डेट फंड प्रबंधक मौजूदा अनिश्चित ब्याज दर परिवेश के बीच अपने पोर्टफोलियो मजबूत बनाने के लिए अलग अलग रणनीतियों पर ध्यान दे रहे हैं। एसबीआई म्युचुअल फंड (एमएफ) ने अपनी नकदी होल्डिंग बढ़ाई है, जबकि आईसीआईसीआई एमएफ ने आकर्षक प्रतिफल का लाभ उठाने के लिए भारत सरकार के फ्लोटिंग दर वाले बॉन्डों पर ध्यान दिया है। इस बीच, कई फंड प्रबंधक प्रतिफल की अल्पावधि-मध्यावधि राह पर उत्साहित बने हुए हैं।
एसबीआई एमएफ में फिक्स्ड इनकम के मुख्य निवेश अधिकारी (सीआईओ) राजीव राधाकृष्णन ने कहा, ‘पोर्टफोलियो रणनीति इस उम्मीद पर आधारित है कि तरलता और भारत में मौद्रिक नीति निकट भविष्य में सख्त बनी रह सकती है। यह मुख्य तौर पर कम अवधि वाले नजरिये से जुड़ी हुई है।’
फंड का कम अवधि का नजरिया डायनेमिक बॉन्ड फंड पोर्टफोलियो से स्पष्ट होता है। जुलाई के अंत में, पोर्टफोलियो की औसत अवधि 3.9 वर्ष दर्ज की गई, जो बड़ी योजनाओं में सबसे कम है।
आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल के प्रबंध निदेशक मनीष बांठिया को ब्याज दर में बदलाव की उम्मीद नहीं है और वे पोर्टफोलियो प्रतिफल बढ़ाने पर ध्यान दे रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘हमें विश्वास है कि हम अभी ब्याज दर तटस्थता की स्थिति में हैं। ऐसे निवेश में हमारा बड़ा निवेश है जिससे हमें संपूर्ण पोर्टफोलियो प्रतिफल बढ़ाने में मदद मिली है। भारत सरकार द्वारा जारी फ्लोटर बॉन्डों से ऊंचे प्रतिफल की वजह से ये निवेश लगातार आकर्षक
बने हुए हैं।’
सरकार के फ्लोटिंग दर वाले बॉन्डों की ब्याज दर आरबीआई द्वारा 182-दिन के ट्रेजरी बिल्स (टी-बिल) प्रतिफल के आधार पर हरेक 6 महीने में संशोधित की जाती है। मई में, आरबीआई ने फ्लोटिंग रेट बॉन्ड 2024 के लिए 6.97 प्रतिशत ब्याज दर की घोषणा की थी।
फंड प्रबंधकों का कहना है कि जहां मुद्रास्फीति बढ़ी है, वहीं आरबीआई द्वारा दरें बढ़ाने की संभावना नहीं है।
बंधन एएमसी में फिक्स्ड इनकम के प्रमुख सुयश चौधरी ने कहा, ‘आरबीआई ताजा खाद्य कीमत झटकों के साथ संयम बरत सकता है। घरेलू के साथ साथ वैश्विक वृद्धि के मोर्चे पर भी खाद्य कीमतों को लेकर निराशा हाथ लगी है। इस बीच, बॉन्ड बाजारों में दर वृद्धि का असर पहले ही कुछ हद तक दिख रहा है और 5 वर्षीय सरकारी बॉन्ड मौजूदा समय में ओवरनाइट दर के मुकाबले पर्याप्त मूल्यांकन पर है। हम 3 से 6 साल की परिपक्वता
के साथ निवेशित बने रहना पसंद करेंगे।’
पीजीआईएम इंडिया म्युचुअल फंड में फिक्स्ड इनकम के प्रमुख पुनीत पाल ने कहा, ‘हम इस साल दर कटौती की उम्मीद नहीं कर रहे थे और मुख्य रूप से पिछली तिमाही के दौरान तटस्थ रुख अपनाए हुए थे। मुद्रास्फीति में मौजूदा तेजी मुख्य तौर पर ऊंची खाद्य कीमतों की वजह से आई और आरबीआई तब तक फिर से ब्याज दरें नहीं बढ़ाएगा जब तक कि अन्य मुद्रास्फीतिकारी दबाव पैदा न हो।’