अमेरिकी फेडरल रिजर्व की तरफ से ब्याज दरों में बढ़ोतरी के फैसले से पहले बुधवार को निफ्टी लगातार छठे दिन लाल निशान में बंद हुआ। यह इंडेक्स पिछले छह कारोबारी सत्र में 4.8 फीसदी यानी 786 अंक टूटकर 15,692 पर आ गया है। बढ़ती महंगाई व बॉन्ड प्रतिफल में बढ़ोतरी के बीच पिछले दो महीने में इंडेक्स में 13 फीसदी से ज्यादा की गिरावट दर्ज हुई है। एक नोट में आईआईएफएल रिसर्च ने पांच संकेतकों को रेखांकित किया है जो बताता है कि निवेशकों के बीच काफी सतर्कता का रुख है। पांच संकेतक…
200 दिन का मूविंग एवरेज
बीएसई 500 में शामिल 80 फीसदी से ज्यादा शेयर अपने-अपने 200 दिन के मूविंग एवरेज से नीचे कारोबार कर रहे हैं, जो बाजार की अवधारणा का अहम तकनीकी माप है। यह मई 2020 के बाद का निचला स्तर है जब 83 फीसदी शेयर अपने-अपने 200 दिन के मूविंग एवरेज से नीचे कारोबार कर रहे थे। आईआईएफएल ऑल्टरनेटिव रिसर्च के उपाध्यक्ष श्रीराम वेलायुधन ने कहा, 200 दिन का मूविंग एवरेज पिछली बिकवाली मसलन 2008 के वैश्विक आर्थिक संकट या 2013 के घटनाक्रम के दौरान बाजार का अहम संकेतक साबित हुआ है।
निफ्टी बनाम 200 डीएमए प्रीमियम/डिस्काउंट का स्प्रेड
एक अन्य भरोसेमंद संकेतक स्प्रेड अब 9 फीसदी है। सामान्य भाषा में निफ्टी अभी अपने 200 दिन के मूविंग एवरेज से 9 फीसदी नीचे है। कुछ मौकों पर गिरावट का दौर पलट गया था जब यह संकेतक 12 फीसदी से लेकर -15 फीसदी के दायरे में रहा था।
52 हफ्ते का उच्च-निम्न डीएमए बनाम एनएसई 500
52 हफ्ते का उच्च-निम्न बैरोमीटर बीएसई 500 में शामिल शेयरों के 52 हफ्ते के उच्चस्तर व निम्नस्तर को छूने वालों के बीच का अंतर 100 दिन का मूविंग एवरेज ग्राफ होता है। विगत में जब यह ग्राफ 40 या -30 को छू गया था तब बाजार में उछाल का अच्छा संकेतक था। अभी यह नकारात्मक क्षेत्र में चला गया है। वेलायुधन ने कहा, इस बैरोमीटर के और नीचे जाने की गुंजाइश है और यह सिर्फ न्यूट्रल जोन के महज पार निकला है।
चढ़ने-गिरने वालों के अनुपात का 600 डीएमए
यह अभी -200 से नीचे है और कई साल के निचले स्तर -300 की ओर जा रहा है। विगत में बाजार इसके 200 तक टूटने के बाद सुधरा है। वेलायुधन ने कहा, ऐसे में मेरा मानना है कि इसमें और गिरावट की गुंजाइश है।
एफपीआई की शॉर्टिंग
आईआईएफएल ऑल्टरनेटिव रिसर्च के मुताबिक, इंडेक्स फ्यूचर्स में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की शॉर्ट करने की दिलचस्पी अभी सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गई है। इंडेक्स फ्यूचर्स को शॉर्ट करने में एफपीआई की हिस्सेदारी अभी करीब 89 फीसदी है।