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लॉन्ग टर्म निवेशकों को लुभा रहा भारतीय बाजार: प्रमोद गुब्बी

बाजार ने पिछले कुछ सप्ताहों से उतार-चढ़ाव देखा है, क्योंकि निवेशकों ने नियामकों की चिंताओं के बीच मिडकैप और स्मॉलकैप में भारी बिकवाली की है।

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पुनीत वाधवा   
Last Updated- March 24, 2024 | 10:21 PM IST

बाजार ने पिछले कुछ सप्ताहों से उतार-चढ़ाव देखा है, क्योंकि निवेशकों ने नियामकों की चिंताओं के बीच मिडकैप और स्मॉलकैप में भारी बिकवाली की है। मार्सेलस इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के सह-संस्थापक प्रमोद गुब्बी ने पुनीत वाधवा को एक साक्षात्कार में बताया कि वृहद आर्थिक मजबूती के कारण बाजार उचित आय वृद्धि को ध्यान में रखते हुए मौजूदा मूल्यांकन को सही मान रहा है। बातचीत के मुख्य अंश:

क्या आप मानते हैं कि भारतीय इ क्विटी बाजार में विदेशी प्रवाह 2024 के शेष हिस्से में कमजोर होगा, क्योंकि चीन और जापान ज्यादा आकर्षक विकल्प हो रहे हैं?

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) वि भिन्न आकार और स्वरूप में वि भिन्न समय अव धियों में अलग अलग लक्ष्यों के साथ आते हैं। इस निवेश के हालात काफी हद तक दरों पर भी निर्भर करेंगे। हालांकि अमेरिकी अर्थव्यवस्था की आश्चर्यजनक ताकत और मुद्रास्फीति के लिए आपूर्ति पक्ष की जोखिमों का मतलब यह है कि दरों में जितनी कटौती सोची गई थी उससे कम की ही संभावना है, इसलिए हम थोड़ा झटका या मंदी देख रहे हैं। कह सकते हैं कि दर चक्र से संबं धित कदम ही इस प्रवाह की चाल तय करेंगे।

क्या मौजूदा हालात के हिसाब से अमेरिका और भारत में दर कटौती की संभावनाएं पूरी तरह खत्म हैं?

आप यह नहीं कह सकते कि यह संभावना पूरी तरह खत्म है। अमेरिका और भारतीय अर्थव्यवस्था दोनों इतनी मजबूत हैं कि विकास के लिए किसी मौद्रिक नीति के प्रोत्साहन की आवश्यकता नहीं है। भू-राजनीतिक घटनाक्रमों का मतलब है कि मुद्रास्फीति के लिए आपूर्ति-संबं धित जो खिम बने हुए हैं। इसलिए अभी दर कटौती का बड़ा कारण नहीं दिख रहा है। लेकिन यदि वृद्धि के लिए जो खिम बढ़ता है और मुद्रास्फीति का संकट घटता है तो दर कटौती का विकल्प फिर से उपलब्ध होगा।

छोटे निवेशक अब बाजार, खासकर मिडकैप, स्मॉलकैप को किस नजरिये से देख रहे हैं?

फरवरी के म्युचुअल फंड (एमएफ) निवेश के आंकड़े देखने से पता चलता है कि स्मॉलकैप में उत्साह कुछ धीमा पड़ा है। निवेशकों, फंड हाउसों और सलाहकारों ने सतर्कता पर जोर दिया है और स्मॉलकैप एवं मिडकैप में निवेश सीमित हुआ है।

क्या आप मानते हैं कि सेबी और एम्फी ने मिडकैप और स्मॉलकैप के बारे में अपने ताजा बयानों के जरिये बाजारों में अनावश्यक उतार-चढ़ाव को बढ़ावा दिया है?

मेरा मानना है कि निवेशक जागरूकता और सुरक्षा के नजरिये से अनि श्चितता में कमी के लिहाज से यह दीर्घाव धि में फायदेमंद साबित हो सकता है लेकिन फिलहाल निवेशकों के लिए इस दौर से निपटना कुछ हद तक चुनौतीपूर्ण लग रहा है।

क्या आप मानते हैं कि मार्सेलस के लिटिल चैम्प और राइजिंग जायंट्स पोर्टफोलियो में संपूर्ण प्रतिफल इस साल धीमा बना रहेगा क्योंकि उनका जोर मुख्य तौर पर मिडकैप पर है?

हमारे स्मॉल और मिडकैप पोर्टफोलियो ने गुणवत्ता के कारण इस तेजी में हिस्सा नहीं लिया है। हमें विश्वास है कि हमारे पोर्टफोलियो कमजोरी की अव धि में मुख्य बाजार के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन करेंगे और संपूर्ण परिवेश की चिंता किए बगैर गुणवत्ता के लिए प्रतिबद्ध बने रहेंगे।

क्या भारतीय उद्योग जगत के लिए आय की रफ्तार काफी हद तक पटरी पर है? अगर हां, तो आपको नहीं लगता कि आय सुधरने पर बाजार मूल्यांकन भी ठीक हो जाएगा?

हां, इसकी उम्मीद है। वृहद आ र्थिक मजबूती को देखते हुए बाजार में उचित आय वृद्धि मानकर चल रहा है और इसलिए मौजूदा मूल्यांकन को सही ठहराया जा रहा है। लेकिन ऐसे कई क्षेत्र हैं जिनमें आय वृद्धि चिंताजनक है, खासकर खपत-आधारित क्षेत्र। ऐसे भी क्षेत्र हैं जिनमें मूल्यांकन फंडामेंटल्स से जुड़े नहीं हैं और निराश कर सकते हैं। लेकिन समग्र बाजार की बात करें तो हम कमोबेश उचित मूल्य क्षेत्र में हैं।

क्या आप मानते हैं कि आपके ग्राहकों से निवेश कमजोर हो रहा है या आप उन्हें ज्यादा खरीदने को कह रहे हैं क्योंकि मूल्यांकन आकर्षक हो गए हैं?

हमारा मानना है कि मौजूदा चुनौतीपूर्ण परिवेश में निवेश प्रवाह बढ़ेगा क्योंकि हमारे गुणवत्ता केंद्रित नजरिये ने पोर्टफोलियो को मजबूती प्रदान की है क्योंकि वे प्रमुख बाजारों से कम जुड़े हैं।

First Published : March 24, 2024 | 10:21 PM IST