देश में कोविड टीके की 1 अरब खुराक!

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 12:12 AM IST

केवल 10 महीने के भीतर भारत कोविड टीके की एक अरब खुराक लगाने की उपलब्धि हासिल करने वाला है। कोरोनावायरस के खिलाफ यह टीकाकरण अभियान 16 जनवरी को शुरू हुआ था। सरकार अपनी इस उपलब्धि पर बड़े जश्न की तैयारी कर रही है। इसने लाल किले पर तिरंगा फहराने, विमानों, बसों एवं रेल में घोषणाओं जैसे कई कार्यक्रमों की योजना बनाई है।
स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने शनिवार को टीकाकरण पर कैलाश खेर का एक ऑडियो-विजुअल गाना पेश किया। कोविन डैशबोर्ड के आज शाम छह बजे के आंकड़ों के मुताबिक अब तक लगी कुल खुराकों में से 28.8 फीसदी दूसरी खुराक हैं। इस तरह भारत की 29.9 फीसदी आबादी का पूरा टीकाकरण हो चुका है। अब तक भारत की पात्र आबादी (18 साल और उससे अधिक) में से 74 फीसदी को कोविड टीके की पहली खुराक लग गई है।
सरकार ने लाल किले पर तिरंगा फहराकर और विमानों, बसों एवं ट्रेनों में उद्घोषणा के जरिये इस उपलब्धि का जश्न मनाने की योजना बनाई है। अगर भारत साल के अंत तक पूरी वयस्क आबादी के टीकाकरण के लक्ष्य के नजदीक पहुंचना चाहता है तो अब उसे दूसरी खुराक को प्राथमिकता देनी होगी। हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि दूसरी लहर की जितनी तीव्रता रही है और भारत में बड़ी आबादी को एक खुराक लग चुकी है, उससे भारत निकट भविष्य में किसी घातक लहर से बचने की अच्छी स्थिति में है।
महामारी विज्ञानी जयप्रकाश मुलियल ने कहा, ‘भारत ने अपनी वयस्क आबादी के टीकाकरण में अच्छा काम किया है। टीके की एक खुराक लगने और प्राकृतिक संक्रमण के ऊंचे स्तर से हमें पर्याप्त सुरक्षा मिलेगी।’
अगर खुराकों के बीच 12 से 16 सप्ताह के मौजूदा अंतर को घटाया जाता तो पूर्ण टीकाकृत व्यक्तियों की हिस्सेदारी काफी तेजी से बढ़ सकती थी। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि यह मामला लगातार उनकी निगरानी और वैज्ञानिक जांच-पड़ताल के अधीन है।
सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा कि अब सरकार को बूस्टर खुराकों के विकल्प के बारे में सोचना शुरू करना चाहिए। कम से कम उन लोगों के लिए, जिन्होंने इस साल की शुरुआत में टीके लगवाए थे या जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है। वेल्लोर स्थित क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज में सूक्ष्मजीव विज्ञानी और प्रोफेसर गगनदीप कंग ने कहा, ‘हमें भारत में उन बुजुर्गों की जानकारी एकत्र करनी चाहिए, जिन्हें कोवैक्सीन टीका लगा है।’
कोवैक्सीन साइनोफार्म और साइनोवैक टीकों से बहुत अलग है। लेकिन इन दो निष्क्रिय टीकों ने लंबी अवधि की सुरक्षा, विशेष रूप से बुजुर्गों के लिए अच्छे नतीजे नहीं दिखाए हैं। हमने कोवैक्सीन टीके बड़ी तादाद में बुजुर्गों के लगाए हैं। हमें टीके के असरदार होने की जानकारी हासिल करनी चाहिए ताकि हम फैसला ले सकें कि बूस्टर खुराक की जरूरत है या नहीं।’
दुनिया भर में अमेरिका, इजरायल जैसे बहुत से देशों ने बूस्टर खुराक लगाना शुरू कर दिया है, जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन देशों को कह रहा है कि गरीब देशों को पहले टीके मुहैया कराए जाएं। अभी तक सरकार ने कहा है कि बूस्टर खुराक की कोई योजना नहीं है और ज्यादा से ज्यादा लोगों को टीके लगाने पर ध्यान दिया जा रहा है। टीकाकरण नीति में सबसे पहले स्वास्थ्यकर्मियों एवं अग्रिम पंक्ति के कर्मचारियों को शामिल किया गया था। इसके बाद इसके दायरे में किसी बीमारी वाले 45 साल से अधिक उम्र के लोगों और 60 साल से अधिक उम्र के नागरिकों को लाया गया। जून से 18 साल से ऊपर के हर व्यक्ति को टीका लगवाने के लिए पात्र माना गया है। बच्चों के टीकाकरण की चर्चाएं तेज हो रही हैं, मगर स्वास्थ्य विशेषज्ञ इनके सुरक्षित होने पर चिंता जता रहे हैं।

First Published : October 17, 2021 | 11:14 PM IST