न्यूयॉर्क में ऐसे बदलाव की बयार महसूस की जा रही है जो राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के विचारों वाले उस अमेरिका को चुनौती दे रही है, जहां अब विविधता, आपसी मेल-जोल, आप्रवासन और फिलिस्तीन जैसे विषयों पर मुखर होकर बोलना मुश्किल हो गया है। जोहरान क्वामे ममदानी की मेयर चुनाव में दलीय स्तर पर प्राथमिक जीत ने यह उम्मीद जगा दी है कि यदि इसी साल नवंबर में होने वाले मुख्य मुकाबले में रिपब्लिकन उम्मीदवार को हरा देते हैं तो वह न्यूयॉर्क शहर के पहले भारतीय-अमेरिकी और पहले मुस्लिम मेयर बन जाएंगे।
डेमोक्रेट उम्मीदवार 33 वर्षीय ममदानी पहले रिपब्लिकन पार्टी से जुड़े रहे हैं। उनके माता-पिता अप्रवासी हैं। वह फिलिस्तीन का खुलकर समर्थन करते हैं और न्यूयॉर्क शहर के लिए उनके दिमाग में समाजवादी और समावेशी एजेंडा है, जिसमें बच्चों की मुफ्त देखभाल और किराये की सीमा तय करने जैसे मुद्दे हैं। वह जलवायु परिवर्तन की समस्या के प्रति बेहद गंभीर हैं। यही नहीं, उनका इरादा रईस शहरियों पर कर लगाने के साथ ही कॉरपोरेट कर बढ़ाना है। उनका फिलिस्तीन समर्थक नारा- ‘इंतिफादा (विद्रोह या बगावत) का वैश्वीकरण करो’ ही उनके विरोधियों को उन पर निशाना साधने और अमेरिकी मीडिया को उनकी राजनीति का विश्लेषण करने पर मजबूर कर रहा है। लेकिन वह अपने विचारों के प्रति अडिग प्रतीत हो रहे हैं।
ममदानी कई मायनों में बहुसंस्कृतिवाद के प्रतीक हैं। उनकी मां मीरा नायर, जानी-मानी भारतीय-अमेरिकी फिल्म निर्माता हैं। उनकी कई फिल्मों को वैश्विक स्तर पर सराहना मिली है। इनमें ‘सलाम बॉम्बे!’, ‘मिसिसिपी मसाला’, ‘द नेमसेक’, ‘क्वीन ऑफ कटवे’, ‘मॉनसून वेडिंग’ जैसी फिल्में शामिल हैं जिन में नायर सीमा से परे जाकर समाज की हकीकत को सामने रखती नजर आती हैं। चाहे वह पहली पीढ़ी के अप्रवासियों (द नेमसेक) के संघर्षों से जुड़ा मुद्दा हो या भारत के वित्तीय केंद्र मुंबई की झुग्गियों में बच्चों के अनिश्चितता भरे जीवन (सलाम बॉम्बे!) को बड़े पर्दे पर उतारना अथवा युगांडा में गरीब परिवार में जन्मी 10 वर्षीय शतरंज की विलक्षण प्रतिभा वाली (क्वीन ऑफ कटवे) खिलाड़ी हो, मीरा इन सभी की चुनौतियों, परेशानियों को सहज तरीके से बहस के केंद्र में ला देती हैं।
जोहरान ममदानी के मध्य नाम ‘क्वामे’ के पीछे एक कहानी है। यह नाम उन्हें उनके भारतीय-युगांडा पृष्ठभूमि वाले पिता महमूद ममदानी ने घाना के पहले राष्ट्रपति क्वामे क्रूमा के सम्मान में दिया था। बीबीसी ने क्रूमा को स्वतंत्रता का नायक और औपनिवेशिक शासन की बेड़ियों को तोड़ने वाले पहले अश्वेत अफ्रीकी देश के नेता के रूप में स्वतंत्रता का अंतरराष्ट्रीय प्रतीक बताया था।
शिक्षाविद् ममदानी सीनियर की उपनिवेशवाद और उत्तर-उपनिवेशवाद में विशेषज्ञता थी और उनका जन्म स्वतंत्रता से पहले के मुंबई में गुजराती शिया मुस्लिम परिवार में हुआ था। बाद में यह परिवार युगांडा के कंपाला जाकर बस गया था। उन्होंने 1960 के दशक में अमेरिका में पढ़ाई करने के बाद नागरिक अधिकार आंदोलन में भाग लिया जिसके लिए उन्हें जेल भी जाना पड़ा। यह कहना गलत नहीं होगा कि जोहरान ममदानी की राजनीति को उनके माता-पिता ने आकार दिया है। उदाहरण के तौर पर 2013 में मीरा नायर ने इजरायल में हाइफा अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में मानद अतिथि बनने का निमंत्रण ठुकरा दिया था। उन दिनों उन्होंने ट्विटर (अब एक्स) पर पोस्ट किया था, ‘मैं इजरायल तब जाऊंगी जब दीवारें गिर जाएंगी। मैं इजरायल तब जाऊंगी जब कब्जा खत्म हो जाएगा। मैं इजरायल के अकादमिक और सांस्कृतिक बहिष्कार के लिए फिलिस्तीन के साथ खड़ी हूं।’
इस साल की शुरुआत में जोहरान ममदानी ने सीरियाई-अमेरिकी कलाकार रमा दुआजी से शादी की है, जिनके काम में प्रवासन, विरासत, समुदाय और पहचान के अलावा फिलिस्तीन समर्थक विषय भी शामिल हैं। कला के साथ ममदानी का रिश्ता पुराना है। इसलिए नहीं कि वह फिल्म निर्माता मां और कलाकार पत्नी के कारण नहीं है। वह पहले रैपर भी रह चुके हैं। करीब 9 साल पहले उन्होंने युगांडा के रैपर एचएबी के साथ ‘सिड्डा मुक्यालो’ शीर्षक वाला छोटा एलबम जारी किया था। वर्ष 2019 में उनका एक और गाना,‘नानी’ शीर्षक से रिलीज हुआ, जिसके जरिये उन्होंने अपनी नानी, प्रवीण नायर को श्रद्धांजलि दी थी। यह वीडियो ‘मिस्टर कार्डमम’ नाम के यूट्यूब चैनल पर देखा जा सकता है।
इस बीच, अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया मंच ‘ट्रुथ सोशल’ के माध्यम से ममदानी को आड़े हाथों लिया है और उन्हें ‘शत-प्रतिशत कम्युनिस्ट पागल’ बताते हुए कहा है कि ‘डेमोक्रेट्स ने सीमा पार कर ली है।’हालांकि, रैपर से राजनेता बने युवा नेता अपने रास्ते पर अडिग हैं और यदि वह मेयर बन जाते हैं तो जरूर अमेरिका के सबसे बड़े नगरपालिका का बजट दुरुस्त करना चाहेंगे।