Categories: बाजार

रुपये में तेज घट-बढ़ सहन नहीं

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 5:22 PM IST

रुपये में नरमी देखते हुए भारतीय कंपनियों की विदेशी उधारी का वह हिस्सा चिंता का सबब बना हुआ है, जिसकी हेजिंग नहीं है। मगर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने आज कहा कि बकाया बाह्य वाणिज्यिक उधारी (ईसीबी) का बड़ा हिस्सा प्रभावी तरीके से हेज किया हुआ है।
मुंबई में एक कार्यक्रम में दास ने कहा, ‘आरबीआई की जून, 2022 की वित्तीय स्थायित्व रिपोर्ट के अनुसार 180 अरब डॉलर की बकाया ईसीबी में से करीब 44 फीसदी या 79 अरब डॉलर बिना हेजिंग के थी।’ उन्होंने कहा, ‘इसमें करीब 40 अरब डॉलर की देनदारी पेट्रोलियम, रेलवे और बिजली क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों की थी, जिनकी परिसंपत्तियां स्वाभाविक तौर पर जोखिम से बची रहती है यानी हेज रहती हैं।’
बाकी करीब 39 अरब डॉलर, जो कंपनियों की कुल बकाया ईसीबी के 22 फीसदी हैं, इसलिए सुरक्षित हैं क्योंकि उन कंपनियों को विदेशी मुद्रा से आय होती है।
दास ने कहा कि इसका मतलब है कि कुल बकाया ईसीबी का काफी छोटा हिस्सा ही सही मायने में हेज किया हुआ नहीं है। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि अगर सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में विदेशी मुद्रा विनिमय का जोखिम होता है तो उसका वहन सरकार द्वारा किया जा सकता है। लेकिन इस तरह के जोखिम की आशंका कम ही है।
दास ने कहा, ‘असुरक्षित विदेशी मुद्रा के लेनदेन से घबराने के बजाय उसे सही संदर्भ में देखना चाहिए।’ उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि आरबीआई ने रुपये के किसी विशेष स्तर का लक्ष्य तय नहीं किया है। लेकिन केंद्रीय बैंक सुनिश्चित करना चाहता है कि आरबीआई रुपये में तेज उतार-चढ़ाव और अस्थिरता को बिल्कुल भी बरदाश्त नहीं करेगा।
दास का बयान उस समय आया है, जब देसी शेयर बाजार से विदेशी निवेशकों की बिकवाली, जिंसों की कीमतों में तेजी और अमेरिका में ब्याज दर बढ़ोतरी के कारण डॉलर के मुकाबले रुपये पर भारी दबाव देखा जा रहा है।
डॉलर के मुकाबले रुपया इस हफ्ते 80.06 तक गिर गया था और इस साल इसमें 7 फीसदी गिरावट आ चुकी है। बीते एक महीने से रुपये में गिरावट तेज हो गई थी और इस दौरान वह करीब 2 फीसदी कमजोर हुआ है।
दास ने कहा, ‘आयात और कर्ज भुगतान की जरूरतों की वजह से मांग की तुलना में बाजार में विदेशी मुद्रा वास्तव में कम है। ऐसे में रिजर्व बैंक लगातार बाजार में डॉलर की आपूर्ति कर रहा है जिससे विदेशी मुद्रा की तरलता बनी रहे।’
आरबीआई गवर्नर ने कहा, ‘इसी उद्देश्य से हमने विदेशी मुद्रा भंडार बनाया है। आप छाता इसीलिए खरीदते हैं कि बारिश में उसका इस्तेमाल कर सकें।’ ताजा आंकड़ों के अनुसार आरबीआई का विदेशी मुद्रा भंडार एक हफ्ते में 7.5 अरब डॉलर घटकर 15 जुलाई को 572.71 अरब डॉलर रह गया। फरवरी अंत में रूस-यूक्रेन युद्ध होने के समय भारत का विदेशी मुद्रा भंडार करीब 630 अरब डॉलर था। सितंबर 2021 के स्तर से विदेशी मुद्रा भंडार में करीब 70 अरब डॉलर की कमी आई है। महंगाई के मसले पर दास ने कहा कि कीमतों में वृद्धि पर अनिश्चितता बनी हुई है, लेकिन लगता है कि मुद्रास्फीति उच्चतम स्तर पर पहुंच चुकी है। उन्होंने कहा, ‘माहौल काफी अनिश्चितता भरा है और जल्दबाजी में कोई निष्कर्ष नहीं निकालना चाहिए। मुद्रास्फीति 7.8 फीसदी से घटकर अब 7 फीसदी के करीब रह गई है।’जून में खुदरा मुद्रास्फीति नरम होकर 7.1 फीसदी रही, जो मई में 7.4 फीसदी थी।

First Published : July 23, 2022 | 1:39 AM IST