैं जिसमें 3–6 महीने में मैच्योर होने वाले AAA रेटेड इंस्ट्रूमेंट्स शामिल हैं। गुप्ता कहते हैं, “कम खर्च, उतार-चढ़ाव को घटाने वाला रोल-डाउन लाभ और 100% AAA रेटेड इश्यूर में एक्सपोजर– ये सब इन फंड्स को आकर्षक बनाते हैं।”

कोटक म्युचुअल फंड में सीनियर एग्जीक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट और फंड मैनेजर–फिक्स्ड इनकम अभिषेक बिसेन कहते हैं, “हमें उम्मीद है कि आने वाले छह महीनों में RBI नकदी बढ़ाएगा और रीपो रेट में 25–50 बेसिस प्वाइंट की कटौती करेगा। इससे यील्ड कर्व में और तेजी आएगी और यह स्ट्रैटेजी बेहतर रिटर्न देने में मदद कर सकती है।”

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फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) से तुलना

साल के अंत में क्रेडिट डिमांड के चलते आई कैश की किल्लत ने यील्ड को ऊपर की ओर धकेला है। कॉर्पोरेट ट्रेनर (डेट) और लेखक जॉयदीप सेन कहते हैं, “म्युचुअल फंड मार्केट-लिंक्ड प्रोडक्ट होते हैं, इसलिए रिटर्न पोर्टफोलियो की यील्ड-टू-मैच्योरिटी (YTM) से ज्यादा या कम हो सकते हैं। वहीं, बैंक फिक्स्ड डिपॉज़िट्स अनुबंध आधारित रिटर्न वाले प्रोडक्ट होते हैं।”

बसु कहते हैं, “3–6 महीने की अवधि वाले सेगमेंट में यील्ड कर्व में तेजी देखी जा रही है, जिससे समान अवधि वाले फिक्स्ड डिपॉज़िट्स की तुलना में अतिरिक्त यील्ड पाने का मौका बनता है।”

जोखिम का रखें ध्यान

इस इंडेक्स का फोकस उच्च गुणवत्ता वाले बॉन्ड पर होता है, जिससे हाई यील्ड देने वाले लेकिन कम रेटिंग वाले इंस्ट्रूमेंट्स में एक्सपोजर सीमित हो जाता है। गुप्ता कहते हैं, “बेस इंडेक्स को पैसिव रूप से ट्रैक करना एक्टिव मैनेजमेंट की भूमिका को सीमित कर देता है, जिससे बदलते बाजार हालात में निवेशकों के लिए अल्फा रिटर्न जनरेट करने की गुंजाइश कम हो जाती है।”

एक और जोखिम सेक्टोरल कंसंट्रेशन का है। बसु कहते हैं, “यह फंड मुख्य रूप से फाइनेंशियल सर्विसेज सेक्टर में निवेश करता है। अगर इस सेक्टर में कोई चुनौती आती है तो कंसंट्रेशन रिस्क पैदा हो सकता है। इसके अलावा कुछ सिक्योरिटीज की उपलब्धता न होने पर ट्रैकिंग एफिशिएंसी भी प्रभावित हो सकती है।”

ये स्कीमें लॉन्ग टर्म फिक्स्ड-इनकम एलोकेशन के लिए डिजाइन नहीं की गई हैं।

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अल्ट्राशॉर्ट पैसिव डेट फंड किसे करना चाहिए निवेश?

इन फंड्स में डिफॉल्ट और ब्याज दर से जुड़ा जोखिम कम होता है, इसलिए ये शॉर्ट टर्म टारगेट रखने वाले कंजरवेटिव निवेशकों के लिए उपयुक्त माने जाते हैं। सेन कहते हैं, “अगर किसी निवेशक को अपने पोर्टफोलियो का कोई हिस्सा अचानक निकालना पड़े, तो रकम को लिक्विड या अल्ट्रा शॉर्ट-टर्म फंड्स में निवेश करना चाहिए।”

जिन निवेशकों की समयावधि तीन से छह महीने की है, वे इन फंड्स में निवेश कर सकते हैं। बिसेन कहते हैं, “अगर कोई 4–6 महीने की उतार-चढ़ाव (volatility) को सहने में सहज है और उसकी निवेश अवधि तीन महीने की है, तो वह इन फंड्स में निवेश या अतिरिक्त निवेश पर विचार कर सकता है। लेकिन जिनकी अवधि सिर्फ 15–30 दिनों की है, उन्हें इससे बचना चाहिए।” अंत में, निवेशकों को ट्रैकिंग एरर और फंड के खर्चों पर भी नज़र रखनी चाहिए।

First Published - March 28, 2025 | 9:05 AM IST

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