भारत तय करेगा गैस की वैश्विक मांग

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 15, 2022 | 7:54 PM IST

वर्ष 2020 की अस्थायी मंदी के बाद भारत एशिया में गैस की मांग तय करने वाले  शीर्ष देशों में होगा। अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) की गैस क्षेत्र पर 2020 के लिए जारी रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।
आईईए के अनुमान के आधार पर भारत में 2019 से 2025 के बीच हर साल 28 अरब घनमीटर (बीसीएम) गैर की मांग बढऩे की संभावना है। इसकी वजह गैस को समर्थन देने वाली सरकार की नीतियां और तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलपीजी) और पाइपलाइन संबंधी बुनियादी ढांचे में सुधार है।
रिपोर्ट से संकेत मिलता है कि भारत का प्राकृतिक गैस उत्पादन भी 2019-25 के दौरान 12 बीसीएम सालाना बढ़ेगा। इसमें से ज्यादातर शुद्ध बढ़ोतरी चल रही गहरे जल की विकास परियोजनाओं से आने की संभावना है। रिपोर्ट में कहा गया है कि एशिया प्रशांत क्षेत्र कुल एलएनजी आयात में अपनी हिस्सेदारी 2019 के 69 प्रतिशत से बढ़ाकर 2025 तक 77 प्रतिशत कर सकता है। इसमें से भारत में एलएनजी की वृद्धि करीब 20 प्रतिशत रहेगी और इसका आयात भी 2019 से 2025 के बीच 50 प्रतिशत बढ़ सकता है।
भारत में प्राकृतिक गैस की खपत 2020 की पहली तिमाही में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में अनुमानित रूप से 10 प्रतिशत बढ़ी है। बहरहाल मार्च में देशव्यापी बंदी की वजह से इसकी मांग में तेज गिरावट आई है।
रिपोर्ट के अनुसार गैर खपत अप्रैल में 25 प्रतिशत कम हुई है क्योंकि छोटे उद्योग व परिवहन के लिए सीएनजी डिस्ट्रीब्यूशन बंद रहा है। वहीं गैस से बनाई जाने वाली बिजली की मांग 14 प्रतिशत बढ़ी है, जबकि बिजली की मांग में 24 प्रतिशत गिरावट आई है। बिजली की मांग पूरी करने के लिए सस्ती आयातित गैस का इस्तेमाल बढ़ा है।
आईईए ने कहा है कि संकट के बाद भारत में मुख्य रूप से औद्योगिक क्षेत्र से मांग बढ़ेगी, जिसकी 2019-25 के बीच बढ़ी हुई मांग में 36 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी। रिफाइनिंग के नेतृत्त्व में ऊर्जा उद्योग की हिस्सेदारी बढ़ी हुई खपत में 10 प्रतिशत होगी। वहीं नेटवर्क बढऩे के साथ आवासीय व  परिवहन क्षेत्र में मांग में तेज बढ़ोतरी होगी, जिसकी बढ़ी मांग में हिस्सेदारी क्रमश: 19 प्रतिशत और 34 प्रतिशत होगी।
रसोई गैस (एलएनजी) के मामले में भारत का सालाना आयात 16 बीसीएम बढ़ सकता है और इसकी मांग अनुमान की अवधि खत्म होने तक 48 बीसीएम हो सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मुंद्रा और एन्नौर टर्मिनल जोड़े जाने और दाहेज संयंत्र का विस्तार किए जाने से प्रभावी रीगैसीफिकेशन क्षमता 53 बीसीएम हो गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, ‘5 नए टर्मिनल और दाभोल में ब्रेकवाटर संयंत्र, जिस पर पहले से ही काम चल रहा है, को पूरा किए जाने के बाद से भारत की आयात क्षमता 31 बीसीएम सालाना और बढ़ सकती है।’

First Published : June 10, 2020 | 11:27 PM IST