इजरायल और ईरान के बीच जारी युद्ध में अब अमेरिका भी कूद पड़ा है। ईरान के परमाणु कार्यक्रम को रोकने के मकसद से इजरायल की ओर से शुरू किए गए हमलों को मजबूती प्रदान करते हुए अमेरिका ने रविवार तड़के तीन ईरानी परमाणु केंद्रों पर हमले किए। ईरान की जवाबी कार्रवाई की धमकी के बीच लंबे समय से दुश्मन रहे ईरान को कमजोर करने के लिहाज से यह एक जोखिम भरा कदम माना जा रहा है, जिससे व्यापक क्षेत्रीय संघर्ष छिड़ने की आशंका है।
अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस (अमेरिका के राष्ट्रपति का आधिकारिक आवास एवं कार्यालय) से राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि ईरान के प्रमुख परमाणु केंद्रों को पूरी तरह नष्ट कर दिया गया है।
ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अरागची ने कहा कि कूटनीति का दौर बीत गया और उनके देश को आत्मरक्षा का अधिकार है। उन्होंने तुर्किये में एक सम्मेलन में प्रेस वार्ता के दौरान कहा, ‘अमेरिका में युद्धोन्मादी, अराजक प्रशासन इस आक्रामक कृत्य के खतरनाक और दूरगामी प्रभावों के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार है।’ हमलों के बाद से किसी उच्च पदस्थ ईरानी अधिकारी द्वारा की गई यह पहली टिप्पणी है। अरागची ने यह भी कहा कि अमेरिका ने सारी हदें पार कर दी हैं और कल रात जो हुआ, वह सबसे खतरनाक था। कल रात को उन्होंने परमाणु केंद्रों पर हमला करके सारी हदें पार कर दी हैं। ईरान की परमाणु एजेंसी ने रविवार को पुष्टि की कि उसके फोर्दो, इस्फहान और नतांज परमाणु केंद्रों पर हमले हुए हैं।
ईरान और संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी संस्था ने कहा कि हमलों के बाद विकिरण के कोई संकेत नहीं है। अमेरिकी हमलों के कुछ देर बाद ईरान के अर्द्धसैनिक ‘रिवोल्यूशनरी गार्ड’ ने कहा कि उसने इजरायल पर 40 मिसाइल दागी, जिसमें उसका ‘खोर्रमशहर-4’ मिसाइल भी शामिल है। इजरायल के अधिकारियों ने बताया कि 80 से अधिक लोग घायल हुए हैं और अधिकतर को मामूली चोटें आई हैं। अमेरिका और इजरायल के अधिकारियों ने कहा है कि अमेरिकन स्टील्थ बॉम्बर और 30,000 पाउंड वजनी ‘बंकर-बस्टर बम’ ने जमीन के अंदर गहरे में स्थापित ईरानी परमाणु केंद्रों को नष्ट कर दिया। ‘बंकर-बस्टिंग बम’ को ‘जीबीयू-57 मैसिव ऑर्डनेंस पेनिट्रेटर’ के रूप में जाना जाता है, जिसका इस्तेमाल जमीन के भीतर लक्ष्य को भेदने और विस्फोट में किया जाता है।
राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने हमलों की घोषणा की। ट्रंप ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर कहा, ‘हमने ईरान के तीन परमाणु केंद्रों फोर्दो, इस्फहान और नतांज पर सफलतापूर्वक हमला किया।’ उन्होंने कहा, ‘हमले को अंजाम देने के बाद सभी विमान ईरान के हवाई क्षेत्र से बाहर आ गए हैं।’ ट्रंप ने बाद में पोस्ट में लिखा, ‘यह अमेरिका, इजरायल और दुनिया के लिए ऐतिहासिक क्षण है। ईरान को अब इस युद्ध को समाप्त करने के लिए सहमत होना चाहिए। धन्यवाद!’
ट्रंप ने कांग्रेस (अमेरिकी संसद) की अनुमति के बिना यह कार्रवाई की तथा उन्होंने चेतावनी दी कि अगर ईरान ने अमेरिकी सेना के खिलाफ जवाबी कार्रवाई की तो और अधिक हमले किए जाएंगे। उन्होंने कहा, ‘ईरान में या तो शांति होगी या फिर त्रासदी होगी।’इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ईरान पर हमले करने के अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के फैसले के लिए उनकी सराहना की है। नेतन्याहू ने एक वीडियो संदेश में ट्रंप से कहा, ‘ईरान के परमाणु प्रतिष्ठानों को निशाना बनाने का आपका साहसिक निर्णय इतिहास बदल देगा…।’
अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने रविवार को कहा कि अमेरिका ईरान के साथ युद्ध नहीं चाहता है। उनका यह बयान अमेरिका के ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर अचानक हमला करने के बाद आया है। हेगसेथ और ‘ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ’ के अध्यक्ष एयरफोर्स जनरल डैन केन ने पेंटागन में प्रेसवार्ता में कहा कि इस मिशन का नाम ऑपरेशन मिडनाइट हैमर था।
उन्होंने कहा कि इसमें दुश्मन को भ्रम में डालने की रणनीति और नकली लक्ष्य इस्तेमाल किए गए तथा इसे ईरान की ओर से किसी प्रतिरोध का सामना नहीं करना पड़ा। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भी कहा कि आगे के कदम ईरानी सरकार पर निर्भर करते हैं।
ईरानी परमाणु स्थलों पर अमेरिकी बमबारी के बाद ईरान एवं इजरायल के बीच बढ़ रहे तनाव के मध्य भारत ने रविवार को ईरान से 300 से अधिक भारतीय नागरिकों को लाया। विदेश मंत्रालय ने कहा कि ईरानी शहर मशहद से विशेष उड़ान से 311 भारतीय दिल्ली पहुंचे हैं।
ईरान के तीन प्रमुख परमाणु केंद्रों पर अमेरिका के हमले के बाद पश्चिम एशिया में तनाव बढ़ने के मद्देनजर मिस्र के विदेश मंत्री बद्र अब्देलात्ती की सोमवार से शुरू होने वाली दो दिवसीय भारत यात्रा रद्द हो गई है। बद्र सोमवार को विदेश मंत्री एस. जयशंकर और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के साथ व्यापक बातचीत करने वाले थे।