उद्योग जगत के कई बार किए गए अनुरोधों के बावजूद केंद्र सरकार ने आवश्यक और गैर आवश्यक जिंसों के बारे में कोई कदम न उठाने का मन बनाया है। केंद्र ने इसके बारे में कोविड-19 के प्रसार की स्थिति और स्थानीय स्तर पर लॉकडाउन को देखते हुए फैसला राज्य सरकारों पर छोड़ दिया है।
वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों ने कहा कि अब सरकार की प्राथमिकता माइक्रो कंटेनमेंट जोन में आपूर्ति सुनिश्चित करना है। गैर आवश्यक सामान की डिलिवरी के लिए तब तक इंतजार करना पड़ेगा, जब तक कि कोविड की दूसरी लहर चरम पर है।
बिजनेस स्टैंडर्ड से एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘अभी हमारा ध्यान जिंदगियां बचाने पर है। यह राज्यों पर है कि वे अपनी जरूरतों के मुताबिक जरूरी और गैर जरूरी वस्तुओं को परिभाषित करें। वे इस सिलसिले में कुछ समय के लिए या कम से कम तब तक के लिए फैसला कर सकती हैं, जब तक कोविड-19 का संक्रमण शीर्ष पर है।’
एक बार जब कोरोना के मामले कम होने शुरू हो जाएंगे तो जरूरी होने पर केंद्र सरकार कदम उठा सकती है और ई-कॉमर्स कंपनियों को गैर जरूरी सामानों की डिलिवरी की अनुमति की अनुमति पर विचार कर सकती है। अधिकारी ने कहा कि बहरहाल अभी उद्योग एवं आंतरिक कारोबार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) इस सिलसिले में कोई कदम नहीं उठाएगा और इसे राज्यों पर छोड़ देगा कि वे जरूरी और गैर जरूरी वस्तुओं की डिलिवरी को लेकर अपने नियम तैयार करें।
पिछले साल की तरह इस बार देशबंदी नहीं है। महाराष्ट्र पहला राज्य था, जिसने कफ्र्यू लगाया। दिल्ली और झारखंड जैसे कुछ राज्यों ने बाद में ऐसा किया और कोरोना के मामले बढऩे पर लॉकडाउन लगाया। बहरहाल पिछले साल के विपरीत आपूर्ति शृंखला बाधित नहीं हुई है और ई-कॉमर्स लॉजिस्टिक्स पर कोई बड़ा असर नजर नहीं आ रहा है।
कुछ राज्यों ने रात का कफ्र्यू और जिलावार लॉकडाउन लगाया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के रविवार के आंकड़ों के मुताबिक करीब 3.5 लाख लोग भारत में पिछले 24 घंटे में कोविड-19 पॉजिटिव पाए गए हैं।
ई-कॉमर्स उद्योग चाहता है कि हर तरह की डिलिवरी की अनुमति दी जाए और आवश्यक और गैर आवश्यक के बीच भेद न किया जाए, वही ऑफलाइन कारोबारियों का कहना है कि अगर ई-कॉमर्स फर्मों को बगैर किसी भेद के डिलिवरी की अनुमति दी गई तो भौतिक बाजारों को भी अपनी संपूर्ण कारोबारी गतिविधियां चलाने की अनुमति दी जानी चाहिए।
उपरोक्त उल्लिखित अधिकारी ने कहा, ‘हमें व्यापक संदर्भों में भी देखने की जरूरत है।’ उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार जरूरत पड़ी तो भविष्य में हस्तक्षेप करेगी।
इस महीने की शुरुआत में उद्योग संगठन नैशनल एसोसिएशन आफ सॉफ्टवेयर ऐंड सर्विसेज कंपनीज (नैसकॉम) ने महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम, डीपीआईआईटी के सचिव और गृह मंत्रालय के सचिव को पत्र लिखकर अनुरोध किया था कि ई-कॉमर्स कंपनियों को सभी वस्तुओं व सेवाओं की डिलिवरी की अनुमति दी जानी चाहिए और उन्हें आवश्यक वस्तुओं तक प्रतिबंधित नहीं किया जाना चाहिए।