क्वांट म्युचुअल फंड (Quant Mutual Fund) को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) से देश का पहला ‘लॉन्ग-शॉर्ट स्ट्रैटेजी’ पर आधारित फंड लॉन्च करने की मंजूरी मिल गई है। यह फंड हाल ही में शुरू की गई स्पेशलाइज्ड इन्वेस्टमेंट फंड (SIF) कैटेगरी के तहत लाया जाएगा। इस फंड को क्वांट स्पेशलाइज्ड इन्वेस्टमेंट फंड (QSIF) नाम दिया गया है। इस मंजूरी के साथ क्वांट एक बिल्कुल नए प्रोडक्ट क्लास की शुरुआत करने जा रहा है जो खासतौर पर अनुभवी निवेशकों के लिए डिजाइन किया गया है। इसमें निवेश करने के लिए न्यूनतम 10 लाख रुपये लगाने होंगे।
स्पेशलाइज्ड इन्वेस्टमेंट फंड (SIFs) म्युचुअल फंड फ्रेमवर्क के भीतर एक नया प्रोडक्ट सेगमेंट हैं जो फंड मैनेजरों को निवेश स्ट्रैटेजी के मामले में ज्यादा छूट (flexibility) प्रदान करता है। इन फंडों का मिनिमम निवेश टिकट साइज ₹10 लाख है और इनका ढांचा इक्विटी, डेट या हाइब्रिड हो सकता है।
27 फरवरी 2025 को जारी सेबी के सर्कुलर के मुताबिक, स्पेशलाइज्ड इन्वेस्टमेंट फंड्स (SIFs) पारंपरिक म्युचुअल फंड और हाई-टिकट पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज (PMS) के बीच आते हैं।
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क्वांट म्युचुअल फंड का क्वांट स्पेशलाइज्ड इन्वेस्टमेंट फंड (QSIF) दो तरह से काम कर सकता है। यह उन शेयरों को खरीद सकता है जिनकी कीमत बढ़ने की संभावना है यानी लॉन्ग पोजिशन ले सकता है और साथ ही शॉर्ट पोजिशन लेते हुए उन शेयरों पर भी दांव लगा सकता है जिनके गिरने की संभावना है।
यह स्ट्रैटेजी जोखिम को कम करने में मदद करेगी और खासकर उतार-चढ़ाव वाले बाजार में बेहतर रिटर्न देने की कोशिश करेगी। यह कदम म्युचुअल फंड इंडस्ट्री में एक बड़ा बदलाव है, जहां अब एडवांस इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजी भी निवेशकों के लिए उपलब्ध हो सकेगी।
मार्केट एक्सपर्ट अजित गोस्वामी के मुताबिक, एसेट मैनेजमेंट कंपनियां (AMCs) स्पेशलाइज्ड इन्वेस्टमेंट फंड्स (SIFs) लॉन्च करने की होड़ में हैं। इसके पीछे कई अहम कारण हैं:
बाजार की खाई को पाटना: SIFs को पारंपरिक म्युचुअल फंड्स की तुलना में ज्यादा लचीलापन और एडवांस रणनीतियों के साथ डिजाइन किया गया है। वहीं PMS के मुकाबले इनमें निवेश की शुरुआती रकम कम है।
अमीर निवेशकों को टारगेट करना: ये फंड खास तौर पर हाई-नेट-वर्थ इंडिविजुअल्स (HNIs) के लिए बनाए गए हैं, जो ज्यादा और रिस्क-एडजस्टेड रिटर्न पाना चाहते हैं।
टैक्स में फायदा: SIFs को फिलहाल अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड (AIFs) की तुलना में ज्यादा टैक्स-फ्रेंडली माना जा रहा है।
पहले लॉन्च करने का फायदा: चूंकि यह एक नई कैटेगरी है, इसलिए कंपनियां शुरुआत में ही अपनी ब्रांडिंग और बाजार हिस्सेदारी मजबूत करने की होड़ में हैं।
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म्युचुअल फंड्स की तरह ही इन्हें टैक्स में वही लाभ और ट्रस्टी की निगरानी मिलती है, लेकिन इनमें निवेश की वही आजादी होती है जो आम तौर पर हेज फंड स्टाइल स्ट्रैटेजी में दी जाती है।
टाटा एएमसी के चीफ बिजनेस ऑफिसर आनंद वरदराजन ने बताया कि SIF का सबसे बड़ा फायदा यह है कि SIF पर म्युचुअल फंड की तरह ही टैक्स लगता है—होल्डिंग पीरियड के आधार पर। इन फंड्स के भीतर होने वाले बदलाव का निवेशक पर कोई असर नहीं पड़ता।