‘भारत-अमेरिका का संयुक्त प्रयास वै​श्विक वृद्धि का इंजन’

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 3:50 PM IST

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को कहा कि यदि भारत और अमेरिका अपनी अर्थव्यवस्थाओं के विकास में संयुक्त प्रयास करें तो वे अगले दो दशकों में वै​श्विक वृद्धि के इंजन साबित हो सकते हैं। यूनाइटेड स्टेट्स-इंडिया बिजनेस काउंसिल (यूएसआईबीसी) द्वारा आयोजित कार्यक्रम में सीतारमण ने कहा, ‘यदि भारत और अमेरिका मिलकर काम करें तो अगले 20 साल में हम वै​श्विक अर्थव्यवस्था के आकार में संयुक्त रूप से 30 प्रतिशत योगदान दे सकते हैं। हम वै​श्विक जीडीपी में 30 प्रतिशत तक योगदान देने में सक्षम होंगे। इससे भारत और अमेरिका वै​श्विक वृद्धि का इंजन बन जाएंगे।’ 

सीतारमण के ये बयान उन रिपोर्टों के बीच आए हैं जिनमें कहा गया कि पिछले साल की दिसंबर तिमाही से भारत ने अमेरिका के भागीदार ब्रिटेन को दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अ​र्थव्यवस्था के पायदान से हटाकर स्वयं का स्थान बनाया है।  कई अन्य विषयों का भी जिक्र करते हुए सीतारमण ने कहा कि जहां मुद्रास्फीति सरकार के लिए प्राथमिकता है, वहीं उन्होंने इसे बहुत ज्यादा चिंताजनक नहीं बताया है। उन्होंने कहा कि चिंताजनक विषय रोजगार, संप​त्ति वितरण और वृद्धि से जुड़े होंगे। 

विकसित देशों में मंदी की आशंकाओं की वजह से जिंस कीमतों में गिरावट से भारत में मुद्रास्फीति में नरमी को बढ़ावा मिला है, हालांकि वै​श्विक परिवेश अभी भी अनि​श्चित बना हुआ है, क्योंकि यूक्रेन-रूस युद्ध को आठ महीने हो चुके हैं और रूसी राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन यूरोप को ऊर्जा आपूर्ति में और अ​धिक कटौती की चेतावनी दे रहे हैं। जुलाई में भारत की उपभोक्ता कीमत सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति पांच महीनों में निचले स्तर पर आ गई, क्योंकि इसे वै​श्विक जिंस कीमतों में नरमी और घरेलू तौर पर खाद्य कीमतों में गिरावट से मदद मिली, लेकिन यह मौद्रिक नीति समिति के मध्याव​धि लक्ष्य से ऊपर बनी रही।

वित्त मंत्री ने कहा कि भारत वै​श्विक निवेशकों और व्यवसायियों के साथ अपनी भागीदारी में लगातार इजाफा करेगा और अगले 25 साल के लिए निवेश का आधार मजबूत बनाएगा। उन्होंने कहा, ‘खासकर ऐसे समय में आपसी समझ  से भारत और अमेरिका के बीच मूल्यों में मजबूती आएगी जब दुनिया कई मुद्दों पर विभाजित है। ये साझा मूल्य सिर्फ लोकतंत्र तक ही सीमित नहीं हैं। इनसे जरूरतमंद अन्य अर्थव्यवस्थाओं को भी मदद मिलेगी। भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार और विविधता कई अवसरों की पेशकश करते हैं।’

First Published : September 7, 2022 | 10:18 PM IST