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ज्यादातर एसआईपी परिसंपत्तियां 3 साल से कम की हैं

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 15, 2022 | 2:33 AM IST

बाजार विश्लेषकों का कहना है कि निवेशक सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लांस (एसआईपी) का इस्तेमाल काफी हद तक अपने इक्विटी आवंटन के लिए करते हैं, लेकिन वे लंबी अवधि के लिए एसआईपी को बनाए रखना पसंद नहीं करते हैं। उद्योग के आंकड़े से पता चलता है कि ज्यादातर एसआईपी परिसंपत्तियां तीन साल से कम की होती हैं। करीब 65 प्रतिशत परिसंपत्तियां की अवधि तीन साल से कम की है जिनमें 47 प्रतिशत परिसंपत्तियां दो साल से कम की श्रेणी में हैं। प्लान रुपी इन्वेस्टमेंट सर्विसेज के संस्थापक अमोल जोशी ने कहा, ‘ऐसे मामले सामने आए हैं कि  ज्यादा प्रतिफल या अन्य परिसंपत्ति वर्गों के लालच में निवेशकों ने अपने एसआईपी बंद कर दिए नए निवेश आवंटन पर जोर दिया।’

सिर्फ 17 प्रतिशत एसआईपी परिसंपत्तियां पांच साल के आंकड़े को पार करती हैं जिन्हें बाजार अस्थिरता के प्रभाव को दूर करने के लिए इक्विटी निवेश के लिए उपयुक्त समझा जाता है।

विश्लेषकों का कहना है कि एमएफ निवेशक ऊंचे रिटर्न के लिए हाल के महीनों में डायरेक्ट इक्विटी की ओर भी आकर्षित हुए हैं। मुंबई स्थित एमएफ वितरक रुषभ देसाई ने कहा, ‘हाल में निवेशकों ने एमएफ के बजाय ज्यादा आकर्षक प्रतिफल को देखते हुए डायरेक्ट इक्विटी निवेश पर ध्यान देना शुरू किया है। कई एमएफ निवेशकों ने अप्रैल-मार्च में बाजार में आए उतार-चढ़ाव के वक्त अपने निवेश रोक दिए या अपने एमएफ फोलियो बंद कर दिए थे और शेयरों में ताजा निवेश करना शुरू किया था।’ मार्च से, एमएफ उद्योग में एसआईपी का योगदान घटा है। एसआईपी योगदान मार्च की तेजी में 8,641 करोड़ रुपये के स्तर से 9 प्रतिशत घटकर जुलाई में 7,831 करोड़ रुपये रह गया।

First Published : September 5, 2020 | 12:15 AM IST