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योगी सरकार ला रही है ‘उत्तर प्रदेश फुटवियर, लेदर एवं नॉन-लेदर क्षेत्र विकास नीति 2025’, जानें हर बात

नीति के तहत लेदर , नॉन-लेदर फुटवियर इकाइयों के साथ बकल्स, ज़िप, सोल, इनसोल, लेस, केमिकल्स, डाइज, हील्स, थ्रेड्स, टैग्स, लेबल्स निर्माण को भी विशेष प्रोत्साहन दिया जाएगा।

Last Updated- August 01, 2025 | 6:24 PM IST
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प्रतीकात्मक तस्वीर

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार लेदर उद्योग को आगे बढ़ाने के लिए नीति बनाएगी। योगी सरकार इस नीति के साथ उत्तर प्रदेश को फुटवियर-लेदर विनिर्माण का वैश्विक केंद्र बनाएगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ औद्योगिक विकास विभाग के अधिकारियों को  फुटवियर इंडस्ट्री के लिए फ्लैटेड फैक्ट्री कॉम्प्लेक्स विकास के निर्देश दिए हैं। इससे फुटवियर से जुड़ी सहायक इकाइयों और मशीनरी निर्माण को प्रोत्साहन मिलेगा।

मुख्यमंत्री  ने शुक्रवार को एमएसएमई विभाग की बैठक में कहा कि उत्तर प्रदेश को इस क्षेत्र में वैश्विक पहचान दिलाने की अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि राज्य के पारंपरिक कौशल, प्रशिक्षित श्रमबल, कच्चे माल की प्रचुरता और आगरा, कानपुर व उन्नाव जैसे सशक्त औद्योगिक केंद्रों की मौजूदगी को देखते हुए एक समग्र, व्यावहारिक और परिणामोन्मुखी नीति का निर्माण आवश्यक हो गया है। बैठक में ‘उत्तर प्रदेश फुटवियर, लेदर एवं नॉन-लेदर क्षेत्र विकास नीति 2025’ के प्रारूप पर विभागीय अधिकारियों के साथ चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने क्लस्टर आधारित विकास मॉडल को प्राथमिकता देने के निर्देश दिए। उन्होंने यह भी कहा कि नीति में स्पष्ट रूप से यह परिभाषित किया जाए कि प्रदेश के कौन-से क्षेत्र इस उद्योग के लिए सबसे उपयुक्त हैं। मुख्यमंत्री ने फ्लैटेड फैक्ट्री कॉम्प्लेक्स जैसी अधोसंरचना सुविधाओं की स्थापना की आवश्यकता पर बल दिया ताकि औद्योगिक इकाइयों को बेहतर कार्य वातावरण मिल सके।

अधिकारियों ने जानकारी दी कि प्रस्तावित नीति के तहत अगले कुछ वर्षों में लगभग 22 लाख नई नौकरियों के सृजन की संभावना है। वर्तमान में भारत इस क्षेत्र में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता है, जिसमें उत्तर प्रदेश की भागीदारी महत्वपूर्ण है। अकेले कानपुर और उन्नाव में 200 से अधिक सक्रिय टैनरियां कार्यरत हैं, जबकि आगरा को देश की “फुटवियर राजधानी” के रूप में जाना जाता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि नीति के तहत न केवल लेदर और नॉन-लेदर फुटवियर निर्माण इकाइयों को बढ़ावा दिया जाए, बल्कि इससे जुड़ी सहायक इकाइयों; जैसे बकल्स, ज़िप, सोल, इनसोल, लेस, केमिकल्स, डाइज, हील्स, थ्रेड्स, टैग्स और लेबल्स के निर्माण को भी विशेष प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि मशीनरी निर्माण, विशेष रूप से चमड़ा सिलाई, कटिंग, मोल्डिंग और नॉन-लेदर सेफ्टी शूज़ बनाने वाली तकनीकों से संबंधित इकाइयों को भी समर्थन मिलना चाहिए। मुख्यमंत्री ने इससे प्रदेश में एक पूर्ण एकीकृत फुटवियर मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम तैयार होगा, जिससे ‘डिज़ाइन टू डिलीवरी’ मॉडल को स्थानीय स्तर पर साकार किया जा सकेगा। उन्होंने बेहतर उत्पादों के लिए स्किलिंग, पैकेजिंग और मार्केटिंग की मजबूत रणनीति तथा प्रभावी क्रियान्वयन की आवश्यकता को भी रेखांकित किया।

बैठक में प्रस्तावित ‘उत्तर प्रदेश औद्योगिक आस्थान नीति’ पर भी विचार-विमर्श हुआ। अधिकारियों ने बताया कि वर्तमान में औद्योगिक क्षेत्रों में भूमि के कुशल उपयोग की कमी, लीज निष्पादन में जटिलता, अनधिकृत बंधक और सब-लेटिंग तथा अनुपयोगी भूखंडों जैसी समस्याएं सामने आती रही हैं। प्रस्तावित नीति इन सभी बाधाओं को दूर करते हुए एक पारदर्शी, सुस्पष्ट और समयबद्ध प्रणाली प्रदान करेगी। भूखंडों का आवंटन ई-नीलामी अथवा अन्य पारदर्शी माध्यमों से किया जाएगा और क्षेत्रानुसार भूमि की दर निर्धारित होगी। हालांकि एंकर इकाइयों के लिए भूमि की दर शासन द्वारा तय की जाएगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में सीमित औद्योगिक भूमि को ध्यान में रखते हुए ‘लीज रेंट मॉडल’ पर विचार किया जाए, जिससे निवेशकों का अनावश्यक पूंजीगत व्यय कम होगा और औद्योगिक विकास को गति मिलेगी।

 

First Published - August 1, 2025 | 6:18 PM IST

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