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46 कंपनियों को 1,365 करोड़ का घाटा

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 06, 2022 | 10:04 PM IST

कंपनियों के मार्च 2008 के नतीजों पर ध्यान दें तो करीब 46 कंपनियों को कमोडिटी हेजिंग, विनिमय दर में अनिश्चितता और विदेशी विनिमय सौदों की वजह से कुल मिलाकर 1,365 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है।


उनके नेट प्रॉफिट में 8.9 फीसदी की गिरावट भी दर्ज की गई है। लिहाजा,इन कंपनियों  को मार्केट- टू-मार्कट (एमटीएम) घाटे झेलने पड़ रहे है,और प्रावधानों के बाद नेट प्रॉफिट ग्रोथ महज 24.5 फीसदी रह गया है।


तिमाही परिणामों पर नजर डालने से मालूम चलता है कि 13 फर्मों ने डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट के चलते हुए एमटीएम घाटे की भरपाई के लिए 302 करोड़ रूपयों का प्रावधान किया है। 18 फर्मों ने विनिमय दर की अनिश्चतता दूर करने  के लिहाज से 800 करोड़ रूपये जबकि चार फर्मों ने फारेक्स हेजिंग के लिए 118 करोड़ रूपये जारी  किए हैं।


जबकि बाकी कंपनियों ने कमोडिटी हेजिंग और विदेशी मुद्रा के बदलने से संबंधित बांड(एफसीसीबी) के ब्याज खर्च के लिए 143 करोड रूपये जारी किए हैं। हालांकि भारतीय फर्मों के प्रति विदेशी लोन के एक्सपोजर को देखते हुए घोषित एमटीएम घाटा बहुत ज्यादा प्रतीत नही होता।


लेकिन भारतीय फर्मों को डेरिवेटिव एक्सपोजर सेगमेंट के तहत कितना एमटीएम घाटा हुआ है,इसको लेकर कोई आंकड़ा उपलब्ध नही है,पर इस संबंध में भारतीय स्टेट बैंक स्पष्ट कर चुकी है कि फारेक्स डेरिवेटिव सेगमेंट के तहत इसके 300 ग्राहकों को 600-700 करोड़ रूपये का एमटीएम घाटा हुआ है। जबकि आईसीई बैंक ने इस संबंध में कोई डाटा जारी नही करने को प्राथमिकता दी है।


इसके अलावा एफसीसी बांड और ईसीबी(बाहरी वाणिज्यिक उधार)भी, पैसों को विदेशी खातों में रखने और ब्याज खर्च के चलते घाटे झेलने पर मजबूर हुए। वित्तीय वर्ष2005-06 और 2006-07 के दौरान एफसीसी बांड के चलते 44,000 करोड़ रूपये का उधार और ईसीबी के चलते उधार की मात्रा 126,400 करोड़ रूपये की हो गई है।


उधर चौथी तिमाही के दौरान आईसीआईसीआई के ट्रेजरी इनकम में 63 फीसदी की कमी दर्ज की गई है,जो इसके एमटीएम मे 400 करोड़ रूपये के घाटे के कारण हुआ है। यह घाटा बैंक के विदेशी निवेश पर दर्ज किया गया है।


दूसरी ओर स्टेट बैंक को कु ल 100 करोड़ रूपये को फारेक्स घाटा हुआ है। इस फेहरिस्त में रिलांयस कम्यूनिके शन,सत्यम कंप्यूटर्स और एचसीएल भी हैं। रिलांयस कम्यू.को 25.3 करोड़ रूपये का घाटा जबकि भारती एयरटेल  को अपने वित्तीय खर्चे के रूप में यह घाटा सहना पड़ा।


मारूति सुजुकी को अपने फारेक्स डेरिवेटिव्स पर कुल 50.5 करोड़ रूपये को घाटा सहना पड़ा। जबकि इंफोसिस,विप्रो,सत्यम कंप्यूटर्स और एचसीएल को फारेक्स रेवेन्यू के हेजिंग के चलते घाटा सहना पड़ा।

First Published : May 8, 2008 | 10:50 PM IST