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भारत और EFTA के बीच करार में 100 अरब डॉलर निवेश का संकल्प! 10 मार्च को होने वाले समझौते से पैदा होंगे लाखों रोजगार

भारत और EFTA देशों ने व्यापार और निवेश समझौते पर 15 साल से भी लंबे समय से बातचीत कर रहे थे। करीब 13 दौर की वार्ता के बाद 2013 के अंत में इस पर बातचीत रुक गई थी।

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श्रेया नंदी   
Last Updated- March 08, 2024 | 11:55 PM IST

भारत और यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (ईएफटीए) के चारों सदस्य देशों के बीच रविवार (10 मार्च) को व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर होंगे। मामले के एक जानकार ने बताया कि यह अपनी तरह का पहला ऐसा करार होगा जिसमें 15 साल की अव​धि के दौरान 100 अरब डॉलर के निवेश की प्रतिबद्धता जताई जाएगी। इस निवेश से भारत में 10 लाख रोजगार के अवसर पैदा होंगे।

मामले के जानकार एक शख्स ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘इस निवेश को हासिल करने के लिए तंत्र और रोडमैप तैयार किया जाएगा।’ यह प्रतिबद्धता प्रस्तावित व्यापार करार में निवेश अध्याय का हिस्सा हो सकता है और इसके लिए सभवत: अलग से निवेश समझौता नहीं करना पड़ेगा।

ईएफटीए राष्ट्रों- आइसलैंड, ​स्विट्जरलैंड, नॉर्वे और लिकटेंस्टाइन के अ​धिकारियों का एक दल व्यापार और आ​र्थिक साझेदारी समझौता (TEPA) पर आ​धिकारिक तौर पर हस्ताक्षर करने के लिए इस सप्ताहांत दिल्ली पहुंच सकता है।

भारत द्वारा किसी यूरोपीय देश या संगठन के साथ किया जाने वाला यह पहला व्यापार करार और पिछले एक दशक में किया गया चौथा व्यापार समझौता होगा। फरवरी 2021 में भारत ने मॉरीशस के साथ मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किया था। उसके बाद संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और ऑस्ट्रेलिया के साथ पिछले साल इसी तरह का समझौता किया गया था।

व्यापार और आ​र्थिक साझेदारी समझौता (टीईपीए) के तहत दोनों राष्ट्र वि​भिन्न क्षेत्रों के उत्पादों को शुल्क मुक्त व्यापार होने की उम्मीद है। समझौते के तहत 100 अरब डॉलर के निवेश का संकल्प होना भारत के लिए बड़ी जीत होगी। ऐसा इसलिए क्योंकि ईएफटीए देशों में आयात शुल्क बहुत ज्यादा नहीं है और भारत को बाजार पहुंच का सीमित लाभ मिल सकता है।

भारत और ईएफटीए देशों ने व्यापार और निवेश समझौते पर 15 साल से भी लंबे समय से बातचीत कर रहे थे। करीब 13 दौर की वार्ता के बाद 2013 के अंत में इस पर बातचीत रुक गई थी। इसके बाद 2016 में फिर से वार्ता शुरू हुई और चार दौर की बातचीत के बाद 2023 में मामला बनता दिखा। हालांकि 8 से 13 जनवरी को नई दिल्ली में 21वें दौर की वार्ता के बाद दोनों पक्ष सहमति के करीब पहुंच गए।

ईएफटीए के चारों देशों में ​स्विट्जरलैंड भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। पिछले वित्त वर्ष के दौरा ईएफटीए देशों के साथ भारत का व्यापार घाटे में रहा था। वित्त वर्ष 2023 में ईएफटीए के साथ भारत का व्यापार घाटा 14.8 अरब डॉलर का था क्योंकि इस दौरान इन देशों को 1.9 अरब डॉलर मूल्य की वस्तुओं का निर्यात किया गया जबकि आयात 16.7 अरब डॉलर रहा था। ​स्विट्जरलैंड से सोने के आयात के कारण व्यापार घाटा बढ़ा है। देश में करीब 80 फीसदी सोने का आयात ​स्विट्जरलैंड से किया जाता है।

इस बीच जानकारों ने बताया कि वा​णिज्य विभाग भारत और ओमान के बीच मुक्त व्यापार समझौते की मंजूरी के लिए कैबिनेट प्रस्ताव को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है। भारत आम चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता लागू होने से पहले व्यापार समझौते को अंतिम रूप देना चाहता है।

First Published : March 8, 2024 | 9:57 PM IST