क्रिसिल के मुताबिक ऋण अनुपात उच्च स्तर पर बना हुआ है। यह कंपनियों के प्रोफाइल में सुधार के संकेत देता है। वित्त वर्ष 23 की सितंबर में समाप्त पहली छमाही के दौरान रेटिंग बढ़ने और घटने का अनुपात दर्शाने वाला ऋण अनुपात 5.52 गुने के उच्च स्तर पर बना रहा, जो पिछले वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में 5.04 गुना था। घरेलू मांग बेहतर रहने, बेहतर नकदी प्रवाह के कारण उधारी पर ज्यादा लाभ और सभी सेक्टर में बैलेंस सीट बेहतर रहने के कराण ऋण अनुपात बढ़ा है।
क्रेडिट आउटलुक अभी सकारात्मक बना हुआ है। आर्थिक तेजी के कारण घरेलू मांग भी बढ़ने की उम्मीद है। रेटिंग एजेंसियों का कहना है कि इसके साथ ही सरकार द्वारा बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में खर्च में तेजी लाने का उद्योग जगत में बेहतर संदेश गया है। बहरहाल महंगाई दर उच्च स्तर पर रहने, ब्याज दरों में बढ़ोतरी और बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में मंदी की वजह से जोखिम बना हुआ है। महामारी की वजह से आए व्यवधान के बावजूद पिछले 3 साल के दौरान अपग्रेडेड कंपनियों के प्रदर्शन में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।
एक अन्य रेटिंग एजेंसी इक्रा ने कहा कि भारत के उद्योग जगत की ऋण गुणवत्ता में वित्त वर्ष 2023 की पहली तिमाही में मजबूती जारी रही है। वित्त वर्ष 2022 की शुरुआत से ही इसमें गति है। वित्त वर्ष 2023 की पहली छमाही और वित्त वर्ष 2022 में भी रेटिंग में बढ़ोतरी, रेटिंग कम किए जाने की तुलना में 3 गुना अधिक रहा है। वित्त वर्ष 23 की पहली छमाही में ऋण अनुपात 3.3 गुना रहा है। वित्त वर्ष 2022 की पहली छमाही में यह 2.8 गुना था।