संक्रमण बढ़ने से केरल मॉडल पर सवाल

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 2:17 AM IST

कोरोनावायरस महामारी की पहली लहर के दौरान केरल ने जिस तरह कोविड-19 को नियंत्रित किया था उसकी वजह से उसके प्रबंधन मॉडल की खूब चर्चा हुई लेकिन अब राष्ट्रीय स्तर पर संक्रमण के कुल मामलों में से लगभग आधे से अधिक मामले वहीं देखे जा रहे हैं। ऐसे में विशेषज्ञ और विपक्षी दल इस बात पर केरल की आलोचना कर रहे हैं कि राज्य ने कोरोनावायरस महामारी की दूसरी लहर का प्रबंधन किस तरह किया।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने गुरुवार को कहा कि केंद्र सरकार वहां की स्थिति का आकलन करने के लिए विभिन्न विभागों से जुड़ी छह सदस्यीय उच्चस्तरीय टीम भेजेगी जिसकी अध्यक्षता राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) के निदेशक डॉ एस के सिंह कर रहे हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने भी राज्य में कोविड मामलों में आई तेजी को देखकर चिंता जताई है। इस स्थिति से निपटने के लिए राज्य सरकार ने अब सप्ताहांत (31 जुलाई-1 अगस्त) में लॉकडाउन लगाने की घोषणा की है।
केरल में संक्रमण के 154,000 सक्रिय मामले देखे गए और देश में संक्रमण के कुल सक्रिय मामले में राज्य की हिस्सेदारी करीब 37.1 फीसदी है और पिछले सात दिनों में इसमें 1.41 की वृद्धि दर रही है। राज्य में संक्रमण की दर संचयी आधार पर 12.93 फीसदी और साप्ताहिक आधार पर 11.97 प्रतिशत रही। राज्य के करीब छह जिले साप्ताहिक आधार पर 10 प्रतिशत से अधिक संक्रमण के मामले की सूचना दे रहे हैं।
राज्य में 28 जुलाई को संक्रमण के 22,129 मामले सामने आए जो उस दिन देश भर के कुल 42,498 मामलों का करीब 50 प्रतिशत तक था और औसत संक्रमण जांच दर 12.35 फीसदी थी जो 3 फीसदी राष्ट्रीय औसत का कई गुना है। विशेषज्ञों का कहना है कि खराब प्रबंधन, सरकारी निगरानी तंत्र की प्रक्रिया ढीली पडऩे, निजी कंपनियों को जिम्मेदारी देने में देरी होने, नियमों में ढील और ऐंटीजन जांच पर अधिक निर्भरता की वजह से भी राज्य में संक्रमण के मामलों की संख्या में तेजी आ सकती है।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अध्यक्ष डॉ जे ए जयलाल ने कहा, ‘संक्रमण के मामलों में वृद्धि सरकारी नीतियों में खामी के कारण है। वहां सामूहिक समारोहों की अनुमति दी जा रही है। परीक्षाओं का आयोजन किया जा रहा है और अंतराल के साथ लॉकडाउन लगाया जा रहा है।’
विशेषज्ञों के अनुसार, संक्रमण की बढ़ती संख्या की मुख्य वजह ऐंटीबॉटी का स्तर कम होना भी हो सकता है क्योंकि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा किए गए सीरो सर्वेक्षण में राज्य में ऐंटीबॉडी का स्तर 42.7 फीसदी था जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह 67.7 फीसदी तक था। विपक्षी दल यह आरोप लगा रहे हैं कि चुनाव से पहले संक्रमण के मामले कम दर्ज किए गए और जांच की संख्या भी कम ही रही जिसकी वजह से उस वक्त आंकड़े कम ही दिखे। जब 6 अप्रैल को  राज्य में विधानसभा चुनाव होने जा रहे थे तब राज्य में संक्रमण के मामलों की तादाद 59,051 थी और दर्ज किए जाने वाले नए मामलों की संख्या केवल 3,502 थी।
दिलचस्प बात यह है कि 28 जुलाई को जांच की संख्या बढ़कर 196,902 हो गई जिसमें दो गुना बढ़ोतरी दर्ज की गई। विपक्षी दलों का आरोप है कि ये आंकड़े संकेत देते हैं कि संक्रमण की तादाद कम करके बताई गई क्योंकि केरल मॉडल जनसंपर्क की कवायद थी और सरकार ने चुनावों को ध्यान में रखते हुए इसे पेश करने का राजनीतिक हथकंडा अपनाया था। विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक पूर्व अधिकारी और सार्वजनिक स्वास्थ्य के एक विशेषज्ञ डॉ एस एस लाल ने कहा, ‘उस दौरान केरल में जांच कम होने के कारण संक्रमण के मामलों की संख्या भी कम थी। केरल का पूरा कोविड प्रबंधन नाकाम हो गया। सरकार ने अक्टूबर में निजी क्षेत्र को जिम्मेदारी दी क्योंकि वह इसका पूरा श्रेय लेना चाहती थी। इस वजह से सरकारी क्षेत्र के स्वास्थ्यकर्मी ज्यादा काम होने और छुट्टियां न मिलने की वजह से थक गए।’
लाल ने कहा कि 80 प्रतिशत से अधिक डॉक्टर और नर्स निजी क्षेत्र के अस्पतालों में हैं और करीब 70 प्रतिशत मरीज भी ऐसे अस्पतालों पर निर्भर हैं और उन्हें कोविड से बचाव की लड़ाई में दूर रखना भी केरल की खामी भरी रणनीति साबित हुई। इससे भी अधिक चिंताजनक बात यह है कि कोविड की वजह से मरने वालों की संख्या बढ़ रही है। मई के मध्य से राज्य में लगातार 100 से अधिक मौत हो रही है और मरने वालों की तादाद 6 जून को बढ़कर 227 हो गई जबकि 28 जुलाई 131 लोगों की मौत कोविड की वजह से हो गई।
लाल ने कहा कि केरल में रैपिड ऐंटीजन टेस्ट (70 फीसदी) पर राज्य की अधिक निर्भरता रही जबकि तमिलनाडु जैसे राज्यों ने 100 प्रतिशत आरटी-पीसीआर जांच का विकल्प अपनाया जिसकी वजह से भी केरल में मामलों का पता नहीं चल पाया। जयलाल ने कहा, ‘केरल राज्य में टीकों की उपलब्धता भी एक अहम मुद्दा है। अब तक केरल की 37 फीसदी आबादी को टीके की कम से कम एक खुराक मिली है।’

First Published : July 29, 2021 | 11:42 PM IST