देश में शुक्रवार को कोरोनावायरस के डेल्टा प्लस स्वरूप के 48 मामले 10 राज्यों में सामने आए हैं और उनमें से सबसे अधिक 20 मामले महाराष्ट्र में पाए गए हैं वहीं मध्य प्रदेश में संक्रमण के 7 मामले दर्ज किए गए हैं। सरकार ने कहा कि डेल्टा प्लस स्वरूप का प्रसार स्थानीय स्तर पर है और दुनिया में इसके मामले सीमित हैं। केंद्र सरकार का कहना है कि प्रयोगशालाओं में यह अध्ययन जारी है कि इस स्वरूप से बचाव में टीका कितना प्रभावी है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के महानिदेशक बलराम भार्गव ने कहा, ‘वायरस को अलग किया गया है और हमें करीब एक हफ्ते में वायरस के डेल्टा प्लस स्वरूप पर टीके के असर के नतीजे मिलने चाहिए।’ भार्गव ने कहा कि अल्फा, बीटा, डेल्टा से बचाव में कोवैक्सीन कारगर है और वायरस के स्वरूपों के आधार पर सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़ी रणनीति नहीं बदलेगी। उन्होंने कहा, ‘अगर जरूरत पड़ी तब टीके के संघटकों में स्वरूपों के मुताबिक बदलाव किया जा सकता है।’
आईएनएसएसीओजी अपनी 28 प्रयोगशालाओं के नेटवर्क के साथ देश के 300 साइटों से नमूने इकट्ठा कर रहा है। आईएनएसएसीओजी दोबारा संक्रमण, गंभीर मामलों और अस्पतालों में टीकाकरण के बाद संक्रमण जैसे मामलों के नमूनों का अनुक्रमण कर रहा है। नैशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के निदेशक सुजीत सिंह का कहना है, ‘हम राज्यों के साथ इस स्वरूप से जुड़ी सूचनाएं साझा कर रहे हैं। जिन जिलों में वायरस के चिंताजनक स्वरूपों की जानकारी मिली है वहां फिर से सख्त निगरानी करने की सलाह दी गई है और सख्त सार्वजनिक स्वास्थ्य उपाय करने के लिए कहा गया है।’ कोरोनावायरस के बी.1.617.2 स्ट्रेन के डेल्टा स्वरूप से ही डेल्टा प्लस या डेल्टा-एवाई1 जुड़ा है। इस स्ट्रेन में सार्स-सीओवी2 वायरस के स्पाइक प्रोटीन में के417एन म्यूटेशन होता है जिससे कोविड-19 बीमारी होती है। के417एन म्यूटेशन वाले वायरस पर किसी भी दवा का असर कम होता है।
एनसीडीसी के प्रमुख ने कहा कि ऐसे कोई वैज्ञानिक साक्ष्य नहीं हैं जिनके आधार पर यह कहा जा सके कि डेल्टा प्लस स्वरूप की वजह से संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं। सिंह ने कहा, ‘हमने पिछले तीन महीने में जो आंकड़े देखे हैं उनमें किसी भी राज्य में बढ़ोतरी के रुझान नहीं दिखे हैं।’ एनसीडीसी ने यह भी कहा कि इस साल फरवरी में जीनोम अनुक्रमण की सूचना दो बार, मार्च और अप्रैल में चार बार, मई में छह बार साझा की गई है। इस महीने तक चार रिपोर्ट साझा की गई है।
डेल्टा प्लस के मामले 12 देशों में सामने आए हैं और 16 देश के कुल संक्रमण में डेल्टा स्वरूप की हिस्सेदारी 25 फीसदी है। दिसंबर 2020 के एक जिले से फैलकर डेल्टा स्वरूप मार्च 2021 तक 52 जिलों में और जून तक 35 राज्यों के 174 जिलों तक फैल गया जो संक्रमण की दूसरी लहर का प्रमुख कारक बना। आंध्र प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, महाराष्ट्र, केरल, पंजाब, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल जैसे 8 राज्यों में संक्रमण के करीब 50 फीसदी मामलों में वायरस के इन्हीं चिंताजनक स्वरूपों का योगदान रहा।
सरकार ने कहा कि कोविड-19 के चिंताजनक स्वरूप के मामलों का अनुपात मई, 2021 के 10.31 फीसदी से बढ़कर जून, 2021 में 51 फीसदी हो गया। सरकार ने जोर दिया कि कोविड-19 के दोनों टीके कोविशील्ड एवं कोवैक्सीन सार्स-सीओवी-2 के अल्फा, बीटा, गामा एवं डेल्टा स्वरूपों से बचाव में प्रभावी हैं। सरकार ने कहा कि भारत में कोविड की दूसरी लहर अभी खत्म नहीं हुई है, अब भी 75 जिलों में कोरोनावायरस संक्रमण की दर 10 फीसदी से अधिक तथा 92 जिलों में 5 से 10 फीसदी के बीच है।