मुरारी लाल जालान ने करियर की शुरुआत 1980 में कोलकाता में अपने पारिवारिक पेपर ट्रेडिंग से की। समय के साथ उन्होंंने अन्य क्षेत्रों में कदम रखा और रूस, यूएई और उजबेकिस्तान में उद्यम शुरू किया। इतने वर्षों बाद जब उन्होंने जेट एयरवेज को बहाल करने की बोली जीत ली तो अचानक सुर्खियों में आ गए।
शनिवार को समाप्त लेनदारों की समिति की मतदान प्रक्रिया में कालरॉक कैपिटल-मुरारी लाल जालान का कंसोर्टियम चुना गया।
जालान की पृष्ठभूमि विमानन क्षेत्र की नहीं है लेकिन कालरॉक प्रबंधन के सदस्य मसलन मनोज मदनानी और जॉन ओरम ने पोलैंड के अरबपति जेन कुलजैक के लिए कार्गो व लॉजिस्टिक्स में काम किया है। मदनानी और ओरम अन्य विमानन कंपनियों में निवेश व पुनर्गठन का काम भी कर चुके हैं।
सूत्रों ने कहा कि जालान स्थापित विनिर्माता मसलन जेके पेपर और बल्लारपुर इंडस्ट्रीज के लिए ट्रेडर के तौर पर काम कर चुके हैं। पेपर ट्रेडिंग में कामयाबी के बाद उन्होंने फोटो इमेजिंग व फोटोग्राफी इक्विपमेंट वितरण का काम किया।
साल 2003 में जालान कनोई पेपर ऐंड इंडस्ट्रीज का अधिग्रहण कर पेपर के विनिर्माण में उतरे। कंपनी का नाम बदलकर एजियो पेपर कर दिया गया और इस कंपनी के बिलासपुर में विनिर्माण संयंत्र हैं जिसकी स्थापित क्षमता 15,500 टन है लेकिन प्रदूषण से जुड़े मसलों के कारण साल 2010 से उत्पादन बंद है।
बाद में उन्होंंने रियल एस्टेट और स्वास्थ्य सेवा में प्रवेश किया। साल 2015 में जालान ने डॉ. नरेश त्रेहन ऐंड एसोसिएट्स हेल्थ सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड की हिस्सेदारी 75 करोड़ रुपये में द्वितीयक बिक्री के लेनदेन के तहत ली। डॉ. त्रेहन की मेदांता हॉस्पिटल ने जालान की साझेदारी में दुबई में हॉस्पिटल खोलने की योजना बनाई, लेकिन यह योजना सिरे नहीं चढ़ पाई।
अभी जालान उजबेकिस्तान में पांच सितारा होटल समेत आवासीय व वाणिज्यिक परिसंपत्तियां विकसित करने मेंं जुटे हैं। नामागन शहर में उनकी एक परियोजना का डिजायन मशहूर वास्तुशिल्पी हाफीज कॉन्ट्रैक्टर ने तैयार किया है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, जालान का पारिवारिक व कारोबारी गठजोड़ दक्षिण अफ्रीका के गुप्ता परिवार के साथ है, जो वहां भ्रष्टाचार का आरोप झेल रहे हैं।
जालान से इस बारे में टिप्पणी नहीं मिल पाई। कालरॉक कैपिटल ने बिजनेस स्टैंडर्ड के ईमेल का जवाब नहीं दिया। जालान को जानने वाले एक उद्यमी का कहना है कि वह सच्चे कारोबारी हैं।