कारों और खासकर एसयूवी की ढुलाई बढ़ाने के लिए रेलवे अपने वैगन के नए डिजाइन बनाने के साथ बुनियादी ढांचा दुरुस्त करने में जुटा है। बिजनेस स्टैंडर्ड को यह जानकारी मिली है। अधिकारियों ने कहा कि रेलवे के इस कदम से वाहन निर्माताओं की ढुलाई की लागत आधी हो जाएगी।
चालू वित्त वर्ष में रेलवे ने 2,206 रैक यात्री वाहन देश भर में पहुंचाए हैं और पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि की तुलना में इसमें 68 फीसदी वृद्धि हुई है। वाहन विनिर्माताओं के संगठन सायम के मुताबिक वित्त वर्ष 2023 की पहली छमाही में बिके कुल 22.7 लाख यात्री वाहनों में करीब आधा यूटिलिटी वाहन थे। वित्त वर्ष 23 की पहली छमाही में कुल मिलाकर यात्री वाहनों की बिक्री 35.5 फीसदी बढ़ी है, वहीं यूटिलिटी वाहनों की बिक्री में 45.51 फीसदी की बढ़ोतरी हुई।
कारों और खासकर स्पोर्ट्स यूटिलिटी व्हीकल(एसयूवी) की ढुलाई बढ़ाने के लिए रेलवे अपने वैगन के नए डिजाइन बनाने के साथ बुनियादी ढांचा दुरुस्त करने में जुटा है। बिजनेस स्टैंडर्ड को यह जानकारी मिली है। अधिकारियों ने कहा कि रेलवे के इस कदम से वाहन निर्माताओं की ढुलाई की लागत आधी हो जाएगी।
चालू वित्त वर्ष में रेलवे ने 2,206 रैक यात्री वाहन (पीवी) देश भर में पहुंचाए हैं और पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि की तुलना में इसमें 68 प्रतिशत वृद्धि हुई है। सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सायाम) के मुताबिक वित्त वर्ष 2023 की पहली छमाही में कुल बिकी 22.7 लाख पीवी में करीब आधी यूटिलिटी व्हीकल (यूवी) थीं।
वित्त वर्ष 23 की पहली छमाही में कुल मिलाकर पीवी की बिक्री 35.5 प्रतिशत बढ़ी है, वहीं यूवी की बिक्री में 45.51 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है। यूवी सेग्मेंट में एसयूवी और एमयूवी (मल्टी यूटिलिटी व्हीकल) शामिल हैं।
मारुति सुजूकी और टाटा मोटर्स देश की शीर्ष 5 एसयूवी बनाने वाली कंपनियों में शीर्ष पर हैं। इन कंपनियों ने रेलवे द्वारा एसयूवी ट्रांसपोर्टेशन के फैसले का स्वागत किया है।
बड़ी कारों के लिए लंबे वैगन
रेलवे के एक अधिकारी ने कहा कि रेलवे लंबे वैगन बनाएगा, जिससे उसी मालगाड़ी में ज्यादा कारों, खासकर एसयूवी की ढुलाई हो सके। मौजूदा डबल डेकर वैगनों की डिजाइन इतनी छोटी है कि दोनों डेक में कारों की ढुलाई नहीं हो सकती है। रेलवे का कहना है कि नई डिजाइन, जिसकी मांग अभी वाहन निर्माताओं द्वारा की जा रही है, से एसयूवी की ढुलाई की लागत आधी हो सकती है। इस समय रेलवे नए मॉडीफाय़ड गुड्स (एनएमजी) वैगनों का इस्तेमाल करती है। इसका डिजाइन बिल्कुल वैसा ही है, जैसा नियमित यात्री ट्रेनों का होता है।
इसमें एक वैगन में 3-4 वाहन ले जाए जा सकते हैं, जो वाहन की लंबाई पर निर्भर है। रेलवे डबल डेकर वैगनों का भी इस्तेमाल करता है। बहरहाल वैगनों के ऊपरी डेक की लंबाई और चौड़ाई एसयूवी की ढुलाई के अनुकुल नहीं है। इसमें मुख्य रूप से हेचबैक और दोपहिया की ढुलाई हो सकती है।
रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न दिए जाने की शर्त पर कहा, ‘डिजाइन किए जा रहे नए वैगनों की ऊंचाई ज्यादा है। इसमें ऊपरी व निचली दोनों डेक में एसयूवी की ढुलाई हो सकेगी। नए वैगन में अभी के डिजाइन की तुलना में दोगुने एसयूवी की ढुलाई हो सकती है।’
अधिकारियों ने कहा कि नए वैगन को नमूने के तौर पर तैयार किया जा रहा है और उसका परीक्षण हो रहा है। वहीं एक और डिजाइन को अभी अंतिम रूप दिया जाना बाकी है, उसके बाद उपयोग के हिसाब से वैगनों का निर्माण व परीक्षण होगा। नए डिजाइन रेलवे के मिशन 3000 का हिस्सा है, जिसमें 2027 तक 300 मिलियन टन ढुलाई का लक्ष्य है। 2021-22 के 1,418 टन ढुलाई की तुलना में यह दोगुना है। इसके इस्तेमाल से सड़क मार्ग से ढुलाई का बड़ा हिस्सा रेलवे के खाते में चला जाएगा। इस समय कुल पीवी की ढुलाई में रेलवे की हिस्सेदारी 16 फीसदी है।
लाइनों में सुधार और समर्पित गलियारे
बहरहाल वाहन निर्माताओं साथ बातचीत में रेलवे बोर्ड के समक्ष पूरे ट्रैक और पुल संबंधी बुनियादी ढांचे में बदवाव की जरूरत बताई गई थी, जिससे कि उसके ओवरहेड इक्विपमेंट (ओएचई) संबंधी बुनियादी ढांचे की ऊंचाई बढ़ाई जा सके और उसमें बड़े वैगन चल सकें।
एक अन्य अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा कि इन बदलावों पर भी काम हो रहा है। कुछ खंडों पर और काम करने की जरूरत होगी, जबकि नए बने ट्रैक और गलियारों जैसे समर्पित माल ढुलाई गलियारों (डीएफसी) में पहले ही इसका ध्यान रखा जा रहा है। गलियारे चालू होने के बाद इस पर नए वैगन से ढुलाई हो सकेगी। इसका मतलब यह है कि नए वैगनों की यात्रा हरियाणा, पंजाब, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र में शुरू हो सकती है। वहीं दक्षिण के कुछ राज्यों को भी शामिल किया गया है।
चारपहिया वाहन बनाने वाली कंपनियों ने कार्बन उत्सर्जन घटाने की इस पहल का स्वागत किया है, जिससे ढुलाई की लागत में भी कमी आएगी। इस समय ज्यादातर कारों की ढुलाई सड़क मार्ग से होती है जिसमें ईंधन का ज्यादा इस्तेमाल होता है। यह पर्यावरण के प्रतिकूल है और महंगा भी है। रेलवे से ढुलाई की शुरुआत करने वाली कंपनियों में मारुति सुजूकी शामिल है। मारुति सुजूकी के कंपनी मामलों के कार्यकारी अधिकारी राहुल भारती ने कहा, ‘अगर इस तरह का डिजाइन तैयार हो जाता है तो रेलवे की ढुलाई की क्षमता बढ़ जाएगी। इससे रेलवे से ढुलाई बढ़ेगी और सड़कों पर भीड़ कम होगी। इसके उत्सर्जन घटेगा और ग्राहकों का आधार तेजी से बढ़ेगा।’
टाटा मोटर्स के प्रवक्ता ने कहा, ‘नए डबल डेकर डिजाइन की उच्च क्षमता वाहनों की ढुलाई योजना (एएफटीओ) के तहत चल रही है, जिसका डिजाइन बेहतर है। बहरहाल इससे एसयूवी की ढुलाई नहीं हो सकती है।’ प्रवक्ता ने कहा कि वैगनों का डिजाइन नए सिरे से तैयार करने का रेलवे का फैसला स्वागतयोग्य है। इस सिलसिले में बिज़नेस स्टैंडर्ड की ओर से पूछे गए सवालों का हुंडई, किया और महिंद्रा ऐंड महिंद्रा ने जवाब नहीं दिया।
