दूरसंचार विभाग (डीओटी) ने इस साल स्पेक्ट्रम की नीलामी के संचालन के लिए मंत्रिमंडल के प्रस्ताव का मसौदा तैयार करना आरंभ कर दिया है। विभाग यह कदम ऐसे समय पर उठा रहा है जब ऑपरेटर समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) के फैसले के परिणाम को लेकर संघर्ष कर रहे हैं।
इस नीलामी प्रक्रिया से ऑपरेटरों की ओर से दूरी बनाए जाने की पूरी आशंका है, ऐसे में डीओटी ने अब तक निविदा में महंगी 5जी स्पेक्ट्रम को शामिल करने पर फैसला नहीं लिया है।
स्पेक्ट्रम की मात्रा के संबंध में मामूली बदलाव किए जाने की उम्मीद है, इसके पहले तक अनबिके रह गए कुछ एयरवेव्स को इसमें जोड़ा जा सकता है। बाकी सिफारिशें भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के सुझावों के अनुरूप ही हैं।
नीलामीकर्ता के तौर चुनी गई एमएसटीसी अगले महीने के अंत तक आवेदन या एनआईए दस्तावेज मंगाने के लिए नोटिस जारी कर सकती है।
ऐसा पहली बार है जब एमएसटीसी को स्पेक्ट्रम की नीलामी कराने का जिम्मा सौंपा गया है। सार्वजनिक क्षेत्र के इस उद्यम ने 2015 के आरंभ में कोयले की नीलामी कराई थी। यह नीलामी सर्वोच्च न्यायालय की ओर से सितंबर 2014 में कोयला खदानों के आवंटन को रद्द किए जाने के बाद आयोजित की गई थी। यह कंपनी विभिन्न केंद्रीय और राज्य सरकार के विभागों के लिए भी नीलामी का आयोजन कर रही है।
इस मामले के जानकार एक व्यक्ति ने कहा कि मसौदा नोट तो तैयार किया जा रहा है लेकिन केंद्र सरकार ने अभी तक काफी मांग की जा रही 5जी स्पेक्ट्रम को इस नीलामी में शामिल करने को लेकर कोई निर्णय नहीं लिया है। मसौदा नोट पर टिप्पणी के लिए इसे दूसरे मंत्रालयों के पास भेजा जाएगा।
सरकार के आकलन के मुताबिक वोडाफोन आइडिया की एजीआर देनदारी 53,000 करोड़ रुपये से अधिक है, वहीं भारती एयरटेल को इसके लिए 35,500 करोड़ रुपये का भुगतान करना है। दोनों कंपनियों ने अपनी देनदारी में से कुछ हिस्से का भुगतान किया है।
इन दोनों कंपनियों ने नीलामी को लेकर दूरसंचार क्षेत्र में व्याप्त वित्तीय दबावों का हवाला देकर बार बार अपनी अनिच्छा जताई है। इसके अलावा उनकी आपत्ति 5जी की कीमतों को लेकर भी है। जियो एकमात्र ऐसी कंपनी है जिसने निविदा प्रक्रिया में भागीदारी करने की इच्छा जताई थी। हालांकि इसने भी कहा था कि 5जी स्पेक्ट्रम बैंड की कीमत काफी ऊंची है।
अगस्त 2018 में ट्राई ने रेडियो तरंगों के 8,093 मेगाहट्र्ज की बिक्री की सिफारिश की थी जिसका इस्तेमाल 5जी और दूसरे बैंडों पर दूरसंचार सेवाओं के लिए किया जाना था। इसकी नीलामी 5.7 लाख करोड़ रुपये से अधिक की शुरुआती कीमत पर होनी है।