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बड़ा निवेशक बना केमन आईलैंड

Last Updated- December 15, 2022 | 8:24 PM IST

बहुचर्चित कर पनाह वाला देश केमन आइलैंड अब भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का 10वां सबसे बड़ा स्रोत बन गया है। इसने भारत में एफडीआई निवेश के मामले में दक्षिण कोरिया और संयुक्त अरब अमीरात जैसे बड़े देशों को पीछे छोड़ दिया है। एक ओर जहां पिछले कुछ वर्षों में कर पनाहगार देशों से एफडीआई निवेश में उछाल आया है, इसी हफ्ते डीपीआईआईटी की ओर से जारी अनुमानों से पता चलता है कि 2019-20 में इसमें अप्रत्याशित उछाल आया है। 
उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) की ओर से गुरुवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक 2019-20 में प्रत्यक्ष विदेशी इक्विटी निवेशों (एफडीआई) में 14 फीसदी की वृद्धि हुई, जो चार साल का उच्च स्तर है। एफडीआई निवेश अब रिकॉर्ड 49.8 अरब डॉलर पर पहुंच गया है।   
एफडीआई के इन आंकड़ों से नीति निर्माताओं को राहत मिलेगी, जो इक्विटी निवेश में कमजोर वृद्धि को लेकर चिंतित थे। यह 2018-19 में सिकुड़कर 1 फीसदी रह गया था और उससे पहले वर्ष में यह 3 फीसदी बढ़ा था।
लेकिन सूत्र बताते हैं कि डीपीआईआईटी कर पनाहगार देशों से बढ़ती आवक से चौकन्ना है। कर पनाह वाले देशों में विदेशी निवेशकों के लिए कराधान की बहुत कम प्रभावी दर होती है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘हमने भारतीय कंपनियों की ओर से लाभों की संभावित फेरी की बढ़ती घटनाओं पर ध्यान दिया है। इसके बारे में कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय के साथ चर्चा की जाएगी।’    
2019-20 में कैरिबियाई न्यायक्षेत्र से 3.7 अरब डॉलर की आवक रही जबकि 2018-19 में वहां 1 अरब डॉलर का निवेश आया था। इसके पास में ही स्थित छोटे से ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड से 26.25 करोड़ डॉलर निवेश आया। देखने में यह रकम कम लग सकती है लेकिन 2018-19 में यहां से भेजे गए 4.6 करोड़ डॉलर के निवेश के मुकाबले यह काफी अधिक है।       
कर टालने के खिलाफ आवाज उठाने वाला स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क, टैक्स जस्टिस नेटवर्क  की ओर पिछले वर्ष जारी की गई कॉरपोरेट टैक्स हैवन इंडेक्स (सीटीएचआई) में यूनाइटेड किंगडम के दो भूभागों को पहला और तीसरा स्थान दिया गया था।

First Published - June 1, 2020 | 12:25 AM IST

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