देश के आवास क्षेत्र की बिक्री पर रीपो रेट में बढ़ोतरी के साथ ब्याज बढ़ने से कोई खास असर नहीं पड़ेगा। कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज (केआईई) की मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि ज्यादा ब्याज दरों का भारत के आवास बाजार पर उतना असर नहीं होगा, जितना अमेरिकी बाजार पर पड़ने की संभावना है।
केआईई ने कहा, ‘भारत के आवास बाजार की बिक्री पर कुछ असर दिख सकता है। ब्याज दरों में बढ़ोतरी से कर्ज की मासिक किस्त (ईएमआई) कुछ बढ़ने के साथ चूक मामूली बढ़ सकती है।’
घरेलू उधारी दर करीब 90 आधार अंक बढ़ी है, उतनी ही बढ़ोतरी रीपो रेट में हुई है।
इसमें कहा गया है, ‘हम उम्मीद कर रहे हैं कि रीपो रेट 5.75 के स्तर पर पहुंच सकता है। इससे ब्याज दरें 8.5 प्रतिशत तक पहुंच जाएंगी और वित्त वर्ष 2021-22 की तुलना में ईएमआई 15 प्रतिशत बढ़ जाएगी। हमें इसका असर कम होने की दो वजहें दिख रही हैं। पहला, लोगों के वेतन में 5 से 7 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी और घरेलू महंगाई दर औसतन 5 से 6 प्रतिशत रहेगी, जिससे ईएमआई व आमदनी का अनुपात सुधरेगा। दूसरा, मकान के नए खरीदार अपने कर्ज की अवधि बढ़ा सकते हैं, जिससे ईएमआई स्थिर रहे।’
केआईई ने कहा है कि आवास बाजार का कम आधार भी मकान की मांग में संभावित मंदी को कम कर सकता है।
पिछले साल कुछ रिकवरी हुई है। इसकी वजह से वित्त वर्ष 22 की तुलना में 5 प्रमुख बाजारों में बिक्री 23 प्रतिशत बढ़ी है। हालांकि रिपोर्ट में कहा गया है कि मात्रा एक दशक पहले के शीर्ष स्तर के आसपास है।
इसमें कहा गया है, ‘भारत का आवास बाजार 2011-12 से 2018-19 तक कमजोर रहा है। नई पेशकश कम हुई हैं और इसकी वजह से भंडारण प्रबंधन योग्य रहा है। बहरहाल मकान की औसत कीमत में बढ़ोतरी अमेरिका की तुलना में भारत में उल्लेखनीय रूप से कम रही है।’