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आईपीओ निवेश में एफपीआई आगे

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 10, 2022 | 2:12 AM IST

वर्ष 2020 में आरंभिक सार्वजनिक पेशकशों (आईपीओ) में प्रमुख निवेशकों के तौर पर विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) का घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) से ज्यादा योगदान रहा।
प्राइम डेटाबेस के आंकड़ों से पता चलता है कि वर्ष के लिए एफपीआई की निवेश भागीदारी 4,206 करोड़ रुपये पर दर्ज की गई, जो पिछले साल आईपीओ के जरिये जुटाई गई 7,720 करोड़ रुपये का 55 प्रतिशत है।
हालांकि पांच प्रमुख निवेशकों में से चार – आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एमएफ (426 करोड़ रुपये), आदित्य बिड़ला सनलाइफ एमएफ (363 करोड़ रुपये), सिंगापुर सरकार (326 करोड़ रुपये), एचडीएफसी म्युचुअल फंड (294 करोड़ रुपये) और ऐक्सिस एमएफ (280 करोड़ रुपये) म्युचुअल फंड थे। प्रमुख 15 विदेशी निवेशकों ने 2,084 करोड़ रुपये का निवेश किया, जबकि 15 भारतीय प्रमुख निवेशकों ने 2,824 करोड़ रुपये का योगदान दिया।
प्रमुख भारतीय निवेशकों की सूची में म्युचुअल फंडों का दबदबा रहा और शीर्ष-15 में सिर्फ एक बीमा कंपनी एचडीएफसी लाइफ इंश्योरेंस थी और इसका योगदान 109 करोड़ रुपये का रहा। कुछ प्रमुख विदेशी निवेशकों में गोल्डमैन सैक्स (213 करोड़ रुपये), नोमुरा फंड्स आयरलैंड (199 करोड़ रुपये), पायनियर इन्वेस्टमेंट फंड (187 करोड़ रुपये) और गवर्नमेंट पेंशन फंड ग्लोबल (164 करोड़ रुपये) शामिल थे।
पिछले साल प्रमुख निवेश के लिहाज से प्रमुख पांच आईपीओ में एसबीआई काड्र्स ऐंड पेमेंट सर्विसेज (2,768 करोड़ रुपये), ग्लैंड फार्मा (1,944 करोड़ रुपये), कम्प्यूटर एज मैनेजमेंट सर्विसेज (666 करोड़ रुपये), यूटीआई ऐसेट मैनेजमेंट (645 करोड़ रुपये) और बर्गर किंग इंडिया (364 करोड़ रुपये) शामिल थे।
घरेलू प्रमुख निवेशकों ने अतीत में सिर्फ 2018 और 2014 में ही विदेशी निवेशकों की तुलना में ज्यादा निवेश योगदान दिया। वर्ष 2018 में घरेलू निवेश की भागीदारी 4,045 करोड़ रुपये (52 प्रतिशत योगदान) और 2014 में 63 प्रतिशत दर्ज की गई थी।
वर्ष 2009 और 2020 के पिछले आईपीओ चक्र में प्रमुख निवेशकों का निवेश मुख्य रूप से विदेशी निवेशकों पर केंद्रित था और घरेलू निवेशकों ने महज 11 प्रतिशत योगदान दिया।
प्राइम डेटाबेस के प्रबंध निदेशक प्रणव हल्दिया ने कहा, ‘एफपीआई के निवेश को 2020 में उस तेजी के रुझान के तौर पर देखा गया जो हमने सेकंडरी बाजार में दर्ज किया। डीआईआई ने भी म्युचुअल फंडों के जरिये प्रमुख निवेशकों के तौर पर बड़ा निवेश किया, लेकिन कुल योगदान वर्ष की दूसरी छमाही में इक्विटी योजनाओं में दर्ज की गई निकासी की वजह से प्रभावित माना जा सकता है।’
ऊंची डीआईआई भागीदारी का रुझान पिछले तीन वर्षों में मजबूत हुआ है और इसे म्युचुअल फंडों से मदद मिली। इक्विटी योजनाओं में पिछले साल जून से निकासी देखी गई, लेकिन एसआईपी के जरिये मासिक प्रवाह 7,800 करोड़ रुपये और 8,000 करोड़ रुपये पर मजबूत बना रहा।
विश्लेषकों के अनुसार, आईपीओ ने उन कई कंपनियों को अवसर मुहैया कराया जो बाजार में मौजूद नहीं थीं। ‘एंकर’ यानी प्रमुख निवेश से खरीदारों को कीमत प्रभाव के बगैर निर्धारित भाव पर तय आवंटन हासिल करने में मदद मिलती है। वहीं खुले बाजार में ऐसा नहीं है, जहां अभिदान के आधार पर आवंटन घट सकता है। बाजार नियामक सेबी ने 2009 में आईपीओ के लिए एंकर निवेशकों की अवधारणा शुरू की थी।

First Published : January 6, 2021 | 8:41 PM IST