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FPI Data: विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) ने अगस्त के पहले पखवाड़े में भारतीय शेयर बाजार से करीब 21,000 करोड़ रुपये की बिकवाली की है। इस गिरावट के पीछे अमेरिका-भारत ट्रेड टेंशन, पहली तिमाही के कमजोर कॉर्पोरेट नतीजे और रुपये की कमजोरी जैसे कारक रहे।
डिपॉजिटरी आंकड़ों के मुताबिक, साल 2025 में अब तक एफपीआई की इक्विटी से कुल निकासी 1.16 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच चुकी है।
एंजल वन के सीनियर फंडामेंटल एनालिस्ट वक़ार जावेद खान ने कहा कि अमेरिका-रूस तनाव में हाल की नरमी और नए प्रतिबंधों की अनुपस्थिति यह संकेत देती है कि भारत पर प्रस्तावित 25% सेकेंडरी टैरिफ 27 अगस्त के बाद लागू होने की संभावना कम है। यह शेयर बाजार के लिए राहत की बात है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि एसएंडपी द्वारा भारत की क्रेडिट रेटिंग ‘BBB-’ से बढ़ाकर ‘BBB’ करना एफपीआई की भावनाओं को और मजबूत कर सकता है।
अगस्त 1 से 14 तक एफपीआई ने कुल 29,975 करोड़ रुपये की शुद्ध बिकवाली की। इससे पहले जुलाई में 17,741 करोड़ रुपये की निकासी हुई थी। वहीं मार्च से जून के बीच एफपीआई ने करीब 38,673 करोड़ रुपये का निवेश किया था।
मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि लगातार बिकवाली की मुख्य वजह वैश्विक अनिश्चितताएं हैं। विकसित अर्थव्यवस्थाओं, खासकर अमेरिका में ब्याज दरों को लेकर असमंजस और भू-राजनीतिक तनावों ने निवेशकों को सतर्क किया है। इसके अलावा डॉलर की मजबूती ने भी उभरते बाजारों की आकर्षण क्षमता घटाई है।
जियोजित इन्वेस्टमेंट्स के वी.के. विजयकुमार ने बताया कि कमजोर अर्निंग्स ग्रोथ और ऊंचे वैल्यूएशन भी निकासी का कारण बने हैं। सेक्टोरल स्तर पर देखें तो आईटी शेयरों में लगातार बिकवाली से आईटी इंडेक्स दबाव में रहा, हालांकि बैंकिंग और फाइनेंशियल सेक्टर में संस्थागत खरीद और उचित वैल्यूएशन की वजह से स्थिति बेहतर बनी हुई है।
इस बीच, एफपीआई ने डेब्ट जनरल लिमिट में 4,469 करोड़ रुपये और डेब्ट वॉलंटरी रिटेंशन रूट में 232 करोड़ रुपये का निवेश किया है।