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बाजार पूंजीकरण-जीडीपी अनुपात 13 साल के उच्चस्तर पर

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 3:56 AM IST

भारतीय इक्विटी बाजार का आर्थिक बुनियाद से आगे बढऩा जारी है। पिछले वित्त वर्ष में हालांकि भारतीय अर्थव्यवस्था ने 70 साल का सबसे खराब प्रदर्शन किया, लेकिन सूचीबद्ध कंपनियों का बाजार पूंजीकरण अब तक के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया। इसके परिणामस्वरूप भारत का बाजार पूंजीकरण व सकल घरेलू उत्पाद का अनुपात 13 के उच्चस्तर 115 फीसदी को छू गया।
यह अनुपात दिसंबर 2008 के बाद सर्वोच्च स्तर है क्योंकि तब यह 150 फीसदी की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया था। इसकी तुलना में पिछले साल मार्च के आखिर में यह अनुपात 11 साल के निचले स्तर 56.8 फीसदी को छू गया था और इस साल मार्च के आखिर में 100 फीसदी के करीब था।
सभी सूचीबद्ध कंपनियोंं का संयुक्त बाजार पूंजीकरण पिछले साल मार्च से दोगुना हो गया है यानी 113.5 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर लगभग 226.5 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया। इसकी तुलना में मौजूदा कीमत पर भारत की जीडीपी वित्त वर्ष 21 में तीन फीसदी सिकुड़कर करीब 197 लाख करोड़ रुपये रह गई, जो एक साल पहले 203 लाख करोड़ रुपये रही थी।
यह विश्लेषण मौजूदा कीमत पर तिमाही जीडीपी पर आधारित है, जिसके लिए पिछली चार तिमाहियों को आधार बनाया गया है। साथ ही यह मार्च 2015 के बाद से हर तिमाही के आखिर में बीएसई में सूचीबद्ध सभी कंपनियों का संयुक्त बाजार पूंजीकरण पर भी आधारित है।
भारत का मौजूदा एमकैप-जीडीपी अनुपात ऐतिहासिक स्तर से ज्यादा है, जो दलाल पथ पर शेयरों के उच्च मूल्यांकन को लेकर चिंता बढ़ाता है। पिछले 15 वर्षों में यह अनुपात औसतन 79 फीसदी के आसपास रहा है और दिसंबर 2018 में यह 150 फीसदी के सर्वोच्च स्तर पर पहुंचा था और इसका निचला स्तर 52.4 फीसदी रहा है, जो मार्च 2005 के आखिर में देखने को मिला था।
इक्विनॉमिक्स रिसर्च ऐंड एडवाइजरी सर्विसेज के संस्थापक व प्रबंध निदेशक जी. चोकालिंगम ने कहा, भारत की जीडीपी के साथ सूचीबद्ध प्रतिभूतियों के बाजार पूंजीकरण का संबंध जोडऩा मुश्किल है लेकिन बाजार महंगे हैं और मौजूदा स्तर पर जरूरत से ज्यादा तेज नजर आ रहे हैं। हम पारंपरिक मूल्यांकन मानकों मसलन पीई गुणक और प्राइस टु बुक वैल्यू रेश्यो से परिणाम निकाल सकते हैं।
उनके मुताबिक, बाजार पूंजीकरण में हुई हालिया बढ़ोतरी की वजह लार्जकैप के बजाय मिड व स्मॉलकैप शेयरों में आई तेजी है। बीएसई मिडकैप इंडेक्स 2021 की शुरुआत से अब तक करीब 25 फीसदी चढ़ा है, वहीं बीएसई स्मॉलकैप इंडेक्स इस साल अब तक 33 फीसदी की बढ़त दर्ज कर चुका है। इसकी तुलना में बेंचमार्क बीएसई सेंसेक्स में 9.4 फीसदी की उछाल आई है।
अन्य हालांकि इस अनुपात को खारिज करते हैं और कहते हैं कि बाजार पूंजीकरण या शेयर कीमत और देश की जीडीपी के बीच कोई सीधा जुड़ाव नहीं है।
जेएम फाइनैंशियल इस्टिट््यूशनल सिक्योरिटोज के प्रबंध निदेशक और मुख्य रणनीतिकार धनंजय सिन्हा ने कहा, बाजार पूंजीकरण व जीडीपी अनुपात हमें बहुत ज्यादा नहीं बता पाता। बाजार पूंजीकरण या परिसंपत्ति कीमत मुद्रा की आपूर्ति के स्तर पर निर्भर करती है, न कि जीडीपी पर। दुनिया भर में विकसित बाजारों की अगुआई में मुद्रा आपूर्ति में तेजी से जीडीपी बढ़ी है और उसने इक्विटी समेत अन्य परिसंपत्ति की कीमतों में बढ़ोतरी की है। इसी वजह से एमकैप व जीडीपी अनुपात ज्यादा देखने को मिला है। उन्होंने कहा कि मुद्रा की आपूर्ति ठीक रहने और महंगाई के नरम बने रहने तक बाजार पूंजीकरण जीडीपी से आगे बना रह सकता है।
विश्लेषकों ने यह भी कहा कि भारत की जीडीपी व कंपनियों का राजस्व वित्त्त वर्ष 21 में घटा, लेकिन कंपनियों का मुनाफा अब तक के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया, जिसकी वजह महामारी के कारण हुुआई आर्थिक बदलाव थे।  जिंस की नरम कीमतों का फायदा और ब्याज दरों में तेज गिरावट ने कंपनियों के लाभ व जीडीपी अनुपात को वित्त वर्ष 21 में एक दशक के उच्च स्तर 2.7 फीसदी पर पहुंचाने में मदद की। इसने भी बाजार में तेजी को हवा दी।
वैश्विक स्तर पर ब्रिक्स देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और द. अफ्रीका) में भारत का एमकैप-जीडीपी अनुपात सबसे ज्यादा है, लेकिन द. अफ्रीका इसमें अपवाद है। चीन में यह अनुपात 81 फीसदी है जबकि ब्राजील में 73 फीसदी और रूस में 52 फीसदी। भारत के बराबर प्रति व्यक्ति आय वाले देश इंडोनेशिया में यह अनुपात करीब 47 फीसदी है।
हालांकि अपेक्षाकृत छोटी अर्थव्यवस्थाओं मसलन सऊदी अरब में यह काफी ज्यादा 368 फीसदी, ताइवान में 316 फीसदी, दक्षिण अफ्रीका में 165 फीसदी, दक्षिण कोरिया में 142 फीसदी और मलेशिया में 124 फीसदी है।
ज्यादातर विकसित देशों में यह अनुपात 100 फीसदी से ज्यादा है। स्विटजरलैंड में यह 290 फीसदी, अमेरिका में 231 फीसदी, कनाडा में 196 फीसदी, यूके में 138 फीसदी, जापान में 135 फीसदी, ऑस्ट्रेलिया में 135 फीसदी, फ्रांस में 131 फीसदी है। जर्मनी, इटली और स्पेन इसके अपवाद हैं, जहां यह अनुपात 100 फीसदी से नीचे है।

First Published : June 7, 2021 | 11:42 PM IST